खबर लहरिया क्राइम ललितपुर: दलित जब भी घोड़ी चढ़ा क्यों सवर्णों का पारा बढ़ा?

ललितपुर: दलित जब भी घोड़ी चढ़ा क्यों सवर्णों का पारा बढ़ा?

दबंग जातियां शादी के दौरान घोड़ी पर चढ़ना अपना विशेषाधिकार समझती हैं, इसलिए दलितों द्वारा ऐसा करना उन्हें बगावत या सामाजिक ताने-बाने का टूटना लगता है।

हमारे देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में छठे नंबर पर पहुंच गई है। लेकिन हमारे देश की सामाजिक व्यवस्था अब भी कई जगहों पर पाताल लोक में पड़ी हुई है। क्योंकि अब भी हमारे देश के कई हिस्सों में दलित दूल्हे का घोड़ी पर चढ़कर बारात ले जाना सवर्ण जाति के लोगों को पसंद नहीं आता। चुनावों में जिन दलितों के घर खाना खाकर नेता दलित प्रेम की ढींगे हांकते हैं, वो राजनीति दलितों को घोड़ी पर चढ़ने की आजादी अब तक क्यों नहीं दिला पाई?

ये भी देखें – दलित दूल्हे के घोड़ी चढ़ने पर किया पथराव, कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज़

वोट मांगने के लिए नेता खुद को पिछड़ा बताकर देश आगे ले जाने की बात करते हैं, तो फिर क्यों ललितपुर जिले में दलित दूल्हे को घोड़ी चढ़कर बारात ले जाने के लिए पुलिस बुलानी पड़ती है? ये समस्या सिर्फ राजनीतिक है या दिक्कत सामाजिक सोच की भी है?

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke