खबर लहरिया Blog अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पर प्रदर्शनों ने ले लिया हिंसक रूप

अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पर प्रदर्शनों ने ले लिया हिंसक रूप

अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पर प्रदर्शनों ने ले लिया हिंसक रूप

एक तो पहले ही चीन से निकला वायरस इस देश पर सबसे ज्यादा कहर बरपा रहा है और उस पर अश्वेत जॉर्ज फ्लोयड की पुलिस हिंसा में मौत के बाद अमेरिका में दंगे और हिंसक प्रदर्शन भी भड़क उठे हैं, लोगों की भीड़ सड़कों पर जमा हो रही है। दंगों से जो नुकसान होगा वो तो अलग बात है लेकिन इन प्रदर्शनों ने महामारी को भी और विकराल रूप धारण करने का मौका दे दिया है क्योंकि सोशल डिस्टेसिंग सहित संक्रमण से बचाव के सभी उपाय नदारद नजर आ रहे हैं। अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लायड की मौत के बाद और दंगे हो रहे हैं

ये पहला मौका नहीं है जब अमेरिका में हजारों की संख्या में लोग सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं और हालात खराब हो चुके हैं। अमेरिका में बीते 60 सालों से नस्लीय हिंसा हो रही है। यहां काले-गोरे का भेद अब तक खत्म नहीं हो सका है। हर बार जब इस तरह की चीजें होती हैं तो अमेरिका की सड़कों पर इसी तरह हिंसा भड़कती है उसके बाद भी बीते 60 सालों में इस पर रोक नहीं लग पाई है।

क्या है पूरा मामला

एबीपी न्यूज़ के मुताबिक बीते सोमवार यानी 26 मई को अमेरिका के मिनेपोलिस शहर में जॉर्ज फ्लॉयड नाम के शख्स को पुलिस ने धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था। एक पुलिस अफसर ने सड़क पर अपने घुटने से फ्लॉयड की गर्दन को करीब आठ मिनट तक दबाए रखा। जॉर्ज लगातार पुलिस अफसर से घुटना हटाने की गुहार लगाते रहे लेकिन पुलिस ऑफिसर ने दया नहीं दिखाई। धीरे-धीरे फ्लॉयड की हरकत बंद हो गई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई।
पुलिस हिरासत में मरने वाले जॉर्ज फ़्लॉयड का वीडियो वायरल हो गया। इस वायरल वीडियो में दिख रहा है कि पुलिसकर्मी डेरेक शैविन ने घुटना टेककर उनकी गर्दन दबाए रखी। जॉर्ज उस पुलिसकर्मी से लगातार कहते रहे कि ‘उन्हें सांस नहीं आ रही है,’ लेकिन डेरेक ने उन्हें नहीं छोड़ा। जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद लोग आक्रोशित हो गए और पूरे अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। हिंसक प्रदर्शनों के मद्देनजर बीते दिन वॉशिंगटन समेत अमेरिका के 40 शहरों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है।
इस घटना के बाद अमेरिका के मिनीपोलिस में उस श्वेत पुलिस अधिकारी को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसपर थर्ड डिग्री हत्या और मानव वध का आरोप लगाया गया। जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद भड़की हिंसा के दौरान लोगों ने अमेरिका में कई शहरों में दुकानों और शोरूम्स में आग लगा दी और जमकर लूटपाट भी की गई। लोग कोरोना संकटकाल में वैसे ही आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं और ऐसे में इस हिंसा से स्थिति और खराब हो गई है। अमेरिका में हिंसाजनक स्थिति के चलते दो शहरों में इमरजेंसी लगाई गई है।
जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद लोग ट्वीट कर विरोध कर रहें हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘जार्ज फ्लायड की पुलिस के हांथों मौत के बाद ’अश्वेतों की जिन्दगी की भी कीमत है’ को लेकर अमेरिका में हर जगह व विश्व के बड़े शहरों में भी इसके समर्थन में जो आन्दोलन हो रहा है। उसका पूरी दुनिया को स्पष्ट संदेश है कि आदमी के जीवन की कीमत है व इसको सस्ती समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।’

2016 की जनगणना के मुताबिक, अमेरिका में चार करोड़ की आबादी अश्वेतों की है जो कुल आबादी का करीब 13 फीसदी हैं। ये अमेरिका का सबसे बड़ा नस्ली अल्पसंख्यक समुदाय है। अफ्रीकन-अमेरिकी यानी अश्वेतों की ज्यादातर आबादी (करीब 55 फीसदी) दक्षिणी अमेरिका में रहती है। प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक, 2007-2009 में आई आर्थिक मंदी के दौरान श्वेत और अश्वेत के बीच आर्थिक विषमता की खाई और गहरी हुई। मध्यवर्ग में श्वेत और अश्वेत के बीच आर्थिक विषमता बहुत ज्यादा बढ़ी है। हालांकि, निचले तबके में श्वेत और अश्वेत के बीच फासला पहले की तुलना में कम हुआ है।
डराने वाले आंकड़े

Times Now हिंदी रिपोर्ट के मुताबिक जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में कोरोनो वायरस के कम से कम 1,827,206 मामले हैं और कम से कम 106,028 लोगों की मौत हो चुकी है। जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पर बढ़ते विरोध के के बाद अमेरिका में कुल 15,846 नए कोविड-19 मामले और 863 अधिक मौतें हुईं हैं। अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारी इस बात से चिंतित हैं कि नाराजगी भरे प्रदर्शनों से पूरे देश की कानूनी एजेंसियां और पुलिस प्रदर्शनों के आगे मजबूर नजर आ रहे हैं और इससे कोरोनो वायरस संक्रमण की दर में वृद्धि हो सकती है।