डिप्थीरिया कॉरीनेबैक्टेरियम बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है। इस बीमारी में बैक्टीरिया सबसे पहले गले को नुकसान पहुंचाता है। इसके इंफेक्शन के असर से सांस नली में एक झिल्ली बन जाती है, जिसके कारण सांस लेने में समस्या होती है।
Diphtheria: बाँदा ज़िले में बारिश के बाद से निकल रही चटक धूप और रात में ठंडक के एहसास के चलते बीमारियों ने भी दस्तक दे दी है। सर्दी-ज़ुकाम, बुखार के साथ-साथ वायरल फीवर भी लोगों को अपनी चपेट में ले हा रहा है। इसके अलावा डिप्थीरिया (गलाघोंटू) जैसी बीमारी भी तेजी से जनपद में अपने पैर फैला रही हैं। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग की तरफ से डॉक्टरों की टीम को काम पर लगा दिया गया है। और यह टीम गांव-गांव निरीक्षण कर रही है। अस्पताल में भी रोज़ाना मरीज़ों की भीड़ देखने को मिल रही है।
नरैनी कस्बे के देवी नगर निवासी 30 वर्षीय अजय के भाई गुड्डू ने बताया कि अचानक से उसके भाई के गले में दिक्कत हुई थी। न ही पानी हलक से नीचे उतर रहा था और न ही खाना खाया जा रहा था। उसको नरैनी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहाँ उसे बांदा मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। जब मेडिकल कॉलेज में भी आराम नहीं मिला तो कानपुर ले जाया गया। जहां उसकी मौत हो गई है।
आस-पास के लोगों के मुताबिक उसे गलाघोंटू की शिकायत हो गई थी, जिसका खुलासा बाद में जांच में भी हुआ। व्यक्ति की जान जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम उसके मोहल्ले में आई और उसके परिवार के लोगों का परीक्षण किया, साथ ही उन्हें दवाइयां भी दी। लोगों ने बताया कि मोहल्ले में जिन लोगों को इस तरह की शिकायत थी उन्हें इंजेक्शन भी लगाए गए हैं।
डिप्थीरिया (गलाघोंटू) क्या है?
डिप्थीरिया कॉरीनेबैक्टेरियम बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है। इस बीमारी में बैक्टीरिया सबसे पहले गले को नुकसान पहुंचाता है। इसके इंफेक्शन के असर से सांस नली में एक झिल्ली बन जाती है, जिसके कारण सांस लेने में समस्या होती है। इसके अलावा यह शरीर को कई तरह के नुकसान पहुंचाता है। डिप्थीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। कभी-कभी यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो जाती है।
बाँदा के गोरे मऊकला गांव में भी डिप्थीरिया से 13 वर्षीय अर्पित जूझ रहा है। फ़िलहाल उसका इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने क्षेत्र के 100 घरों का सर्वे कर टीकाकरण करते हुए दवा भी वितरण की है।
डिप्थीरिया के लक्षण-
डिप्थीरिया के लक्षण संक्रमण फैलने के दो से पांच दिनों में दिखाई देते हैं। कई बार त्वचा का रंग भी नीला पड़ने लगता है। डिप्थीरिया संक्रमण फैलने पर सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके अलावा गर्दन में सूजन हो सकती है। साथ ही गले में दर्द होता है। इसका संक्रमण फैलने के बाद बुखार रहने लगता है।
बदलते मौसम ने बरसाया बीमारियों का कहर-
सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में आजकल मलेरिया, टाइफाइड और डेंगू के भी कई मामले सामने आ रहे हैं। मोतियारी गांव की राजरानी बताती हैं कि उनका बच्चा फ़िलहाल मलेरिया और टाइफाइड से ग्रसित है। लेकिन सरकारी अस्पताल में भी कुछ जांचों के लिए बाहर जाना पड़ता है। मरीज़ों के साथ मौजूद उनके परिवार वालों ने बताया कि ज़्यादातर गरीब तबके से आये हुए लोगों के लिए बाहर से जांच करवाना मुश्किल हो जाता है। हालाँकि मुफ्त दवाइयां अस्पताल में ही मिल जाती हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद डॉक्टर लवलेश कुमार ने बताया कि लगभग पांच लोगों की टीम बनी हुई है जो गांव-गांव में जाकर सर्वे करती है। इस समय ज़ुकाम, बुखार और वायरल फीवर के साथ-साथ डिप्थीरिया के भी एक दो मरीज पाए गए हैं। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले तक जाँच में कई मरीज़ डेंगू के भी मिले थे लेकिन इस समय डेंगू का एक भी मरीज़ नहीं है। उन्होंने बताया कि जांच के जो भी मामले हैं वो अस्पताल से बाहर दूसरे जाँच केंद्र में भेजे जाते हैं। साथ ही गांव-गांव स्वास्थ्य विभाग की टीम भी जाती है और सैंपल लेती है।
वह लोगों को यही सलाह देते हैं कि साफ सफाई का ध्यान दें, ज्यादा ठंडी चीज ना खाएं। अगर डिप्थीरिया के लक्षण दिखें तो तुरंत नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें। डॉक्टर के अनुसार गांव में कई बार लोग झोलाछाप डॉक्टरों से भी इलाज करवा कर बीमारी को और बिगाड़ लेते हैं, जिसपर ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत है।
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गई है।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’