अमेज़न प्राइम वीडियो के शो ‘तांडव‘ के निर्माताओं ने सोमवार, 19 जनवरी की शाम को महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश पुलिस की शिकायत के बाद ‘बिना शर्त‘ माफ़ी ज़ारी की है। शिकायतकर्ताओं द्वारा आरोप लगाया गया कि शो के निर्माताओं द्वारा नाटक के कुछ दृश्यों में ‘हिंदू देवी–देवताओं का अपमान किया गया है।” निर्माता द्वारा दिये गए बयान में कहा गया कि अपमान अनजाने में हुआ और पूरी वेब सीरीज़ ” काल्पनिक है और किसी भी कृत्यों और व्यक्तियों और घटनाओं में कोई संबंध नहीं है।“
सीरीज़ में सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया और मोहम्मद जीशान अय्यूब शामिल हैं। शुक्रवार, 17 जनवरी को शो रिलीज़ होने के बाद से ही लोगों में सीरीज़ को लेकर काफ़ी गुस्सा देखने को मिला। यहां तक की यूपी के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा भी सीरीज़ को लेकर टिप्पणी की गयी, जिसे ओवर द टॉप सामग्री और चेतावनी के रूप में देखा गया।
मामले के कुछ मुख्य बिंदु
1️⃣ ‘तांडव‘ के कलाकारों और दल ने कहा कि उन्होंने “चिंताओं का संज्ञान लिया है और वह बिना शर्त माफी मांगते हैं। अगर सीरीज़ ने अनजाने में किसी की भी भावनाओं को आहत किया है“। यह माफी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के बाद आई है, जिसमें ओटीटी यानी ओवर द टॉप सामग्री पर सेंसर लगाने और अमेज़न से सीरीज़ को लेकर प्रतिक्रिया मांगी गयी थी।
2️⃣ कम से कम दो शिकायतें सीरीज़ को लेकर दर्ज की गई हैं। एक लखनऊ में एक पुलिसकर्मी द्वारा और दूसरी रविवार, 18 जनवरी को मुंबई में राम कदम द्वारा। यूपी पुलिस ने आरोप लगाया कि पहले एपिसोड के 17 मिनट में “लोगों ने हिंदू देवी–देवताओं को दर्शाने के लिए वस्त्रों को बुरी तरह से धारण कर रखा था….जो की धार्मिक भावनाओं को चोट करता है।” राम कदम ने अपनी शिकायत में कहा कि धार्मिक भावनाओं का अपमान “हर बार” किया जाता है। राम कदम बीजेपी पार्टी में विधायक के रूप में कार्यरत है।
3️⃣ यूपी पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक प्रमुख सहयोगी ने कुछ नामों को “कीमत चुकाने के लिए तैयार रहने” के लिए चेतावनी दी।
4️⃣ तांडव सीरीज़ के आने के बाद भाजपा नेताओं और लोगों ने काफ़ी आक्रोश दिखाया। जिसके बाद मुंबई पुलिस ने दो अमेज़न इंडिया के कार्यायल और सैफ अली खान के घर पर सुरक्षा बढ़ा दी।
5️⃣ रविवार, 18 जनवरी को बीजेपी पार्टी के विधयाक राम कदम ने ट्वीट करते हुए कहा, “सैफ अली खान एक बार फिर एक फिल्म या श्रृंखला का हिस्सा हैं, जिसमें हिंदू भावनाओं को चोट पहुंचाया गया है“। पिछले महीने मिस्टर खान की रिलीज़ होने वाली फिल्म ‘आदिपुरुष‘ में उन्होंने रावण के चरित्र के बारे में “मानवीय” पक्ष की टिप्पणी पर आलोचना की थी। जिसके बाद में उन्होंने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी थी।
6️⃣’तांडव‘ को लेकर नाराजगी जताने वालों में भाजपा नेता कपिल मिश्रा भी शामिल हैं। जिस पर फरवरी 2020 में दिल्ली में हुई हिंसा को भड़काने वाले भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। उन्होंने कहा, “वेब श्रृंखला ऑनलाइन उपलब्ध है जो हमारे धर्म और हमारे देवताओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर घृणा फैलाने वाले आतंकवादियों को हीरो बना रही है …”
7️⃣ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, जिनके राज्य में नेटफ्लिक्स के खिलाफ़ प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि विक्रम सेठ के ‘अ स्यूटेबल बॉय‘ सीरीज़ ने धार्मिक भावनाओं को आहत किया था। उन्होंने यह भी कहा, “हमारे देवी–देवताओं का अनादर करने का अधिकार किसी को नहीं है और मेरी राय में हमें ओटीटी प्लेटफार्मों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है क्योंकि वे अश्लील सामग्री दिखा रहे हैं। ” ओटीटी प्लेटफार्म इंटरनेट के माध्यम से वीडियो या अन्य मीडिया से जुड़े कंटेंट यानी सामग्री दिखाते हैं। जिसमें फिल्में आदि शामिल हैं।
8️⃣ तांडव सीरीज़ को लेकर राजनीतिक विरोध प्रदर्शन भी किया गया। जिसमें समाजवादी पार्टी ने भाजपा की आलोचना की तो वहीं जेडीयू पार्टी ने भाजपा का समर्थन किया। जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि राजनेता फिल्म सामग्री का फैसला नहीं कर सकते हैं और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा किसानों के विरोध से ध्यान हटाने के लिए ‘तांडव‘ पर ‘तांडव (विनाश का शिव का नृत्य) कर रही है।‘
पिछले कुछ हफ्तों में प्राइम और नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी पर धार्मिक या राष्ट्रीय भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया गया है। जैसे – अनिल कपूर और अनुराग कश्यप की एक नेटफ्लिक्स फिल्म – जिसमें अनिल कपूर एक वायु सेना अधिकारी की भूमिका निभाते हैं। पात्र को लेकर यह आलोचना की गयी कि ” भारत के सशस्त्र बलों का व्यवहार मानदंडों के अनुरूप” नहीं है। जिसके बाद अनिल कपूर ने माफी मांगते हुए कहा कि अनजाने में भावनाएं आहत हुई हैं।
नवंबर 2020 में प्राइम और नेटफ्लिक्स जैसे ऑनलाइन समाचार पोर्टल और कंटेंट प्रोवाइडर को केंद्र द्वारा प्रकाश जावड़ेकर के मंत्रालय के अंदर लाया गया था। लगातार सीरीज़ और फ़िल्म पर धार्मिक भावनाओं के नाम पर उठाए जा रहे सवालों ने नाटकीय रूप ले लिया है। जिसमें राजनेताओं के पात्र कथित तौर पर यह जानते हुए कि नाटक की कहानी काल्पनिक हैं। इसके बावजूद भी उस पर अपना संकोच जता रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि फ़िल्म या सिरीज़ की सामग्री कैसी, कितनी और कैसे पेश की जानी चाहिए। यह मापदंड कौन करेगा?