खबर लहरिया Blog Delhi bus strike: दिल्ली में अनुबंधित डीटीसी कर्मचारियों ने की हड़ताल, ये है उनकी मांगे

Delhi bus strike: दिल्ली में अनुबंधित डीटीसी कर्मचारियों ने की हड़ताल, ये है उनकी मांगे

दिल्ली में डीटीसी कर्मचारियों की हड़ताल इसलिए की जा रही है क्योंकि उनके पास स्थायी नौकरी नहीं है। उन्हें अनुबंध पर रखा गया है यानी एक निश्चित समय के लिए और उनका वेतन भी स्थायी (परमानेंट) कर्मचारियों के मुकाबले काफी कम है।

Delhi Bus Strike: Contracted DTC workers halt services, know their demands

   डीटीसी कर्मचारी यूनियन की तरफ से बसों की हड़ताल पर भरोसा दिया गया कि यह धरना प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा ( फोटो साभार – सुचित्रा/ खबर लहरिया)

लेखन – सुचित्रा 

दिल्ली में दिल्ली परिवहन निगम के अनुबंधित (एक निश्चित वेतन और निश्चित समय अवधि) बस चालकों और कंडक्टरों की हड़ताल जारी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अनुबंध कर्मचारी सामान वेतन, मेडिकल सुविधा, अन्य भत्ते और छुट्टियों को लेकर अपनी मांगे पूरी करने के लिए हड़ताल कर रहे हैं। आज मंगलवार 19 नवंबर को भी सड़कों पर बसों की कमी देखी गई जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है। बताया जा रहा है कि इस हड़ताल की शुरुआत सरोजनी नगर में ‘महिला सखी बस डिपो’ की महिलाओं ने शनिवार 16 नवंबर को की थी तभी से अन्य डिपो भी इस हड़ताल का समर्थन करने लगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हड़ताल आगे भी जारी रहने की संभावना है।

दिल्ली में बसों की हड़ताल से जहां दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के कर्मचारी परेशान है तो दिल्ली के लोग भी इस हड़ताल की मार झेल रहे हैं। सड़कों पर घंटों लोगों को बसों का इंतजार करना पड़ रहा है। लोग अपने काम पर और घर समय से नहीं पहुंच पा रहे हैं। आखिर अनुबंधित डीटीसी कर्मचारियों ने अचानक हड़ताल का फैसला क्यों लिया? अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कहीं इसकी वजह पूर्व परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का इस्तीफा देना तो नहीं? रविवार 17 नवंबर 2024 को दिल्ली के पूर्व परिवहन मंत्री और वरिष्ठ आम आदमी पार्टी के नेता कैलाश गहलोत ने इस्तीफा दे दिया था और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।

अनुबंधित कर्मचारियों की क्या है मांग?

जानकारी के अनुसार, डीटीसी कर्मचारियों की यह हड़ताल इसलिए की जा रही है क्योंकि उनकी नौकरी स्थायी नहीं है, उन्हें अनुबंध पर रखा गया है यानी एक निश्चित समय के लिए और उनका वेतन भी स्थायी (परमानेंट) कर्मचारियों के मुकाबले काफी कम है।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बस ड्राइवर अबिता मिश्रा ने कहा, हमें दैनिक मजदूरी क्यों दी जाती है, जबकि हम स्थायी ड्राइवरों जितना ही काम करते हैं? उन्होंने कहा कि हमें प्रतिदिन 842 रुपये मिलते हैं, जो लगभग 21,000 रुपये प्रति माह बनता है क्योंकि हमें केवल 25 दिन काम मिलता है। अगर हमें देर हो जाती है या हम बीमार पड़ जाते हैं, तो हमारा एक दिन का वेतन भी कट जाता है। स्थायी कर्मचारियों को वही काम करने के लिए 50,000, 60,000 रुपये और अन्य भत्ते मिलते हैं।

डीटीसी कर्मचारी यूनियन शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन का भरोसा

डीटीसी कर्मचारी यूनियन की तरफ से बसों की हड़ताल पर भरोसा दिया गया कि यह धरना प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा। यदि कोई इसमें गलत गतिविधि करने की कोशिश करता है तो वह हमारे कर्मचारी नहीं होंगे। डीटीसी कर्मचारी यूनियन ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “डीटीसी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की मांगों को लेकर सरोजिनी नगर डिपो पर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन जारी है, जो कोई साथी कोई उपद्रव करता है तो वो यूनियन का साथी नही है, वो असामाजिक बंदा होगा। डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन किसी भी असामाजिक तत्वों से कोई लेना देना नही है, हम अनुशासित कर्मचारी है शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन जारी है, हम असामाजिक तत्वों के खिलाफ़ है।

डीटीसी स्थायी कर्मचारियों में से आधे से ज्यादा अनुबंध पर

जानकारी के अनुसार, दिल्ली परिवहन निगम में जो कर्मचारी काम करते हैं उनकी संख्या लगभग 30000 है लेकिन उनमें आधे से ज्यादा अनुबंध यानी कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए हैं। डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के अध्यक्ष ललित चौधरी ने दावा किया कि “करीब 28,000 डीटीसी कर्मचारी अनुबंध के आधार पर हैं, जिनमें 100 प्रतिशत कंडक्टर और लगभग 80 प्रतिशत ड्राइवर अस्थायी रूप से काम पर रखे गए हैं। स्थायी कर्मचारियों के समान कार्य करने के बावजूद, उनका वेतन काफी कम है – अक्सर पाँच गुना कम”।

बसों की हड़ताल का असर आम जनता पर भी

दिल्ली बसों की हड़ताल होने से आम लोगों के लिए भी ये एक चुनौती बन गया है – घर और दफ्तर जाने की चुनौती। लोग घंटों बसों का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में निजी बस, ऑटो और ई-रिक्शा चालक ने भी किराया दुगना कर दिया है, लोगों को मजबूरन दुगनी कीमत देनी पड़ रही है। जो लोग रोजाना दिल्ली के बसों में यात्रा करते हैं, उन्हें मेट्रो का सहारा लेना पड़ा रहा है। मेट्रो तक पहुंचने के लिए भी लोग कई वाहन बदल कर मेट्रो तक लोग पहुंच रहे हैं।

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke