कोरोना वायरस से भारत में 6 लाख से ऊपर और विश्व में 1 करोड़ से ऊपर लोग संक्रमित है। लेकिन फिर भी जैसे जैसे कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है वैसे वैसे लोगों का डर खत्म हो रहा है । लोग बिना मास्क के घूमते आपको दिख जाएंगे। लेकिन अब वो लोग सतर्क हो जाय, उनके लिए एक बुरी खबर है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना हवा से भी फैलता है।
कोरोना को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 32 देशों के 200 से अधिक वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के साक्ष्य हैं कि हवा के साथ छोटे कणों में चिपककर कोरोनावायरस लोगों को संक्रमित कर सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्हें इस बात के सबूत मिले हैं । रिसर्च के बाद इन वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को कोविड 19 को लेकर की गई सिफारिशों में संशोधन करने को कहा है।
रिपोर्ट के अनुसार लोगों के वापस बार, रेस्तरां, कार्यालयों, बाजार और कसिनो जाने से विश्व स्तर पर कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं और इसमें लगातार पुष्टि हुई है कि वायरस बंद जगहों पर ठहर जाता है और आस-पास के लोगों को संक्रमित करता है। वैज्ञानिकों ने डब्ल्यूएचओ से कहा है कि वह इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाए। वैज्ञानिकों ने कहा है कि संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकलने वाले बड़े बूंदों (ड्रॉपलेट) के साथ ही उसके सांस छोड़ने के दौरान बाहर आने वालीं पानी की छोटी-छोटी बूंदें भी एक कमरे जितनी दूरी तक हवा में फैल सकती हैं और ये दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकती हैं।
डब्ल्यूएचओ ने हवा से कोरोना फैलने के दावे को नकारा
बता दें कि डब्ल्यूएचओ कहता आया है कि कोरोनावायरस से फैल रही कोविड-19 महामारी का वायरस एक व्यक्ति के खांसने, छींकने या बोलने के दौरान उसके नाक और मुंह से निकले हुए ड्रॉपलेट्स के जरिए दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करता है। डब्ल्यूएचओ कोरोनावायरस के हवा से फैलने के दावों को खारिज करता रहा है। उसका कहना है कि वायरस बड़े कणों से फैलता है और इसके कण इतने हल्के नहीं हैं कि वो हवा के साथ एक जगह से दूसरी जगह पहुंच पाएं. संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने अभी तक खांसने और छींकने को ही कोरोना वायरस फैलने का मुख्य कारण बताया है।