गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बहस के दौरान बी.आर.अंबेडकर के नाम लेने को फैशन बताया। संविधान के 75 साल पूरे होने के अवसर पर गृह मंत्री ने कांग्रेस को सम्बोधित करते हुए यह टिप्पणी की। यह टिप्पणी अमित शाह ने कल 17 दिसंबर 2024 को राज्यसभा में कही। कांग्रेस ने बी.आर.अम्बेडकर के अपमान का आरोप और इसके लिए अमित शाह से माफ़ मांगने की मांग की।
सत्ता पक्ष राजनीति के दलदल में इतने गहरे उतर गए हैं कि विपक्ष पर कटाक्ष करने के लिए विवादित टिप्पणी कर देते हैं। राज्यसभा में कल मंगलवार 17 दिसंबर 2024 को संविधान को लेकर चर्चा हो रही थी। भारत के संविधान पर बहस के दौरान गृह मंत्री ने इस तरह का बयान दिया किया जो काफी विवादस्पद है।
विपक्ष द्वारा बी.आर.अम्बेडकर का बार-बार नाम लेने पर गृह मंत्री हुए नाराज
गृह मंत्री अमित शाह ने बाबा साहेब अंबेडकर के नाम का बार-बार इस्तेमाल करने पर कहा, ” अभी एक फैशन हो गया है, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर..इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।” आप गृहमंत्री अमित शाह को वीडियो में यह कहते हुए देख व सुन सकते हैं।
https://x.com/Jairam_Ramesh/status/1869052435001381201
उन्होंने आगे यह भी कहा, “उनका नाम 100 बार और ले लो, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि उनके बारे में आपकी क्या भावनाएं हैं।”
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कांग्रेस पार्टी ने लगाया आरोप
इस तरह के बयान से कांग्रेस पार्टी ने विरोध जताया। कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता जयराम रमेश ने कहा, “इस टिप्पणी से पता चलता है कि भगवा पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं में बी.आर. अंबेडकर के लिए “बहुत नफरत” है और उन्हें माफी मांगनी चाहिए।” उन्होंने सोशल मीडिया X पर वीडियो के साथ इस बात को लिखा।
https://x.com/Jairam_Ramesh/status/1869052435001381201
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
इस पर विपक्ष के लोकसभा नेता राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा कि “जो लोग मनुस्मृति में विश्वास रखते हैं, वे निश्चित रूप से अंबेडकर से असहमत होंगे।”
गृहमंत्री अमित शाह द्वारा इस तरह का बयान क्या सही है? बी. आर. अंबडेकर का नाम लेना उनके लिए फैशन हो सकता है लेकिन क्या सच में ऐसा है? देखा जाए तो अंबडेकर को मानाने वालों के लिए अंबडेकर भगवान से अहमियत रखते हैं तो वे इस तरह के बयान उनकी भावनाओं पर भी चोट है। संसद में राजनीतिक मुद्दों में अकसर इस तरह की टिप्पणी करना जो किसी की भावनाओं को आहत पहुंचाती हो, क्या सही है?
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