दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर ख़तरनाक स्थिति तक पहुंच गया है जिससे सांस लेना लोगों के लिए मुश्किल होता जा रहा है। दिल्ली में AQI 400 पार जा चुका है जो गंभीर श्रेणी में आता है। लगातार बढ़ते प्रदूषण और सरकार की उदासीनता के खिलाफ लोगों ने इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन किया। साफ हवा का अधिकार मांगते हुए सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील की। बाद में पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को डिटेन (हिरासत में लेना) कर लिया।
देश में लोग अपने अधिकारों के लिए लगातार आवाज उठा रहे हैं। कोई किसान अपनी फसल की कीमत के लिए सड़कों पर, कोई बेरोज़गार युवा नौकरी की तलाश में संघर्ष कर रहा है, छात्र शिक्षा की गुणवत्ता और फीस के बढ़ती फीस के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, महिलाएं न्याय के लिए लड़ रही हैं लेकिन अब हालत ऐसे हो गए हैं कि लोगों को सिर्फ साफ हवा में सांस लेने के लिए भी प्रदर्शन करना पड़ रहा है।
दिल्ली की हवा जहर बन चुकी है। राजधानी में AQI लगभग 400 से भी ऊपर पहुंच गया है यानी हवा गंभीर स्तर पर है। पर सोचने वाली बात ये है कि सरकारी आंकड़ों और बयानों में जैसे सब कुछ सामान्य बताया जा रहा है।
दरअसल दिल्लीवासियों को पिछले कई हफ़्तों से ज़हरीली हवा का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में 9 नवंबर 2025 की शाम को भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच बड़ी संख्या में लोगों ने ऐतिहासिक इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन किया। एक तरफ़ हवा में ज़हर घुला हुआ है तो दूसरी तरफ़ इस ज़हरीली हवा के खिलाफ़ जनता का गुस्सा आज सड़कों पर फूट पड़ा। दिल्ली के इंडिया गेट पर कई लोगों ने प्रदर्शन किया और सीधे तौर पर दिल्ली सरकार को घेरा। ये सभी प्रदर्शनकारी दिल्ली में खराब हवा और प्रदूषण के विरोध में प्रदर्शन करने जुटे थे। इनमें अलग- अलग छात्र संगठन के लोग भी शामिल थे। इसी के साथ बड़ी संख्या में लोगों, राजनेताओं और पर्यावरण कार्यकर्ताओं सहित नागरिक समाज के सदस्य भी इस प्रदर्शन में शामिल थे। सरकार पर प्रदूषण के आंकड़े (AQI data) छिपाने का आरोप के साथ प्रदूषण को खत्म करने के लिए ठोस नीति न बनाने का आरोप भी लगाया गया।
प्रदर्शनकारियों को डिटेन कर एफ़आईआर दर्ज किया और फिर देर रात छोड़ दिया
इसी बीच दिल्ली पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को डिटेन कर हिरासत में ले लिया गया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी देखी गई। लोगों को ज़बरदस्ती डिटेन कर बस में बैठाया गया। महिलाओं को घसीटते हुए बस के अंदर ले जाया गया। प्रदर्शनकारी लोग चिल्लाते रहे लेकिन उनके आवाज को दबाने की कोशिश की गई।
अदिति मिश्रा JNUSU की नई प्रेसिडेंट AISA (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) से लेफ्ट यूनिटी पैनल की उम्मीदवार थीं से बात करने पर उन्होंने बताया कि प्रदर्शन में शुरुआत में लोगों की संख्या लगभग 100 थी। फिर बाद में लोगों की संख्या और बढ़ती गई। उन्होंने बताया कि लोगों को डिटेन कर कुछ लोगों पर एफ़आईआर भी दर्ज की गई। अदिति ने बताया कि 13 महिलाओं को डिटेन कर नरेला ले गए और 25 महिलाओं को बवाना पुलिस स्टेशन ले गए और तीन लोगों पर एफ़आईआर दर्ज कर दी गई और देर लोगों को छोड़ दिया गया। उन्होंने बताया कि प्रदर्शन में JNU SU, AISA जैसे छात्र संगठन शामिल थे।
अदिति मिश्रा का कहना था कि सरकार प्रदूषण के सही आंकडे जनता से छुपाई जा रही है और इस पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर रही है। उनका कहना था कि दिल्ली में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है लेकिन असली परेशानी उन लोगों को झेलनी पड़ रही है जो समाज के हाशिए पर हैं। उन्होंने ये भी कहा कि प्रदूषण का कारण पराली को बताया जाता है। लकड़ी के चूल्हे या कोयले की मदद से भोजन तैयार कर जी रहे हैं उन्हें उस चूल्हे के धुएँ को प्रदूषण बताया जा रहा है लेकिन असली वजह दिल्ली में बढ़ती बड़ी-बड़ी गाड़ियों का धुआँ भी एक कारण है। जब तक इन्हें नियंत्रित नहीं किया जाएगा हवा साफ नहीं हो सकती है। उन्होंने आगे कहा कि जिनके पास पैसे और साधन हैं वे किसी न किसी तरह बच निकलते हैं लेकिन समाज के हाशिए पर रहने वाले लोग इस जहरीली हवा को रोज़ झेलने के लिए मजबूर हैं।
प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने की निंदा
सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने अपने एक्स एंडल में लिखा कि “दिल्ली में घुटन के बीच, दिल्ली सरकार के आदेश पर प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर नरेला और बवाना ले जाया गया। वे अपनी नीतियों और पटाखों से हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुँचाते हैं, AQI मॉनिटर बंद कर देते हैं, अपने घरों में एयर प्यूरीफायर लगा लेते हैं और फिर बिहार में चुनाव प्रचार कर रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लेते हैं।”
As Delhi chokes, Protestors detained & taken to Narela & Bawana on orders of the Delhi govt.
They destroy our lungs by their policies & firecrackers, shut down AQI monitors, install air purifiers in their homes & then detain peaceful protestors as they campaign in Bihar! pic.twitter.com/SHTKme1aMb— Prashant Bhushan (@pbhushan1) November 9, 2025
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बढ़ते वायु प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे नागरिकों को निशाना बनाने के लिए केंद्र की आलोचना की और कहा कि “स्वच्छ हवा का अधिकार” एक मौलिक मानव अधिकार है और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने भाजपा पर “वोट चोरी” और बिगड़ते प्रदूषण संकट के प्रति उदासीनता का आरोप लगाया तथा लाखों भारतीयों के स्वास्थ्य और भविष्य की सुरक्षा के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई का आग्रह किया।
The right to clean air is a basic human right.
The right to peaceful protest is guaranteed by our Constitution.
Why are citizens who have been peacefully demanding clean air being treated like criminals?
Air pollution is affecting crores of Indians, harming our children and… https://t.co/ViPZiO16lT
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 9, 2025
पर्यावरण कार्यकर्ता विमलेंदु झा ने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा करते हुए आरोप लगाया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान बच्चों को भी हिरासत में लिया गया।
Even children are detained, who were only asking for their right to breathe. India Gate Air Protest. pic.twitter.com/IkglvLCORQ
— Vimlendu Jha विमलेंदु झा (@vimlendu) November 9, 2025
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा
प्रदर्शनकारियों के इंडिया गेट पर कब्जा करने के बाद दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि पिछली आप सरकार ने ‘‘10 साल तक लगातार हवा को जहरीला बना दिया’’ और कहा कि वे सत्ता से बेदखल होने के बाद सात महीने पुरानी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। आगे कहा “मैं लोगों को बताना चाहता हूँ कि रेखा गुप्ता सरकार ने ऊँची इमारतों पर एंटी-स्मॉग गन लगाए पानी के छिड़काव से धूल को कम किया हम सभी चल रहे निर्माण कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। हम सार्वजनिक परिवहन के लिए केवल ई-बसों को सुनिश्चित कर रहे हैं। साथ ही ई-वाहनों का उपयोग अंतिम मील की कनेक्टिविटी के लिए किया जा रहा है लेकिन 10 साल का नुकसान केवल 7 महीनों में ठीक नहीं किया जा सकता। वे बेईमान हैं केवल विज्ञापनों पर पैसा खर्च किया… हम स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।”
VIDEO | As people are protesting in Delhi over air pollution, Environment Minister Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) says, “The AAP made the air poisonous continuously for 10 years, and when they were ousted, and there is a Rekha Gupta government for 7 months, they are asking why… pic.twitter.com/LUocW5hapC
— Press Trust of India (@PTI_News) November 9, 2025
विरोध प्रदर्शन के लिए अनुमती नहीं ली गई
मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस के अनुसार, बिना अनुमति के इकट्ठा होने के कारण कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “इंडिया गेट पर विरोध-प्रदर्शन की कोई अनुमति नहीं थी। कानून-व्यवस्था बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि सुरक्षा व्यवस्था में कोई बाधा न आए कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया था।” डीसीपी (नयी दिल्ली) देवेश कुमार महला ने कहा कि कुछ लोगों को एहतियाती तौर पर हिरासत में लिया गया था। उन्होंने कहा, “केवल जंतर-मंतर को ही विरोध स्थल के रूप में नामित किया गया है, जहां उचित प्रक्रिया का पालन करके प्रदर्शन की अनुमति ली जा सकती है।”
दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता का प्रदूषण पर बयान
अगर हम यादों की दुनिया में दो कदम पीछे चले तो इस साल दिवाली के ठीक दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट से ग्रीन पटाखे जलाने के आदेश दिए जा चुके थे। जबकि इस बात से कोई अंजान नहीं हैं कि दिवाली के बाद दिल्ली का प्रदूषण से क्या हाल होता है। दिवाली के बाद दिल्ली का प्रदूषण 300 से ज़्यादा था जो अब भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके बाद दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता का एक बयान आया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दावा किया कि इस साल कुल मिलाकर प्रदूषण का स्तर “पिछले साल से कम” रहा। मुख्यमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पटाखे जलाने पर छूट के बावजूद प्रदूषण का स्तर कम है। वह छठ पूजा की तैयारियों से संबंधित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सवालों का जवाब दे रही थीं। जबकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली के आईटीओ पर शाम 5 बजे तक वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 383 था जिससे राजधानी की हवा ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आ गई।
अब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्रदूषण पर फिर से बयान दिया है। दिल्ली की मुख्यमंत्री ने वायु प्रदूषण के कारण राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी कर्मचारियों के लिए 15 नवंबर से काम के घंटों में बदलाव की घोषणा की। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की कि ‘जितना हो सके सार्वजनिक परिवहन का उपयोग न करने’ की अपील कर रही है। सरकार ने निजी कंपनियों को भी कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देने की सलाह दी है और ट्रैफ़िक कम करने के लिए कारपूलिंग को प्रोत्साहित किया है। स्थिति को और बेहतर बनाने के लिए 15 नवंबर 2025 से सरकारी और एमसीडी कर्मचारियों के लिए अलग-अलग कार्यालय समय लागू किया जाएगा। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत पानी के छिड़काव और एंटी-स्मॉग गन के इस्तेमाल सहित कई उपाय लागू किए जा रहे हैं जिनका ध्यान आईटीओ जैसे प्रदूषण वाले हॉटस्पॉट पर केंद्रित है। यानी अब यह मान लिया गया है कि दिल्ली में ख़तरनाक प्रदूषण मौजूद है और फ़िलहाल प्रदूषण पर रोकथाम की योजना बनाई जा रही है।
आज का दिल्ली का AQI
दिल्ली एनसीआर में बढ़ती सर्दी के बीच वायु प्रदूषण के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। आज यानी 10 नवंबर 2025 को भी सुबह एक्यूआई आनंद विहार, चांदनी चौक से लेकर ज्यादातर इलाकों में 400 के आसपास रहा। आज के ही डेट में दोपहर दो बजे आंदन विहार का AQI 379 है जो गंभीर स्तर में आता है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण का हाल
- बवाना -412
- जहांगीर पुरी- 394
- बुराड़ी क्रॉसिंग-389
- नेहरू नगर-386
- चांदनी चौक-365
- आनंद विहार-379
- अशोक विहार-373
ग्रैप 3 के तहत लगती हैं ये पाबंदियां
- गैर जरूरी निर्माण कार्य, ध्वस्तीकरण, पुराने डीजल वाहनों पर पाबंदी
- सीमेंट, बालू जैसे सामानों की आवाजाही पर रोक लग जाएगी
- अंतरराज्यीय डीजल बसों पर भी रोक लगा दी जाती है
- कक्षा 5 तक के स्कूल बंद कर ऑनलाइन मोड में पढ़ाई की इजाजत
- स्टोन क्रशर और खनन संबंधी गतिविधियों पर रोक लग जाती है
- आपात सेवाओं को छोड़कर डीजल जनरेटरों पर लग जाता है रोक
- कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम या हाइब्रिड मोड में काम करने की सलाह
जब नागरिकों को अपने बच्चों की सांसों की सुरक्षा के लिए सड़कों पर उतरना पड़े तो यह केवल पर्यावरण का नहीं बल्कि व्यवस्था का संकट बन जाता है। सरकारें बदलती रहती हैं योजनाएं बनती हैं पर हवा में जहर कम नहीं होता। एंटी-स्मॉग गन, पानी का छिड़काव या कुछ दिनों की बंदिशें समाधान नहीं सिर्फ दिखावा लगने लगती हैं। असली जरूरत है ईमानदारी से समस्या को स्वीकार करने की पारदर्शी आंकड़े जारी करने की और ठोस नीति लागू करने की। सवाल उठता है अब आखिर ऐसा क्या बचा है जिसके लिए देश के लोगों को आंदोलन न करना पड़े? जब सांस लेना भी संघर्ष बन जाए तो क्या इसे केवल मौसम की समस्या कहा जा सकता है?
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