प्रदूषण की वजह से भारत में हर साल लगभग 2 मिलियन या 20 लाख लोगों की मौत होती है। विश्व वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 30 सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहर भारत में हैं व यहां पीएम 2.5 की सालाना सघनता सबसे ज़्यादा रहती है।
बदलते मौसम व जलवायु परिस्थितियों में लगातार बदलाव की वजह से आने वाले दिनों में दिल्ली का दैनिक औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक (air quality index) ‘बहुत खराब’ रहने की उम्मीद है – भारत मौसम विज्ञान विभाग ने इसकी जानकारी दी।
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब रहने की वजह से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management) ने एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार 23 अक्टूबर को एंटी-प्रदूषण प्लान ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान स्टेज-2 (Graded Response Action Plan) लागू कर दिया है।
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) एक रणनीतिक योजना होती है जो विभिन्न प्रकार की आपात स्थितियों, खासतौर पर वायु प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय संकटों के लिए तैयार की गई है। इसका उद्देश्य स्थिति की गंभीरता के अनुसार कदम उठाना है, जिससे लोगों और पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान की जा सके।
GRAP स्टेज-2 के दौरान नियम व प्रतिबंध
GRAP स्टेज-2 के दौरान दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में कोयले और जलाने वाली लकड़ी के साथ डीज़ल जनरेटर सेट के इस्तेमाल पर रोक होगी।
चिन्हित सड़कों पर यांत्रिक सफाई और पानी का छिड़काव भी दैनिक आधार पर किया जाएगा।
निर्माण और विध्वंस स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपाय लागू किए जाएंगे।
भीड़भाड़ वाली जगहों पर यातायात कर्मियों को तैनात किया जाएगा।
लोग निजी परिवहन को इस्तेमाल कम करें इसके लिए वाहन पार्किंग शुल्क बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही और बस और मेट्रो सेवाएं शुरू की जाएंगी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, लोगों को सार्वजिनक परिवहन का इस्तेमाल करने का बढ़ावा दिया जा रहा है व निजी वाहनों के कम उपयोग करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर में लोगों को खुले में ठोस कचरा और बायोमास (जीवित या हाल ही में मरे जीवों से प्राप्त जैविक पदार्थ) को जलाने से मना किया किया गया है।
यह सारे कदम GRAP स्टेज 1 के साथ उठाये जा रहे हैं जो 15 अक्टूबर से प्रभावी रूप में काम कर रहा है। स्टेज 1 के दौरान निर्माण स्थलों के अलावा सड़कों पर मशीन के ज़रिये सफाई कराई जाती है व पानी का छिड़काव होता है। इसके साथ ही खुले में कचरा जलाना,भोजनालयों में कोयले या जलाने वाली लकड़ी के इस्तेमाल पर रोक के साथ,डीजल जनरेटर का इस्तेमाल सीमित कर दिया जाता है।
‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ के साथ धूल प्रदूषण रोकथाम अभियान शुरू
बढ़ते प्रदूषण को काबू में लाने के लिए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को राजधानी में वाहन प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’/Red Light On, Gaadi Off अभियान शुरू किया है। इसमें लोगों से लाल बत्ती जलने के समय पर अपनी गाड़ियों का इंजन बंद करने की अपील की गई है।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए एक ‘ग्रीन वॉर रूप’ की शुरुआत भी की है। धूल प्रदूषण (dust pollution) को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा धूल विरोधी अभियान शुरू किया गया है। इसके साथ ही पराली को विघटित (हटाने/ खत्म) करने के लिए 5,000 एकड़ में बायो-डीकंपोजर ( bio-decomposer) का छिड़काव किया जा रहा है।
बायो-डीकंपोजर, एक माइक्रोबियल लिक्विड स्प्रे होता है जो कार्बनिक पदार्थों को जैविक खाद में बदलने का काम करता है। इसका इस्तेमाल खेतों में पराली, फसल अवशेष, गोबर, कूड़ा, और दूसरे कचरे को जैविक खाद में बदलने के लिए किया जाता है।
भारत में हर साल प्रदूषण से होने वाली मौतें
इकोनॉमिक टाइम्स की जून 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषण की वजह से भारत में हर साल लगभग 2 मिलियन या 20 लाख लोगों की मौत होती है।
इस समय दिल्ली की हवा जान को खतरे में डालने वाली हो रखी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली में इन दिनों पीएम 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर 2.5) की सघनता (density) का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों से काफी ज़्यादा बड़ा हुआ है।
पीएम 2.5, हवा में मौजूद उन छोटे कणों या बूंदों को कहा जाता है जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। इन्हें मानव जीवन के लिए खतरनाक माना जाता है।
विश्व वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 30 सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहर भारत में हैं व यहां पीएम 2.5 की सालाना सघनता सबसे ज़्यादा रहती है।
अच्छे व गंभीर प्रदूषण स्तर के बारे में ऐसे जानें
वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार, पीएम को अलग-अलग स्तर पर अच्छा और खराब बताया गया है जोकि इस तरह से है-
0 से 50 – अच्छा
51 से 100 – संतोषजनक
101 से 200 – मध्यम
201 से 300 – खराब
301 से 400 – बहुत खराब
401 से 450 – गंभीर
450 से ऊपर – गंभीर से अत्यधिक
लगातरा बढ़ते प्रदूषण से आंखो में जलन,सांस लेने में दिक्कत व स्वास्थ्य संबंधी परेशनियां और भी ज़्यादा बढ़ सकती हैं। ऐसा होने पर ज़रूर से डॉक्टर से संपर्क करें व ज़ारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’