वाराणसी जिले के हिरावन ग्राम सभा (जो अब नगर निगम में है) में पानी की निकासी की समस्या से लोग 10 सालों से झूझ रहे हैं। यहां की सड़कों पर हमेशा पानी जमा रहता है। वाराणसी जिले के बरई ग्राम सभा में एक साल पहले पानी सप्लाई के सड़क की खुदाई की गई थी जो अब तक अधूरी पड़ी हुई है। यहां न अभी तक कोई पाइप लाइन डाली गई हैं और न ही सड़क की मरम्मत हुई है बस विकास के नाम पर सड़कों को खोद दिया गया है।
लेखन – सुचित्रा
मुख्यमंत्री योगी ने यूपी में सड़कों पर गड्ढा, उसकी मरम्मत और जल निकासी का काम 10 अक्टूबर से पहले पूरे करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह निर्देश मंगलवार 23 सितम्बर 2024 को अधिकारियों के साथ हुई बैठक में दिया। उन्होंने कहा, सड़कों का निर्माण पूर्ण गहराई पुनर्ग्रहण (एफडीआर) पद्धति से हो यानी वर्तमान सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्रियों का फिर से इस्तेमाल करना है। उन्होंने कहा इसके लिए पैसों की कमी नहीं होगी। उन्होंने यह फैसला आने वाले महीनों में नवरात्रि, दशहरा और दिवाली में होने वाली भीड़ और यातायात को देखते हुए लिया है। उन्होंने कहा कि सड़कों पर इस दौरान भीड़ बढ़ जाती है, ऐसे में पर्यटकों और लोगों को सुख की अनुभूति होनी चाहिए।
यूपी में सड़कों पर कई गड्ढे देखने को मिलते हैं। यूपी के कई गांव ऐसे हैं जहां सड़कें नहीं है पर वहां की सड़कों का ख्याल सरकार को नहीं आता है। मुख्यमंत्री योगी ने सड़कों की मरम्मत को लेकर जो निर्देश दिए हैं उसमें अधिकतर जोर मंडी समिति के अंतर्गत आने वाली सड़कों पर है। उन्होंने कहा, “किसान सड़कों के प्राथमिक उपयोगकर्ता हैं और उनकी सुविधा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”
मुख्यमंत्री ने इन सड़कों की मरम्मत और जल निकासी का काम और साथ ही निर्माण की गुणवत्ता पर विशेष जोर देने के लिए कहा है। इसके साथ ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों से बातचीत करते हुए कहा जब तक राजमार्ग का निर्माण पूरी तरह से पूरा नहीं हो जाता, तब तक टोल टैक्स नहीं लिया जाना चाहिए।
यदि सड़कें किसानों के उपयोग के लिए बनाई जाती हैं, तो जहां किसान रहते हैं वहां की सड़कें पक्की क्यों नहीं है? यूपी के बहुत से ऐसे गांव हैं जहां किसान सड़क को लेकर परेशान रहते हैं। उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है क्योंकि कच्ची सड़कों पर किसी प्रकार का वाहन नहीं मिलता। लोग मीलों दूर चलते हैं तब जाकर उन्हें पक्की सड़क मिलती है जिनकी हालत भी ज्यादा सुधरी नहीं होती।
एफडीआर पद्धति का करें इस्तेमाल
मुख्यमत्री योगी ने कहा कि सड़कों का निर्माण पूर्ण गहराई पुनर्ग्रहण (एफडीआर) से किया जाना चाहिए ताकि प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा की जा सके। इस पद्धति को इस्तेमाल करने के पीछे कम लागत और कम समय और काम की गुणवत्ता बढ़ना बताया।
सड़क निर्माण के बाद अगले पांच वर्षों की लें जिम्मेदारी
उन्होंने सभी विभागों को निर्देश देते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करें कि सड़क निर्माण एजेंसी या ठेकेदार सड़क निर्माण के बाद अगले पांच वर्षों तक उसके रखरखाव की जिम्मेदारी ले तथा कार्य के लिए जवाबदेही भी दें।
सड़कें जो सालों से हैं खराब
वाराणसी जिले के हिरावन ग्राम सभा (जो अब नगर निगम में है) में पानी की निकासी की समस्या से लोग 10 सालों से झूझ रहे हैं। यहां की सड़कों पर हमेशा पानी जमा रहता है। वाराणसी जिले के बरई ग्राम सभा में एक साल पहले पानी सप्लाई के सड़क की खुदाई की गई थी जो अब तक अधूरी पड़ी हुई है। यहां न अभी तक कोई पाइप लाइन डाली गई हैं और न ही सड़क की मरम्मत हुई है बस विकास के नाम पर सड़कों को खोद दिया गया है।
वाराणसी, ब्लॉक चोलापुर, गाँव कटारी में लगभग 500 मीटर तक कच्ची सड़क है।
यूपी के बाँदा जिले की ग्राम पंचायत मूंगुस गांव में भी लोगों को पक्की सड़क की सुविधा नहीं है। लोग आज भी कीचड़ में से होकर गुजरते हैं। यहां 12 महीने पानी जमा रहता है और लोगों के साथ दुर्घटना होने का खतरा भी बना रहता है।
प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत वाराणसी के चोलापुर दानगंज की सड़क निर्माण के बोर्ड लगाए गए थे, पर आज भी यहां की सड़कों पर लोगों के लिए चलना खतरे से खाली नहीं है।
इन उदाहरणों को देखने और पढ़ने से आपको यूपी के सड़कों की सच्चाई का पता चल जायेगा। ये तो कुछ ही नाम है और न जाने कितने नाम है जिनकी चर्चा खबरों में नहीं होती है। इन सड़कों की हालत देख के आपको लगता है कि क्या सड़कों के इन निर्देशों को बखूबी से निभाया जाएगा? क्या सच में जो समय सीमा दी गई हैं उसके अंतर्गत ये काम पूरा हो सकेगा। क्या सड़कों पर चलने पर सुख का अनुभव होगा? क्या यूपी के सड़कें गड्ढा मुक्त हो जाएँगी क्योंकि आज भी वे सड़कें गड्ढे भरने और मरम्मत की राह देख रही हैं, पर उनकी हालत ज्यों की त्यों बनी हुई है।
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