नई दिल्ली
पिछले दिनों दिल्ली मरकज से एक खबर आई, जिसके बाद सभी मीडिया हाउस से कोरोना वायरस गायब हो गया और मुसलमान की वजह से ये वायरस फैल रहा है, मुसलमान फैला रहा है कोरोना जिहाद। ऐसी खबरें जगह लेने लगी। ये खबर थी निज़ामुद्दीन स्थित तब्लीगी, जमात और मरकज की।
बीते हफ्ते, एक अप्रैल को निजामुद्दीन में स्थित तबलीगी जमात के मरकज में करीब हजारों लोग इकट्ठा रह रहे थे। निजामुद्दीन मरकज में एक मार्च से 15 मार्च तक तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया था। अभी तक तबलीगी जमात से जुड़े लगभग 9000 लोगों की पहचान कर क्वारंटाइन किया जा चुका है। इनमें से 400 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्यों के हिसाब से आंकड़े भी दिए।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने शनिवार को बताया कि तबलीगी जमात से जुड़े केस तमिलनाडु, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, अंडमान निकोबार, उत्तराखंड, हिमाचल, झारखंड सहित 17 राज्यों से सामने आए हैं।
निज़ामुद्दीन स्थित तब्लीगी, जमात और मरकज की खबर मिलते ही सभी तरफ हाहाकार सा मचने लगा, हर तरफ से सवाल उठने लगे कि क्यों इतने लोग इकट्ठा हुए, जबकि लॉकडाउन था। हालांकि इसपर मरकज कमेटी के लोगों ने जवाब दिया कि वो लगात्र प्रशासन से बातचीत कर रहे थे लेकिन इसके बावजूद इस मुद्दे को हर तरह से सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई।
तबलीगी जमात की ओर से आया ये बयान
-जब ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान हुआ, उस वक्त बहुत सारे लोग मरकज में थे। उसी दिन मरकज को बंद कर दिया गया। बाहर से किसी को नहीं आने दिया गया। जो लोग मरकज में रह रहे थे उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया जाने लगा।
जनता कर्फ्यू के साथ-साथ 22 मार्च से 31 मार्च तक के लिए दिल्ली में लॉकडाउन का ऐलान हो गया। बस या निजी वाहन भी मिलने बंद हो गए. पूरे देश से आए लोगों को उनके घर भेजना मुश्किल हो गया।
– प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आदेश मानते हुए लोगों को बाहर भेजना सही नहीं समझा. उनको मरकज में ही रखना बेहतर था। हमने एसडीएम को अर्जी देकर 17 गाड़ियों के लिए कर्फ्यू पास मांगा ताकि लोगों को घर भेजा जा सके। हमें अभी तक को पास जारी नहीं किया गया। 25 मार्च को तहसीलदार और एक मेडिकल कि टीम आई और लोगों की जांच की गई। हमने लगातार पुलिस और अधिकारियों को जानकारी दी के हमारे यहां लोग रुके हुए हैं।
सात लोगों पर दर्ज किया गया मुकदमा
कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज़ पर एफआईआर दर्ज की गई है। यह मामला एपेडिमिक डिसीज़ एक्ट, डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट और आईपीसी की धारा 188,259,270,120बी और 271 के तहत दर्ज किया गया है।
इस मामले में कुल सात लोगों पर केस दर्ज किया गया है। यह लोग मौलाना मोहम्मद साद, मोहम्मद असरफ, मुफ़्ती शहजाद, मोहम्मद जीशान, मुर्सलीन सैफी, मोहम्मद सलमान और यूनुस हैं। शिकायतकर्ता निज़ामुद्दीन थाने के एसएचओ मुकेश वलियान की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है।
एफआईआर के मुताबिक शिकायतकर्ता ने बताया कि कोविड 19 के खतरे को देखते हुए दिल्ली सरकार ने 12 मार्च को ही एडवाइजरी जारी कर थी, जिसमें एडवाजरी का पालन न करने वालों के खिलाफ आईपीसी के 188 के तहत कार्रवाई करने का अधिकार था। यह एडवाइजरी एक महीने के लिए जारी की गई थी। इसके बाद 16 मार्च को दिल्ली सरकार ने फिर से एडवाइजरी जारी की थी कि दिल्ली में किसी भी तरह के कार्यक्रम 50 से ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते। यह आदेश भी 31 मार्च तक के लिए था।
बांदा मदरसे में लगाई गई पाबंदी
बांदा का मदरसा जामिया अरबिया, हथौरा को तत्काल प्रभाव से होम क्वारंटीन कर दिया गया है। यहां के छात्र और स्टाफ के बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई है। औरैया में शामली जिले से आए तब्लीगी जमात के 13 लोगों के सैंपल बृहस्पतिवार को लखनऊ भेजा गया है। वहीं कानपुर में तब्लीगी जमात के 50 लोगों को क्वारंटीन किया गया। हरदोई में 14 जमातियों के विरुद्ध पिहानी कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज की गई है। इस बीच उन्नाव में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में धार्मिक जलसे में शामिल हुए कुरसठ कस्बा निवासी दोनों मौलवी की मेडिकल रिपोर्ट निगेटिव आई है।
मंडलायुक्त गौरव दयाल और डीआईजी दीपक कुमार ने बुधवार यानि एक अप्रैल को विश्व विख्यात मदरसा जामिया अरबिया हथौरा सहित कई स्थानों में लॉकडाउन व्यवस्थाओं का जायजा लिया। विकास भवन में चल रहे कंट्रोल रूम और कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय का निरीक्षण किया।
जिसके बाद मंडलायुक्त ने बताया कि हथौरा मदरसे में प्रबंधक ने अवगत कराया कि ज्यादातर छात्र लॉकडाउन की वजह से अपने घरों को नहीं जा पाए हैं। वह अपने-अपने कमरों में रह रहे हैं। सभी छात्र स्वस्थ हैं। आयुक्त ने कहा कि जितने भी छात्र हैं उनका स्वास्थ्य परीक्षण समय-समय पर करवा लें। किसी छात्र में कोविड-19 के लक्षण पाए जाते हैं तो जिला अस्पताल में परीक्षण करवा लें।
क्या हैं तब्लीगी, जमात और मरकज?
आइए आपको बताते हैं कि तब्लीगी, जमात और मरकज का मतलब क्या होता है। तब्लीगी, जमात और मरकज ये तीन अलग-अलग शब्द हैं। तब्लीगी का मतलब होता है, अल्लाह के संदेशों का प्रचार करने वाला। जमात मतलब है समूह और मरकज का अर्थ होता है बैठक आयोजित करने की जगह। यानी की अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह। तब्लीगी जमात से जुड़े लोग जो पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं।
इस तरह से करता है काम
तब्लीगी जमात के मरकज से ही अलग-अलग हिस्सों के लिए तमाम जमातें या समूह या फिर आप इसे जत्था भी कह सकते हैं, निकलती हैं। सुबह के वक्त ये हदीस पढ़ते हैं और नमाज पढ़ने और रोजा रखने पर इनका ज्यादा जोर होता है। जमात में शामिल लोग सुबह-शाम शहर में निकलते हैं और लोगों से नजदीकी मस्जिद में पहुंचने के लिए कहते हैं। यह जमात तीन दिन, पांच दिन, दस दिन, 40 दिन और चार महीने तक की यात्रा पर जाती हैं। इस तरह से ये अलग-अलग इलाकों में इस्लाम का प्रचार करते हैं और अपने धर्म के बारे में लोगों को बताते हैं।