सुप्रीम कोर्ट ने 17 जून को केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को बिना किसी कटौती के वेतन के भुगतान करें।न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए क्वारंटीन सुविधाओं को सुनिश्चित किया जाएगा, भले ही वे ज्यादा बीमार न हो लेकिन उनका स्वास्थ्य को नज़रअंदाज बिलकुल नहीं किया जा सकता।
आपको बता दें कि ये सुनवाई एक निजी डॉक्टर डॉ. आरुषि जैन की याचिका पर हो रही है . इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि कोविड-19 के खिलाफ जंग में पहली कतार के योद्धाओं (डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ) को वेतन नहीं दिया जा रहा या फिर वेतन में कटौती की जा रही है. साथ ही भुगतान में भी देरी की जा रही है. यही नहीं इस याचिका में डॉक्टरों के लिए 14 दिन के क्वारंटीन की अनिवार्यता खत्म करने संबंधी केंद्र के नए दिशानिर्देश पर भी सवाल उठाए थे.
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस बारे में 24 घंटे के भीतर ही निर्देश जारी करेगी, ताकि डॉक्टरों तथा स्वास्थ्यकर्मियों के लिए समय से वेतन का भुगतान सुनिश्चित किया जा सके.मेहता ने कहा कि 15 मई के सर्कुलर में आवश्यक सुधार किया जाएगा और कोविड-19 की ड्यूटी में तैनात डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए क्वारंटीन की अनिवार्यता खत्म करने का आदेश हटा दिया जाएगा |
मेहता ने आश्वासन दिया कि कोविड ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए उपयुक्त वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराने के बारे में नया आदेश जारी किया जाएगा.उन्होंने कहा कि केंद्र भी अस्पतालों द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन का भुगतान नहीं किए जाने को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून के तहत आपराधिक बनाने के बारे में सोच रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद और दिल्ली की मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा कि डॉक्टरों को तनख्वाह नहीं मिलने की बात सामने आई थी. ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होनी चाहिए.इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा है कि डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों के वेतन के भुगतान, उचित आवास और क्वारंटीन को लेकर 19 जून तक केंद्र सरकार आदेश जारी करे. केंद्र और राज्य सरकारें उनके वेतन को भी सुनिश्चित करें |
न्यायालय ने कहा था, ‘‘युद्ध के दौरान आप योद्धाओं को नाराज मत कीजिये। थोड़ा आगे बढ़कर उनकी शिकायतों के समाधान के लिये कुछ ज्यादा पैसे का बंदोबस्त कीजिये।’’ न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन का भुगतान नहीं होने जैसे मामलों में अदालतों को शामिल नहीं करना चाहिए और सरकार को ही इसे हल करना चाहिए। पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि ऐसी खबरें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों में चिकित्सकों को वेतन नहीं दिया जा रहा है।
पीठ ने कहा था, ‘‘हमने ऐसी खबरें देखी हैं कि डॉक्टर हड़ताल पर हैं। दिल्ली में कुछ डॉक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं दिया गया है। इसका ध्यान रखा जाना चाहिए था और इसमें न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होनी चाहिए।’’ केन्द्र ने इस संबंध में दलील दी थी कि संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण की गतिविधियां लागू करने की जिम्मेदारी अस्पतालों की है, लेकिन कोविड- 19 से खुद को बचाने की अंतिम रूप से जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है। केन्द्र ने यह भी कहा था कि 7 से 14 दिन की ड्यूटी के बाद स्वास्थ्यकर्मियों के लिये 14 दिन का क्वारंटीन अनावश्यक है और यह न्यायोचित नहीं है।