कोरोनावायरस: स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला किया तो होगी 7 साल तक की जेल, जुर्माना भी वसूला जाएगा
नई दिल्ली
कोरोना महामारी से जारी जंग में स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रही हमले की घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आएगी। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू किया जाएगा। यह जानकारी केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने दी। उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना को लेकर रोज होने वाली स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेंस अब चार दिन में एक बार होगी।
If damage is done to the vehicles or clinics of healthcare workers, then a compensation amounting to twice the market value of the damaged property will be taken from the accused: Union Minister Prakash Javadekar pic.twitter.com/XOM6tDP5QA
— ANI (@ANI) April 22, 2020
स्वास्थ्यकर्मियों के ऊपर हो रहे हमले को लेकर सरकार सख्त हो गई है। अध्यादेश में डॉक्टरों पर हमला करने वालों को सजा के अलावा भारी भरकम जुर्माने लगाया जाएगा।
अध्यादेश के जरिए महामारी कानून 1897 में बदलाव कर कड़े प्रावधान जोड़े गए हैं। प्रस्तावित कानून का सबसे अहम पहलू ये है कि इसमें डॉक्टरों को कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई के चलते मकान मालिकों द्वारा घर छोड़ने जैसी घटनाओं को भी उत्पीड़न मानते हुए एक तरह की सज़ा का प्रावधान किया गया है। कैबिनेट की बैठक के बाद फ़ैसले का एलान करते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मेडिकल टीमों के ख़िलाफ़ हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
प्रस्तावित क़ानून का सबसे अहम पहलू ये है कि इसमें डॉक्टरों को कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई के चलते मकान मालिकों द्वारा घर छोड़ने जैसी घटनाओं को भी उत्पीड़न मानते हुए एक तरह की सज़ा का प्रावधान किया गया है। कैबिनेट की बैठक के बाद फ़ैसले का ऐलान करते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मेडिकल टीमों के ख़िलाफ़ हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रस्तावित क़ानून में डॉक्टरों , नर्सों और पैरामेडिकल स्टॉफ समेत अन्य सभी स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला या उत्पीड़न को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में ग़ैर जमानती बना दिया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस तरह के मामलों की जांच 30 दिन में करनी होगी। इसके दोषियों को 3 महीने से 5 साल तक की सजा का प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा उन पर 50 हजार रुपये से 2 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अगर भीड़ के हमले में डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मी गंभीर रूप से घायल हो जाने हैं तो दोषियों को 6 महीने से 7 साल तक की सजा देने का प्रावदान इस अध्यादेश में है। इसके अलावा दोषियों पर एक से 5 लाख रुपये तक की जुर्कमाना लगाने का प्रावधान है।
Health workers who are trying to save the country from this epidemic are unfortunately facing attacks. No incident of violence or harrasamemnt, against them will be tolerated. An ordinance has been brought in, it'll be implemented after President's sanction: Union Min P Javadekar pic.twitter.com/LAvGN1NGnh
— ANI (@ANI) April 22, 2020
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि अगर हमले में मेडिकल टीम में शामिल लोगों की गाड़ियों या उनके क्लीनिक को नुकसान पहुंचता है तो आरोपी लोगों से ही कुल नुकसान की दोगुना धनराशि ली जाएगी। यह पैसा नुकसान हुए सामान की बाजार मूल्य से दो गुने कीमत पर वसूला जाएगा। आइएमए के अलावा शहर के सभी प्राइवेट व सरकारी डॉक्टरों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।
सर गंगाराम अस्पताल के चेयरमैन ने कहा कि मैं सरकार के द्वारा उठाए गए इस कदम का स्वागत करता हूं। इस तरह के कानून की देश को बहुत ज्यादा सख्त जरूरत थी। यह कानून उन शरारती और उपद्रवियों के मन में डर पैदा करेगा जो डॉक्टरों का सम्मान नहीं करते हैं।
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. रमेश गुप्ता ने कहा कि आईएमए इस एक्ट का स्वागत करती है। उन्होंने कहा कि आईएमए पिछले लंबे समय से मांग कर रही थी कि डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाए जाए। हालांकि एक्ट में क्या क्या शामिल किया गया है, वह अभी पूरे तरीके से उन्होंने नहीं पता है। उन्होंने कहा कि मेडिकल स्टाफ व डॉक्टर लोगों की सुरक्षा के लिए कोरोना जैसे हालातों से लड़ रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद डाक्टरों पर हमले करना बहुत ही गलत है। इस फैसले का सभी डॉक्टर स्वागत करते हैं।
अरोड़ा अस्पताल के डॉ. विजय अरोड़ा ने कहा कि कोविड-19 से पहले की बात हो या बाद की बात डॉक्टरों की हर समय यही कोशिश रही है कि मरीजों को अच्छी सेवाएं देकर उनका जीवन बचाया जाए। लेकिन कई जगहों पर डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ पर हमले होने से ना केवल डॉक्टरों का मनोबल गिरता है, बल्कि अन्य मरीज के इलाज को लेकर भी परेशानी होती है। लेकिन अब इस एक्ट से डॉक्टर व स्टाफ अपने आप को सुरक्षित महसूस करेंगे।
गौरतलब है कि देश के कई राज्यों से डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार, पिटाई और घरों में प्रवेश से इनकार करने की खबरें आई हैं। इससे देश के सभी डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ नाराज हैं। शिलॉन्ग और चेन्नई में कोरोनो वायरस का इलाज कर रहे दो डॉक्टरों की मौत हो गई थी। उनका अंतिम संस्कार करते समय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा, क्योंकि स्थानीय लोगों ने दावा किया कि उनके इलाकों में दफनाने से संक्रमण फैल सकता है. इसके अलावा मुरादाबाद और इंदौर में मेडिकल स्टाफ की टीम को पीटा गया था।