साल 2019 में सबसे ज़्यादा 2,042 अवैध भारतीय अप्रवासियों को वापस भेजा गया था। साल 2020 में यह संख्या 1,889 थी, 2021 में 805, 2022 में 862, 2023 में 617, 2024 में 1,368, और इस साल अब तक 104 लोग भेजे जा चुके हैं।
साल 2009 से अब तक 15,668 अवैध भारतीय अप्रवासियों को अमेरिका से भारत वापस भेजा जा चुका है – यह जानकारी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वीरवार, 6 फरवरी को राज्यसभा में दी।
पिछले दिनों अमेरिकी सैन्य विमानों द्वारा कई भारतीय अप्रवासियों को पैरों व हाथों में लोहे के कड़े से बांध भारत भेजा गया। बुधवार,5 फरवरी को जब 104 अवैध भारतीय अप्रवासियों को लेकर अमेरिकी सैन्य विमान अमृतसर पहुंचा तो विपक्षी पार्टियों ने उनके साथ हो रहे बुरे बरताव को लेकर आलोचना की और सत्ता की सरकार की निंदा की।
इस आलोचना का जवाब विदेश मंत्री ने राज्यसभा में दिया और कहा कि “अमेरिका द्वारा निर्वासन की प्रक्रिया नई नहीं है… यह कई सालों से चल रही है। यह सिर्फ एक देश की नीति नहीं है। हमारा ध्यान अवैध आप्रवासियों पर कड़ी कार्यवाही करने पर होना चाहिए… हम अमेरिका से इस पर बातचीत कर रहे हैं ताकि निर्वासित व्यक्तियों के साथ कोई बुरा बरताव न हो।”
बता दें, यह 104 अवैध भारतीय अप्रवासी, डोनाल्ड ट्रंप की सरकार द्वारा अवैध आप्रवासियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के तहत भेजा गया पहला ग्रुप था। इनमें 33 लोग हरियाणा और गुजरात से थे, 30 लोग पंजाब से, तीन-तीन महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश और दो लोग चंडीगढ़ से थे।
साल 2009 से अब तक भारतीय अप्रवासियों को भेजे जाने का आंकड़ा
भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, बीते सालों में इस प्रकार से अवैध भारतीय अप्रवासियों को वापस देश भेजा गया है:-
साल 2009 – 734, साल 2010 – 799, साल 2011 – 597, साल 2012 – 530, साल 2013 – 515
विदेश मंत्री जयशंकर के बयान के अनुसार, साल 2014 में जब एनडीए की सरकार सत्ता में तो उस साल 591 लोग वापस भेजे गए। साल 2015 में 708, 2016 में 1,303, 2017 में 1,024 व 2018 में 1,180 लोग भेजे गए।
आगे बताया कि साल 2019 में सबसे ज़्यादा 2,042 अवैध भारतीय अप्रवासियों को वापस भेजा गया था। साल 2020 में यह संख्या 1,889 थी, 2021 में 805, 2022 में 862, 2023 में 617, 2024 में 1,368, और इस साल अब तक 104 लोग भेजे जा चुके हैं।
‘मानवीय’ तरह से लाने के लिए भेजा जाए विमान – विपक्षी पार्टी
भारतीय अप्रवासियों को भेजे जाने के तरीके को लेकर विपक्ष ने भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि क्या केंद्र सरकार अपने नागरिकों को “मानवीय तरीके” से वापस लाने के लिए विमान नहीं भेज सकती।
तृणमूल सांसद साकेत गोखले ने कहा, “हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं… जब कोलंबिया जैसे देश, जो टॉप 10 में भी नहीं हैं, एक विमान भेजकर अपने नागरिकों को इज्जत के साथ वापस ला सकते हैं, तो हमारी सरकार को क्या चीज़ रोक रही है? हमारे पास तो इन विमानों की कमी नहीं है।”
विदेश मंत्री ने इन आलोचनों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,अमेरिका द्वारा निर्वासन का काम इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (आईसीई) द्वारा किया जाता है।
बता दें, आईसीई अमेरिका की एक संघीय एजेंसी है, जो अमेरिकी इमिग्रेशन और कस्टम्स कानूनों को निभाने का काम करती है। इसका मुख्य काम अवैध आप्रवासियों को पकड़ना और उन्हें निर्वासित करना, इसके साथ-साथ अमेरिकी सीमाओं पर तस्करी और अपराधों को रोकना है।
आगे कहा, “अमेरिका द्वारा निर्वाचन का काम इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट के अधिकारियों द्वारा किया जाता है। वहीं आईसीई (ICE) द्वारा साल 2012 से ही निर्वासन के लिए विमान से भेजने की प्रक्रिया को संचालित किया जाता रहा है। मैं फिर से कह रहा हूँ, यह साल 2012 से प्रभावी है और इसमें शहरीरिक बंधन का इस्तेमाल किया जाता है।
हालांकि, हमें आईसीई द्वारा जानकारी मिली है कि महिलाओं और बच्चों को बेड़ियां नहीं पहनाई गई हैं। इसके अलावा निर्वासित लोगों की जरूरतें, जैसे यात्रा के दौरान भोजन, अन्य जरूरी चीजें और स्वास्थ्य संबंधी स्थिति के समय उनकी मदद की जाती है। टॉयलेट ब्रेक के दौरान, अगर जरूरत हो तो निर्वासितों को अस्थायी रूप से बंधन से मुक्त किया जाता है।”
अभी भी कई अवैध भारतीय अप्रवसियों को भेजने का सिलसिला ज़ारी है।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’