एमपी के कई जर्जर पुलों से रोज़ाना ओवरलोड वाहनों का आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में पुल के टूटने का डर लोगों के दिलों में बैठ गया है।
जिला बांदा। सिंचाई विभाग प्रखंड तृतीय बांदा के अंतर्गत मध्य प्रदेश के बरियारपुर बांध से नरैनी की ओर आने वाले 46 किलोमीटर के रास्ते में किसानों को जीवन देने वाली मुख्य नहर पर कई पुल बने हुए हैं। इसमें बीरा पुल, चंदौरा पुल, चांदी पाठी पुल, नहरी कोठी पुल, बरौली पुल, मानपुर पुल और लौहरेटा पुल पड़ता है। आलम यह है कि यह पुल अब जर्जर हो चुके हैं और इन्हीं जर्जर पुलों पर से ओवरलोड वाहनों का आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में किसानों और आम जनता पर खतरा मंडराता रहता है।
किसान सिंचाई के लिए नहर के पानी पर निर्भर है। अगर पुल टूटा तो गांव वालों को बाहर निकलने व किसानों की सिंचाई करने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
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रात-दिन गुज़रते हैं ओवरलोड वाहन
जमवारा गांव के इरशाद हुसैन बताते हैं कि रात-दिन चलते ओवरलोड ट्रकों की वजह से सैंकड़ों साल पुराने पुलों की दुर्दशा हो रखी है। अब तो पुल से निकलने में भी डर लगने लगा है। अपनी आपबीती बताते हुए वह कहते हैं कि तकरीबन दो साल पहले जब वह नसेनी गांव से आ रहे थे तो पुल धंस गया था फिर उसे दोबारा बनवाया गया था।
आगे कहते हैं, लोरेटा पुल और मानपुर बरसाना का पुल खतरे में है। इसके साथ ही सिंचाई विभाग द्वारा यह नियम भी है कि नहरों के ऊपर बने पुलों से ओवरलोड वाहन नहीं निकलेंगे इसके बावजूद भी ट्रक गुज़र रहे हैं। इस मामले में न तो पुलिस प्रशासन कुछ करती है और न ही खनिज और सिंचाई विभाग इस पर ध्यान देता है। हाँ कभी-कभार आकर देख लेते हैं और नाम के लिए लोगों को पुल से ट्रक ले जाने के लिए मना कर देते हैं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की जाती। इससे वाहनों का सिलसिला ज़ारी रहता है।
मानपुर गांव की कलमतिया बताती हैं, ओवरलोड ट्रक की वजह से किसान भी काफी परेशान हैं। गांव वाले अगर कुछ बोलते हैं तो वह उन पर चढ़ाई करने को तैयार हो जाते हैं। पुल पूरी तरह से धवस्त हो चुका है।
लोगों ने आरोप लगाया कि बालू ठेकेदार अपनी मनमानी के चलते ग्रामीणों की एक नहीं सुनता है। अगर लोग ज़्यादा कहते हैं उन्हें अलग से धमकियां दी जाती हैं इस वजह से भी लोग परेशान हैं। ग्रामीण बताते हैं कि अगर गांव के 4 लोग विरोध करते हैं तो 10 लोग उनका समर्थन करते हैं तो समस्या कैसे हल होगी। आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि गांव के ही कुछ बड़े वाहन वाले लोग भी बालू के कार्य में लिप्त है। उन्हें ठेकेदारों से पैसा भी मिलता है इस वजह से भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। अधिकारी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है।
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ओवरलोड वाहनों के प्रतिबंध के बावजूद भी तोड़ा जा रहा नियम
खबर लहरिया ने इस बारे में सिंचाई प्रखंड तृतीय के सहायक अभियंता अनूप कुमार से बात की। उन्होंने बताया कि इरीगेशन मैनुअल ऑफ आर्डर के तहत पुलों के ऊपर से बड़े वाहनों का निकलना प्रतिबंधित है। जो पुल मुख्य नहर के ऊपर बने हैं। वह कई ग्रामों को जोड़ते हैं। आगे बताया कि कैनाल एक्ट 8,1873 की धारा 70 के तहत ग्राम संपर्क मार्ग पुल से भारी वाहन बिना परमिशन एवं विभागीय अनुमति के नहीं निकाले जा सकते हैं। ऐसा करने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पांच वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।
अनुमति लेने के बाद ही इन पुल से बड़े वाहन निकाले जा सकते हैं। इन ओवर लोड बड़े वाहनों के विरुद्घ संबंधित थानों में कई बार शिकायत की गई है। सभी पुलों के पास बड़े वाहन निकलने के प्रतिबंध की सूचना के बोर्ड भी लगे हैं। इसके बाद भी बड़े वाहनों की आवाजाही पर इस रोड पर रोक नहीं लगाई जा रही है।
बड़े वाहनों की आवाजाही पर रोक की है कोशिश
मामले को लेकर नरैनी के पुलिस क्षेत्राधिकारी नितिन कुमार ने बताया कि जुलाई से अक्टूबर 2022 तक उनकी संयुक्त टीम और एसडीएम ने ओवरलोड में 150 बालू भरे ट्रकों का चालान किया है। इसकी चलानी खनिज विभाग में भेजी जा चुकी है। बड़े वाहनों की पुलों के ऊपर आवाजाही रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
अधिकारी व पुलिस दोनों द्वारा ही यह कह जा रहा है कि वह ओवरलोड ट्रकों के रोकथाम के लिए काम कर रही है। अगर ऐसा है तो ग्रामीण अभी भी बड़े वाहनों की आवाजाही को लेकर असंतुष्ट क्यों हैं?
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है।
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