खबर लहरिया Blog Data from NCRB report: दिल्ली की लड़की से बलात्कार से लेकर मेघालय में पति की हत्या तक, अपराध कोई भी करे, सजा बराबर होनी चाहिए।

Data from NCRB report: दिल्ली की लड़की से बलात्कार से लेकर मेघालय में पति की हत्या तक, अपराध कोई भी करे, सजा बराबर होनी चाहिए।

दिल्ली में एक बलात्कार का केस और मेघालय में पति की हत्या की घटना, यह दोनों खबर वर्तमान में चर्चा में शामिल है लेकिन इस तरह की खबरों में सजा के मामले में बराबरी नहीं देखी जाती क्यों ? 

NCRB report photo

एनसीआरबी रिपोर्ट तस्वीर (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

लेखन – रचना 

समाज में अपराधों की घटनाएं न केवल कानून व्यवस्था की चुनौती होती हैं, बल्कि यह हमारे सामाजिक मूल्यों, न्यायिक प्रक्रिया और मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाती हैं। हाल ही में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में एक 9 वर्षीय लड़की के साथ हुई बलात्कार और उसकी हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। वहीं, इंदौर की एक महिला ने अपने पति की हत्या के लिए हनीमून के दौरान मेघालय में तीन हत्यारों को बुलवाया, जो एक और चौंकाने वाली घटना है। इन दोनों घटनाओं ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या हमारे समाज में अपराधों की रिपोर्टिंग और न्याय की प्रक्रिया में कोई भेदभाव है? आगे विस्तार से जानते हैं इस आर्टिकल में क्या कहना चाह रहे हैं।

 दिल्ली में 9 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार 

दरअसल शनिवार 7 जून 2025 को दिल्ली के नेहरू विहार इलाके में एक 9 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार की घटना सामने आई, जिसके बाद उसे सूटकेस में बंद कर दिया गया, लड़की जीवित थी लेकिन उसको बलात्कार के बाद एक सूटकेस में बंद कर दिया गया जिससे उसकी मृत्यु हो गई। यह घटना पहली बार नहीं है देश में, और यह घटना न केवल समाज की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि बच्चों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि हो रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2022 में लड़कियों के खिलाफ अपराधों में 10.3% की वृद्धि हुई थी। 2022 के बाद और कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई  है तो ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2025 तक ऐसे कितने ही अपराध सामने आई होंगी। 

इंदौर की महिला द्वारा पति की हत्या की साजिश

 यह घटना 2 जून 2025 की है, 2 जून को सर्च ऑपरेशन के दौरान ट्रांसपोर्ट कारोबारी (एक युवक) राजा का शव मिला, आरोप है कि हत्या उसकी पत्नी सोनम के द्वारा की गई थी। बताया जा रहा है दोनों पति पत्नी अपनी हनीमून के लिए मेघालय गए हुए थे। आरोप है कि इंदौर की सोनम ने अपने पति की हत्या के लिए मेघालय में तीन हत्यारों को बुलवाया। और उसकी हत्या करवाई। घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी सोनम गायब थीं, सोनम की तलाश में पुलिस सर्च अभियान चला रही थी और फिर आज सुबह 9 जून को कई खबरों के मुताबिक मेघालय से करीब 1100 किलोमीटर दूर गाजीपुर में आरोपी मिली।

यह घटना घरेलू हिंसा और रिश्तों में विश्वासघात की गंभीरता को दर्शाती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2022 में भारत में घरेलू हिंसा के 1,48,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। 

 (एनसीआरबी) ‘नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो के आंकड़ों का विश्लेषण

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, भारत में एक साल में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले 4 लाख से ज़्यादा मामले दर्ज किए जाते हैं, और ये आंकडे लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। महिलाओं के खिलाफ यह आंकडे डराने वाले हैं। 2012 में जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध के करीब 2 लाख 44 हजार मामले दर्ज किए गए थे, तो वहीं साल 2022 में 4 लाख 45 हजार से ज्यादा मामले अपराध के दर्ज हुए हैं। यानी हर दिन 1200 से ज्यादा दर्ज किए गए।

अब जानते हैं बीते दस सालों में कितनी बलात्कार के मामले में कितनी बढ़ोतरी देखने को मिली

2012 में बलात्कार की घटना  24,000

 2013 में बलात्कार की घटना 33707 

 2014 में बलात्कार की घटना 36735 

 2015 में बलात्कार की घटना 34651 

 2016 में बलात्कार की घटना 38947 

 2017 में बलात्कार की घटना 32559 

2018 में बलात्कार की घटना 33356 

 2019 में बलात्कार की घटना 32032 

 2020 में बलात्कार की घटना 28046 

 2021 में बलात्कार की घटना 31677  

2022 में बलात्कार की घटना 31516 केस

किस राज्य में बलात्कार के मामले सबसे ज्यादा दर्ज किए गए

इस मामले पर नम्बर वन में है राजस्थान में बलात्कार की घटना 5,399 

 उत्तर प्रदेश में बलात्कार की घटना 3,690

, मध्यप्रदेश में बलात्कार की घटना 3,029 

 महाराष्ट्र में बलात्कार की घटना 2,904 

 हरियाणा में बलात्कार की घटना 1,781

 ओड़िसा में बलात्कार की घटना 1,464

 झारखंड में बलात्कार की घटना1,295 

 छत्तीसगढ़ में बलात्कार की घटना 1,246

 दिल्ली में बलात्कार की घटना 1,212 

एनसीआरबी के रिपोर्ट अनुसार, भारत में हर बीस मिनट में एक बलात्कार की घटना होती है। हर घंटे तीन महिलाओं का बलात्कार होता है।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि दर 39% थी, जो यह दर्शाता है कि अधिकांश मामलों में न्याय नहीं मिल पाता। यह स्थिति न्यायिक प्रणाली की कमजोरियों और समाज में अपराधों के प्रति उदासीनता को उजागर करती है। 

 महिला और पुरुषों के अपराध किए जाने पर भेदभाव

अक्सर देखा जाए तो मीडिया में महिला अपराधों की रिपोर्टिंग को बेहद ही बड़ा बना कर दिखाया जाता है, जबकि पुरुषों द्वारा किए गए अपराधों की रिपोर्टिंग सामान्य हो जाती है। 

अगर रही बात बलात्कार, हत्या, घरेलू हिंसा जैसे अपराधों की तो महिला हो या पुरुष दोनों को सामान नजर से देखा जाना चाहिए और दोनों को सामान अपराध के कटघरे में खड़े करने चाहिए, लेकिन अगर हम देखें तो अगर किसी नाबालिग लड़की का बलात्कार, या किसी युवती से बलात्कार, घरेलू हिंसा या फिर दोस्त, रिश्तेदार, पड़ोसी या पारिवारिक जगहों पर लड़की के साथ हिंसा की जाती है तो आवाज तो उठती है विरोध भी होते हैं और किसी- किसी केस पर न्याय भी पीड़िता को मिलती है, लेकिन एक समय के बाद यह खबर आम बन जाती है।

 समाज का  एक ऐसा ढाँचा बन गया है जहां लड़की के खिलाफ किसी भी तरह के अपराध को सामान्य माना जाता है मानो पुरुषों द्वारा किसी भी तरह का अपराध किया जा सकता है, और इसे हवा देने में सोशल मीडिया का भी ठीक – ठाक हाथ होता ही है। लेकिन अगर बलात्कार या हत्या, चोरी, या दूसरे के पति के साथ सम्बंध बनाना इस तरह की खबर या अपराध महिलाओं के तरफ से देखने या सुनने को मिले तो सभी की आखें उस महिला पर ही टिकी होती है। फिर उनके चरित्र उनके परवरिश पर आसानी से उँगली उठाया जाता है। 

पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई केस देखने को मिले जिसमें महिला द्वारा अपराध किया गया तो वो खबर देश के बड़े खबरों के बीच चर्चा में बनी होती है।

 सवाल है देखने के नज़रिए में कि ऐसे खबरों को कैसे देखें। अपराध अपराध होता है चाहे वो महिला द्वारा किया गया हो या फिर पुरुष, और इस लिए अपराध की सजा भी बराबर हो लेकिन महिलाओं द्वारा अपराध किए जाने पर जिस तरीके से महिला स्वतंत्रता और महिला मुक्ति जैसे शब्दों को बदनाम किया जाता है या मजाक का पात्र बनाया जाता जो निंदनीय है। 

इतना ही नहीं ऐसे में कुछ लोगों द्वारा महिलाओं के ऊपर हो रहे सभी प्रकार के हिंसा को छोटा और कमजोर माना जाता है। हाल ही में मेघालय में पत्नी द्वारा पति की हत्या के केस में देखा जाए तो यह खबर देश कई बड़े खबरों के ऊपर हावी हो रखा है, और दूसरी तरफ दिल्ली में हुई 9 वर्षीय नाबालिग की बलात्कार कर हत्या की खबर छोटा दिखाई देता है। 

इससे समझ आता है लोगों की, समाज की और मीडिया की मानसिकता कि, किस तरह के खबरों को ज़्यादा बढ़ावा दिया जाता है। वर्तमान तक आरोपी सुमन के तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है। अगर वह अपना गुनाह मानती है और उसके ऊपर लगा हत्या का आरोप सच हो जाता है तो निसंदेह आरोपी सुमन को पति की हत्या के लिए कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए लेकिन उस 9 वर्षीय नाबालिग लड़की के आरोपी को भी सजा मिलना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति बलात्कार करने से पहले कानून द्वारा दिए गए सजा से सबक याद रखे। देश में कितने ही अपराधी हिंसा के बाहर जंगली बने घूम रहे हैं।अपने  हैवानियत को दिखाने में देश के कुछ बाबाओं का और नेताओं का या कोई बड़े अधिकारी भी नाम शामिल है लेकिन सवाल है कि क्या किसी के ऊपर कड़ी कार्यवाही की जाती है ? आर भारत के एक वीडियो रिपोर्टिंग के अनुसार, वे बताते हैं कि एनसीआरबी के रिपोर्ट के अनुसार 100 में से केवल 24 आरोपियों को ही सजा मिलती है जो चिंताजनक है।

यह भेदभाव समाज में अपराधों के प्रति दृष्टिकोण को प्रभावित करता है। मीडिया को सभी अपराधों की समान रिपोर्टिंग करनी चाहिए, ताकि समाज में समानता का संदेश जाए।

समाज में अपराधों की समानता और न्याय की प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता है। अपराधों की रिपोर्टिंग में भेदभाव को समाप्त करना होगा और न्यायिक प्रणाली को मजबूत बनाना होगा। सभी अपराधों को समान दृष्टिकोण से देखना और उनका निष्पक्षता से निपटना आवश्यक है। शिक्षा, जागरूकता और सख्त कानूनों के माध्यम से समाज में अपराधों को कम किया जा सकता हैं।

 

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