खबर लहरिया क्राइम दहेज़ के लिए ली जान या आत्महत्या का मामला? जानिए जासूस या जर्नलिस्ट में

दहेज़ के लिए ली जान या आत्महत्या का मामला? जानिए जासूस या जर्नलिस्ट में

जिला सतना। यहां के प्यारेलाल का आरोप है कि उसने अपनी लड़की की शादी 2018 में बांदा जिले के बिसंडा ब्लाक आने वाले लोहारन पुरवा गांव में अनिल के साथ की थी। शादी के समय मोटरसाइकिल की मांग की गई थी इसलिए वह शादी करने से इंकार कर रहे थे। लेकिन जो बिचौलिया था उसके बीच से समझौता हो गया कि कोई मांग नहीं रखी जाएगी और उसने शादी कर दी।

अपनी हैसियत के हिसाब से खूब दान दहेज दिया, लेकिन शादी के बाद से बराबर लड़की को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। लड़की ने यह बात कई बार मायके वालों को बताई लेकिन यह था कि अब परिवारों में संबंध हो गया है तो झगड़ा आगे ना बढ़ेगा तो दिक्कत होगी। इसलिए वह हर बार समझौता करा देते लेकिन उन दहेज लोभियों ने जब तक उनकी लड़की की जान नहीं ले ली तब तक चैन की सांस नहीं ली।

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प्यारेलाल बताते हैं कि 5 जुलाई 2022 को उसकी लड़की की मौत की सूचना उसके पास आई जिसमें यह कहा गया कि उसकी लड़की ने सल्फास खा लिया है जब वह पहुंचे परिवार सहित लड़की को देखा तो लड़की बुरी स्थिति में थी। पूरे शरीर में चोटे थी । यहां तक कि गुप्तांग में भी मारा गया था। अब लड़की के मौत के 1 महीने हो गए लेकिन पुलिस अभी तक कोई कार्यवाही नहीं कर रही। सिर्फ यह कह रही है कि विवेचना चल रही है। उनको लगता है कि पुलिस विपक्षियों से पैसे पा गई है इस कारण उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही है।

मृतिका की बहन का कहना है कि कि उनकी अपनी बेहेन से फ़ोन पर बात तक नहीं होती थी, क्यूंकि उसे बात नहीं करने दिया जाता था। और जब भी लड़की के मायके वाले थाने में शिकायत करने या एफ आई आर दर्ज कराने की बात करते तब वो यह कह कर मन कर देती कि उसे अब यही अपना जीवन व्यापन करना है, इसलिए शिकायत करने की कोई ज़रुरत नहीं है।

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मृतिका के पति अनिल कहते हैं कि उन्होंने दहेज़ को लेकर के कभी कोई मांग नहीं रखी। उसकी पत्नी का अपने ससुराल वालों से झगड़ा हो गया था जिसके कारण उसने ज़हर खा लिया।
इस मामले को लेकर बदौसा थाना एसो सुबोध कुमार कहते हैं कि मामले की जांच की जा रही है साक्ष्य प्राप्त किए जा रहे हैं। जल्द ही कार्यवाही की जाएगी फिलहाल अभी तो जांच का ही विषय है।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि पीड़ित परिवार चौकी से लेकर बांदा एसपी तक गुहार लगा चुका है, f.i.r. भी दर्ज है और धरा 498a और 304b भी लगी हुई है। लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। ऐसा क्यों है? आखिरकार क्यों अभी तक जांच ही चल रही है जबकि इस घटना को 1 महीने से ऊपर हो गया है? क्या इसी तरह हमेशा महिलाओं और लड़कियों को खूंटी से बंध कर रहना पड़ेगा,कहीं दहेज को लेकर तो कहीं किसी छोटे विवाद को लेकर प्रताड़ना सहनी पड़ेगी और मौत के घाट उतरना पड़ेगा!

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