यूपी के बुंदेलखंड के बांदा जिले के कई पंचायत प्रमुखों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक संयुक्त पत्र लिखा है। जिसमें यह कहा गया कि गौशाला परियोजना के लिए राज्य सरकार से मिलने वाली धनराशि उन्हें बहुत समय से नहीं मिली है। जिसकी वजह से गायों की देखभाल में कमी आयी है और गायों की भूख से मौतें भी हुई हैं। द टेलीग्राफ ऑनलाइन की 21 दिसंबर 2020 की रिपोर्ट में इस बात को कहा गया था।
गायों की देखभाल के लिए नहीं मिलता फंड
पंचायत प्रमुखों ने यह तक कहा कि अगर आने वाले 25 दिसंबर तक बकाया धन सरकार द्वारा नहीं दिया जाता तो मजबूरन वह लोग अस्थायी गौशालाओं से गायों को छोड़ देंगे।
जनवरी 2019 से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार आवारा पशुओं के लिए अस्थायी गौवांश आश्रय–स्थल चला रही है। हालांकि, कई जिलों से इस बात की भी रिपोर्ट की गई है कि उन्हें इस साल 2020 में फरवरी और कुछ लोगों को अप्रैल के बाद से सरकार की तरफ से फण्ड नहीं मिला है। जिससे की वह गायों की देखभाल कर सके।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कही गयी ये बातें
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र के अनुसार किसान प्रमुखों ने कहा, ” हम लोग साल 2018 से 43 गौशालाएं चला रहे हैं, जब राज्य सरकार ने आवारा पशुओं के लिए आश्रय स्थल बनाए। लेकिन हमें अप्रैल 2020 से कोई धनराशि प्राप्त नहीं हुई है और यह आशा है कि धनराशि जल्द ही ज़ारी की जाएगी।“
ग्राम प्रधान संघ के नेता ज्ञान सिंह ने कहा कि, “ग्राम पंचायत प्रमुख के रूप में हमारा कार्यकाल 25 दिसंबर 2020 को पूरा हो जाएगा। हम तब सारे पशुओं को छोड़ देंगे ताकि वह भूख से ना मरें।” उन्होंने कहा कि 43 गौशालाओं में 15,000 आवारा गायों को उनके द्वारा भरन–पोषण किया जाता है।
25 दिसंबर के बाद सभी पंचायत प्रमुख आने वाले ग्रामीण चुनावों तक कार्यवाहक के रूप में पदभार संभालेंगे। चुनाव की प्रक्रिया अगले हफ्ते तक शुरू हो जाएगी।
गायों की देखभाल को लेकर की गयी कई बार शिकायत
राज्य सरकार को ग्राम पंचायत को प्रति गाय 30 रुपये देने होते हैं। सरकारी अधिकारियों के अनुसार किसी अस्पष्ट कारण की वजह से इस साल गायों को देखभाल के लिए दिया जाने वाला धन रुक गया।
बुंदेलखंड के वरिष्ठ चिकित्सा विभाग के अधिकारी ने नाम ना छपने की शर्त पर बताया कि, ” हमने पंचायत प्रमुखों की कई शिकायतें ही नहीं बल्कि हमारी तरफ से भी कई बार सरकार को पत्र लिखा है।”
2020 में गायों की देखभाल के लिए नहीं किया गया धन आवंटन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल फरवरी 2019 में गायों के कल्याण के लिए 613 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। लेकिन मौजूदा साल यानी 2020 के लिए ऐसा कोई भी आवंटन नहीं किया गया था। आवंटन ना होने की वजह से गौशालाओं में गायों की देखभाल में कमी आयी। सवाल यह है कि इस साल गायों की देखभाल के लिए धन आवंटन क्यों और किस वजह से नही किया गया?
गाय की हत्या का मामला
17 दिसंबर 2020 को एक गाय को गोली से मारने का मामला सामने आया था। मामला यूपी के आजमगढ़ के जीयनपुर कोतवाली क्षेत्र के देऊपुर कमालपुर गांव का था। 17 दिसंबर की सुबह को एक आवारा गाय किसी के खेत मे घुसकर फसलों को बर्बाद कर रही थी तभी वहां मौजूद सेवानिवृत्त सैनिक चुन्नू लाल ने गाय पर गोली चला दी। गाय की मौके पर ही मौत हो गयी।
आरोपी को पुलिस द्वारा गिरफ्तार करके उसकी बंदूक ज़ब्त कर ली गयी। उस पर गोवध निवारण अधिनियम, गाय पर अत्याचार और मारने की धारा लगायी गयी है। जिसमें 10 साल तक की जेल का प्रावधान है।
पंचायत प्रमुख का यह है कहना
योगी आदित्यनाथ को दिए गए पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले एक पंचायत प्रमुख ने कहा कि, “हमने इन जानवरों को खिलाने के लिए अपना बहुत सारा पैसा खर्च किया है। 25 दिसंबर को हमारा कार्याकाल समाप्त होने के बाद, उनकी देखभाल करने वाला और कोई नहीं होगा। उसके बाद भी उन्हें अस्थायी गौशालाओं में रखने का मतलब उन्हें मारना होगा।“
बुंदेलखंड में हुई गायों की मौत का प्रतिशत
न्यूज़ क्लिक की अप्रैल 2020 की रिपोर्ट में बांदा के किसान नेता प्रेम सिंह कहते हैं कि इस साल जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन के दौरान तकरीबन 60 प्रतिशत गायों की मौत हुई है। इनमें मुख्य रूप से सड़कों पर घूमने वाली गायें थीं, जिनकी मौत चारा–पानी की कमी और भुखमरी से हुई।
वैसे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गाय को “गाय माता” का दर्ज़ा देते हुए, उनकी देखभाल करने के नाम पर बहुत से बड़ी–बड़ी बातें की जाती हैं। लेकिन मौजूदा रिपोर्ट और स्थिति को देखकर यह बात तो साफ़ है कि “गाय माता” सिर्फ राजनीति के लिए हैं। इसके अलावा तो वह बस सड़कों पर आवारा भटकने वाली आम गायें है।
जब सरकार द्वारा गाय की सुरक्षा को लेकर इतनी ज़्यादा बात की जाती है तो राज्य में गाय भूखी क्यों है? उनकी भूख से मौत क्यों हो रही है? अस्थायी गौशाला की जगह उनके लिए स्थायी गौशाला क्यों नहीं बनाए गए हैं? उनकी देखभाल के लिए दिए जाने वाले फंड्स को इतने महीनों से क्यों नहीं दिया गया?