पुरैना के पत्ते (कमल का पत्ता), बुंदेलखंड की संस्कृति का हिस्सा हैं। यह पत्ते कई चीज़ों में काम आते हैं। जब पुरैन के पत्ते तालाब में पानी के अंदर रहते हैं, तो तालाब हरा-भरा होता है। तालाब की सुंदरता बढ़ती है। पुरैन के पत्तों से कमल का फूल खिलता है, जिससे तालाब बहुत ही सुहाना लगता है। लोग फूलों को तोड़कर गजरा बनाते हैं, मंदिरों में चढ़ाते हैं। जब इससे कमलगट्टा निकलता है, तो लोग इसे खाते भी हैं और इसका मखाना भी बनते हैं। जब तालाब सूख जाता है, तो जड़े निकलती है, जिसकी सब्जी भी बहुत स्वादिष्ट बनती है और लोग उसे खोद कर बाजार में महंगे दामों में बचते हैं। इतना ही नहीं इन पत्तों में लोग खाना भी खाते हैं, जिससे खाने का स्वाद भी अलग होता है।
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हाल ही में हमने इस पत्ते का एक और उपयोग देखा जो कि बुंदेलखंड के गावों में काफी फेमस है। शादी-ब्याह, लंगर इत्यादि में लोग पुरैन के पत्ते पर ही खाना खाते हैं। हम जिस भंडारे में मौजूद हैं वहां भी लोगों को इसी पत्ते पर खाना खिलाया जा रहा है।
लोगों ने बताया कि प्लेट से ज़्यादा उन्हें इन पत्तों पर खाना खाने में मज़ा आता है।
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