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जाति के आधार पर चल रहा बिहार का स्कूल

साभार: फ्लिक्कर

पिछले चार वर्षों से बिहार के एक स्कूल में बच्चों को उनकी जाति के आधार पर बिठाया जा रहा था। इसके बारे में पता चलते ही मंगलवार को नितीश कुमार की सरकार ने, इस उच्च माध्यमिक विद्यालय के खिलाफ जांच का आदेश दिया है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार ये घटना राज्य के वैशाली जिले के लालगंज के जी.ए उच्च माध्यमिक स्कूल में हुई है।

इसके बारे में पूछे जाने पर, बिहार के शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि वे स्कूल की इस प्रतिकूल अभ्यास से बिलकुल अनजान थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, दलित और मुस्लिम समुदायों के छात्रों को कभी भी अन्य कक्षाओं में जाने की इजाज़त नहीं थी और हिंदू और मुस्लिम समुदायों के छात्रों के लिए अलग-अलग वर्ग और कमरे निश्चित किये गये थे।

इसके अलावा, ऊपरी जाति, ओबीसी और दलित छात्रों से संबंधित प्रत्येक वर्ग के छात्रों के लिए अलग-अलग कक्षाएं सुनिश्चित की गई थी। यह विद्यालय, छात्रों के विभिन्न सामाजिक समूहों के लिए अलग उपस्थित रजिस्टरों का भी उपयोग करता है।

जहाँ एक तरफ लालगंज ब्लॉक शिक्षा अधिकारी बीईओ अरविंद कुमार तिवारी ने स्वीकार किया कि पिछले कई सालों से स्कूल में ऐसी व्यवस्था वास्तव में प्रचलित थी, वहीँ स्कूल की संचालिका मीना कुमारी ने दावा किया कि छात्रों की जाति आधारित पृथक्करण कई तरीकों से फायदेमंद साबित हो रहा था।

उन्होंने तर्क देता हुआ कहा कि जाति या धर्म के आधार पर स्कूल में कोई भेदभाव नहीं होता है, बल्कि प्रणाली उन्हें एक आसान शैक्षणिक प्रक्रिया और सरकारी योजनाओं के आसान निष्पादन को लागू करने में मदद करती है।

सरकार द्वारा संचालित शैक्षिक संस्थान में बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णा नंदन प्रसाद वर्मा ने इस तरह की एक विचित्र प्रणाली के अस्तित्व पर इस घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और इस मामले पर पूरी तरह से जांच का आदेश भी दिया।