बुंदेलखंड के कई जिलों—चित्रकूट, बाँदा, महोबा और कानपुर के इलाकों में इन दिनों एक “चोर गिरोह” की अफवाह ने दहशत फैला दी है। कहा जा रहा है कि लाल दुपट्टा पहनकर औरतें घरों के दरवाज़े खुलवाती हैं और फिर पूरा गिरोह चोरी के लिए अंदर घुस आता है। सोशल मीडिया और सुन-सुनकर फैली इन कहानियों ने गांववालों को इतना डरा दिया है कि लोग रात-रात भर पहरा दे रहे हैं। मगर जांच में सामने आया कि न किसी ने इस गैंग को देखा है और न ही पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज हुई। यानी सबकुछ सिर्फ अफवाह है। ऐसी अफवाहें नई नहीं हैं। 2017 में ‘चोटी कटवा’ और 2002 में ‘मुंहनोचवा’ जैसी अफवाहों ने भी गांवों और शहरों को हिलाकर रख दिया था। नतीजा यह हुआ कि बेगुनाह लोग मारे गए और समाज में डर और शक का माहौल बन गया। आज भी यही हो रहा है—फेरीवाले और अजनबी चेहरों को लोग चोर समझकर पीट देते हैं। असल खतरा यह है कि अफवाहें जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटका देती हैं और राजनीतिक-सामाजिक फायदा पहुंचाती हैं। यही वजह है कि हमें हर खबर को परखकर ही मानना चाहिए। एक झूठी बात किसी मासूम की जान ले सकती है। अफवाह से बचें, सच जानें।
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