खबर लहरिया Blog Delhi Water Crisis: दिल्ली में हवा के बाद अब पानी संकट, भूजल में बढ़ता यूरेनियम का खतरा जो सामान्य से अधिक है 

Delhi Water Crisis: दिल्ली में हवा के बाद अब पानी संकट, भूजल में बढ़ता यूरेनियम का खतरा जो सामान्य से अधिक है 

केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा जारी वार्षिक भुजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2025 के मुताबिक़ देश भर में जांचे गए क़रीब 15,000 नमूनों में से लगभग 13 से 14 प्रतिशत में यूरेनियम मिला है। यह एक गंभीर स्थिति की ओर इशारा करता है।

सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार: खबर लहरिया)                                

उत्तर भारत इस समय दोहरी मार झेल रहा है एक तरफ ज़हरीली हवा और दूसरी तरफ अब साफ पानी का बढ़ता संकट। ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि जिस पानी को लोग रोज पीते हैं उसमें एक नया खतरा सामने आया है। केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा जारी वार्षिक भुजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2025 के मुताबिक़ देश भर में जांचे गए क़रीब 15,000 नमूनों में से लगभग 13 से 14 प्रतिशत में यूरेनियम मिला है। यह एक गंभीर स्थिति की ओर इशारा करता है। 

सब से ज़्यादा चिंता की बात यह है कि दिल्ली जैसे बड़े शहर भी इस समस्या से सुरक्षित नहीं हैं। राजधानी में 86 जगहों का भूजल जांचा गया और कई जगहों पर यूरेनियम की मात्रा भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तय सीमा 30 पीपीबी से ऊपर पाई गई है। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में सबसे ज़्यादा यूरेनियम वाले पानी के नमूने में दिल्ली तीसरे नंबर पर है। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश भर में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लिए गए 3,754 भूजल नमूनों की तुलना करने पर स्थिति चिंतजनक दिखती है। खासकर दिल्ली में समस्या और भी गंभीर दिखी। मानसून के बाद लिए गए नमूनों में से करीब 15.66 प्रतिशत नमूनों में यूरेनियम की मात्रा तय सुरक्षित स्तर से ज्यादा मिली। यही नहीं मानसून से पहले किए गए परीक्षण में भी लगभग 13.25 प्रतिशत नमूनों में उच्च स्तर का दूषण पाया गया। यह साफ दिखाता है कि दिल्ली में भूजल की गुणवत्ता साल के दोनों मौसमों में प्रभावित हो रही है और लोगों के सामने साफ पानी की समस्या लगातार बढ़ रही है।

उत्तरप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में जहां पहले से ही हवा की खराब स्थिति लोगों की सेहत बिगाड़ रही है वहीं अब भूजल में भी मिल रहा प्रदूषण आने वाले समय में एक बड़े जल संकट की चेतावनी बन कर उभरा है। साफ हवा और साफ पानी दोनों पर एक साथ खतरा बढ़ना पूरे उत्तर भारत के लिए चिंता का कारण है। 

यूरेनियम क्या है?

यूरेनियम एक तरह की धातु है जो ज़मीन, पानी और चट्टानों में प्राकृतिक रूप से मिलती है। आम तौर पर यह हमारे आसपास बहुत कम मात्रा में होती है इसलिए ज़्यादा खतरा नहीं होता। लेकिन अगर यह पानी या खाने के ज़रिए शरीर में ज़्यादा पहुँच जाए, तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इससे किडनी, दिमाग और शरीर के विकास पर असर पड़ सकता है खासकर छोटे बच्चों और शिशुओं पर। इसलिए इस धातु के बारे में जानकारी होना और पानी की जाँच करवाना ज़रूरी है।

कौन से राज्य में पानी की क्या हालत?

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में पानी की कुल स्थिति मिलीजुली है।

– खारापन (EC) बहुत कम जगहों पर देखा गया है। सिर्फ 2.33 प्रतिशत नमूने प्रभावित।

– फ्लोराइड भी कुछ स्थानों पर हल्की समस्या है (4.05%)।
– नाइट्रेट दूषण कई जगह पाया गया है, और कुछ इलाकों में आर्सेनिक व मैंगनीज़ का स्तर भी बढ़ा हुआ है।
– सिंचाई के लिए मुश्किलें ज्यादा दिखी क्योंकि 13.65 प्रतिशत नमूनों में RSC सीमा से ऊपर था जो सोडियम की अधिकता का संकेत देता है।

उत्तराखंड

राज्य में पानी की गुणवत्ता कुल मिलाकर ठीक मानी जा सकती है।

– EC की कोई समस्या नहीं मिली।
– फ्लोराइड बहुत कम (1.21प्रतिशत) नमूनों में बढ़ा हुआ मिला।

– लेकिन सिंचाई के मामले में चिंता ज्यादा है। करीब 41.94 प्रतिशत नमूने RSC सीमा के ऊपर पाए गए।

बिहार

बिहार के कई हिस्सों में स्थिति अलग-अलग है।

– EC की समस्या कम (0.86 प्रतिशत) है।
– फ्लोराइड 6.68 प्रतिशत नमूनों में ज्यादा मिला।
– नाइट्रेट दूषण कई जगह देखा गया और गंगा बेसिन क्षेत्र में आर्सेनिक सबसे बड़ी चुनौती है।
– कुछ स्थानों पर SAR बहुत ज्यादा मिला जिसकी वैल्यू 505 तक गई यह सिंचाई के लिए गंभीर खतरे का संकेत है।

दिल्ली-NCR

दिल्ली-NCR में भूजल की हालत सबसे ज्यादा चिंताजनक है।

– 33.33 प्रतिशत नमूनों में EC बहुत ज्यादा यानी पानी खारा होता जा रहा है।
– 17.78 प्रतिशत नमूनों में फ्लोराइड अधिक मिला।
– सिंचाई के लिए सबसे खराब हालात 34.8 प्रतिशत नमूनों में SAR सीमा से अधिक और 51.11प्रतिशत में RSC ज्यादा पाया गया।

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में स्थिति सामान्य लेकिन कुछ जगहों पर सुधार की जरूरत है।

– 2.56% नमूनों में EC सीमा से ऊपर।
– फ्लोराइड की समस्या भी कम (1.79 प्रतिशत) है।
– कुछ इलाकों में नाइट्रेट और धातुओं का असर देखा गया है लेकिन वह सीमित है।

राजस्थान

राजस्थान देश में भूजल की सबसे खराब स्थिति वाले राज्यों में से एक है।

– 47.12 प्रतिशत नमूनों में EC बहुत ज्यादा खारा पानी सबसे बड़ी समस्या।
– फ्लोराइड भी 41प्रतिशत से ज्यादा नमूनों में मिला।
– नाइट्रेट और यूरेनियम कंटैमिनेशन कई जगह रिपोर्ट हुआ।
– सिंचाई के लिए भी खतरा 12 प्रतिशत नमूनों में SAR और 24.42 प्रतिशत में RSC सीमा से ऊपर।

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश की स्थिति कुल मिलाकर ठीक मानी जा सकती है।

– EC सिर्फ 0.83 प्रतिशत नमूनों में ज्यादा।
– फ्लोराइड 0.96 प्रतिशत में बढ़ा हुआ।
– नाइट्रेट कुछ जगहों पर समस्या है लेकिन स्थिति नियंत्रण में है।

हरियाणा

हरियाणा में कई तरह की पानी संबंधी समस्याएं एक साथ दिखाई दे रही हैं।

– 20.59 प्रतिशत नमूनों में EC ज्यादा यानी खारेपन की बड़ी समस्या।
– फ्लोराइड 21.82 प्रतिशत नमूनों में बढ़ा हुआ यह गंभीर चिंता है।
– नाइट्रेट और भारी धातु, दोनों के अलर्ट मिले हैं और कुछ जगह यूरेनियम भी।
– 15.54 प्रतिशत नमूनों में RSC ज्यादा जिससे सिंचाई प्रभावित हो सकती है।

पंजाब

पंजाब के कई हिस्सों में भूजल की गुणवत्ता खतरे में है।

– EC 7.01 प्रतिशत नमूनों में ज्यादा।
– फ्लोराइड 11.24 प्रतिशत में बढ़ा हुआ।
– यूरेनियम और नाइट्रेट कंटैमिनेशन भी सामने आया।
– 24.60 प्रतिशत नमूनों में RSC ज्यादा सिंचाई के लिए चिंता बढ़ाने वाला संकेत।

झारखंड

झारखंड में पानी की स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है।

– EC की कोई बड़ी समस्या नहीं मिली।
– फ्लोराइड 3.94 प्रतिशत नमूनों में बढ़ा हुआ।
– नाइट्रेट और धातु दूषण कुछ जगहों पर देखा गया लेकिन व्यापक नहीं है।

गुजरात

गुजरात के सूखे और तटीय हिस्सों में समस्याएं ज्यादा दिखती हैं।

  • 18.28 प्रतिशत नमूनों में EC सीमा से ऊपर।
  • फ्लोराइड 9.06 प्रतिशत नमूनों में ज्यादा।
  • कुछ इलाकों में यूरेनियम भी पाया गया जिसकी वजह पानी की गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ी है।

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ की स्थिति देश के कई राज्यों से बेहतर है।

– EC सिर्फ 0.12 प्रतिशत नमूनों में ज्यादा।
– फ्लोराइड 2.65 प्रतिशत नमूनों में अधिक।
– कुल मिलाकर पानी की गुणवत्ता अच्छी है हालांकि कुछ स्थानीय जगहों पर दूषण मिला है।

हिमाचल प्रदेश

– EC की कोई समस्या नहीं मिली।
– फ्लोराइड 1.24 प्रतिशत नमूनों में अधिक।
– पानी की अधिकांश गुणवत्ता BIS मानकों के अंदर पाई गई।

जम्मू-कश्मीर

– EC और फ्लोराइड दोनों में कोई खास समस्या नहीं।
– सर्वे किए गए इलाकों में भूजल की गुणवत्ता काफी अच्छी पाई गई है।

क्या है EC, RSC और SAR 

EC-  पानी कितना खारा है यह बताता है। EC का पूरा नाम इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी है। इससे पता चलता है कि पानी में कितने तरह के घुले हुए नमक और खनिज (सॉल्ट/ आयन) हैं। अगर EC ज़्यादा है तो इसका मतलब पानी ज्यादा खारा है। ऐसा पानी पीने और खेतों की सिंचाई दोनों के लिए अच्छा नहीं माना जाता।

SAR – पानी में सोडियम कितना है यह दिखाता है।

SAR का मतलब सोडियम एड्सॉर्प्शन रेशियो है। यह बताता है कि पानी में सोडियम की मात्रा कैल्शियम और मैग्नीशियम के मुकाबले कितनी है। अगर SAR ज्यादा हो तो खेतों की मिट्टी खराब होने लगती है। मिट्टी सख़्त हो जाती है और फसलें ठीक से नहीं उग पातीं। इसलिए सिंचाई के पानी में SAR का सही होना बहुत ज़रूरी है।

RSC – पानी में छिपे सोडियम खतरे की चेतावनी

RSC का पूरा नाम रेसिडुअल सोडियम कार्बोनेट है। यह बताता है कि पानी में कार्बोनेट और बाइकार्बोनेट कितने हैं और वे कैल्शियम व मैग्नीशियम के मुकाबले कितने ज़्यादा हैं। अगर RSC की मात्रा ज्यादा हो तो पानी खेतों में डालने पर मिट्टी में सोडियम बढ़ने लगता है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता धीरे-धीरे खराब हो सकती है।

जल कार्यकर्ता पंकज सिंह ने क्या कहा? 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जल कार्यकर्ता पंकज सिंह के अनुसार नई रिपोर्ट जन स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है। उनके अनुसार सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए जैसे वैज्ञानिक तरीकों से पानी को सुरक्षित करना ट्यूबवेल से आने वाले पानी की सख़्त निगरानी करना और समय-समय पर जांच करवाना। सिंह बताते हैं कि पिछले साल राज्यसभा में बताया गया था कि पानी में प्रदूषण लगभग 10% था लेकिन अब यह बढ़कर करीब 15 प्रतिशत हो गया है जो बहुत चिंता की बात है। उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस बढ़ते खतरे के बारे में जानकारी दी है। सिंह ने चेतावनी दी है कि दिल्ली जल बोर्ड जो रोज़ लगभग 45 करोड़ लीटर पानी 5,500 ट्यूबवेल और रैनी कुओं से लोगों तक पहुंचाता है उसकी तुरंत जांच और नियमित निगरानी ज़रूरी है। राजधानी में मौजूद 5,500 से अधिक पानी के स्रोतों की जल्द और व्यवस्थित तरीके से गुणवत्ता जांच होनी चाहिए ताकि लोगों को सुरक्षित पानी मिल सके।

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *