सीएए के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। विरोध इतना फ़ैल गया है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पुतले और कानून की प्रतियां जलाई गईं।
लोकसभा चुनाव होने ही वाले हैं ऐसे में केंद्र सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) को देश में लागू कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड का जनता से ध्यान हटाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। सोमवार 11 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कानून को लागू करने के लिए नियमों की सूचना जारी की थी। इस कानून को 2019 में संसद में पास किया गया था। जानकरी के अनुसार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से गैर-मुस्लिम लोग जो 31 जनवरी 2014 से पहले भारत आए थे। उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी। इस कानून को लेकर भारी प्रदर्शन भी हुए थे। अब भी असम में CAA को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है।
लाइव मिंट की रिपोट के अनुसार, हिमंत सरमा के हवाले से कहा, “मैं असम का बेटा हूं और अगर राज्य में एनआरसी के लिए आवेदन नहीं करने वाले एक भी व्यक्ति को नागरिकता मिलती है, तो मैं इस्तीफा देने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा।”
सीएए के खिलाफ पूरे असम में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। विरोध इतना फ़ैल गया है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पुतले और कानून की प्रतियां जलाई गईं।
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एएनआई ने सोशल मीडिया X पर वीडियो शेयर किया। इस वीडियो में CAA अधिसूचना पर कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, “इस नियम को लाने में उन्हें 4 साल और 3 महीने लग गए। विधेयक दिसंबर 2019 में पारित किया गया था। 3-6 महीने के अंदर कानून बन जाना चाहिए था। ये सिर्फ पश्चिम बंगाल और असम में चुनावों को प्रभावित करने के लिए लागू किया गया। इलेक्ट्रोल बॉन्ड के घोटाले को छुपाने के लिया चुनाव के समय ये किया गया है।”
#WATCH CAA अधिसूचना पर कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, "इस नियम को लाने में उन्हें 4 साल और 3 महीने लग गए। विधेयक दिसंबर 2019 में पारित किया गया था। 3-6 महीने के अंदर कानून बन जाना चाहिए था। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से नौ एक्सटेंशन मांगे और कल रात नियमों को… pic.twitter.com/qDFKPz6xLK
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 12, 2024
गृह मंत्रालय ने X पर यह जानकारी दी, “पूरी तरह से ऑनलाइन मोड” में आवेदन जमा कर सकते हैं। आवेदकों से कोई अन्य दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा।”
Ministry of Home Affairs (MHA) will be notifying today, the Rules under the Citizenship (Amendment) Act, 2019 (CAA-2019). These rules, called the Citizenship (Amendment) Rules, 2024 will enable the persons eligible under CAA-2019 to apply for grant of Indian citizenship. (1/2)
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) March 11, 2024
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट किया, “ये नियम अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को हमारे देश में नागरिकता प्राप्त करने में सक्षम बनाएंगे। इस अधिसूचना के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की है और उन देशों में रहने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिए हमारे संविधान निर्माताओं के वादे को साकार किया है।”
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CAA क्या है?
CAA(Citizenship Amendment Act) नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों के के तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश, जिनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान शामिल हैं। यदि वे गैर- मुस्लिम समुदाय अर्थात हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी हो तो उन्हें भारतीय नागरिकता मिलने में आसानी होगी। ये उन लोगों के लिए जो 31 जनवरी 2014 से पहले धर्म की वजह से अपने देश में परेशानी का सामना कर रहे थे। नागरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पास किया गया था। अब 4 साल बाद 2024 में इसे लागू कर दिया गया है।
सीएए के कानून के नियमों की अधिसूची के बारे में इस लिंक पर देख सकते हैं।
विपक्ष कर रहें हैं विरोध
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केरल और पश्चिम बंगाल के साथ-साथ अन्य राज्यों ने कहा है कि वे सीएए लागू नहीं करेंगे।
कांग्रेस नेता और केरल के एलओपी वीडी सतीसन ने कहा, “यह देश को बांटने के लिए उठाया गया कदम है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक लाभ लेने के लिए यह बीजेपी सरकार का कदम है। हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे। हम कानूनी तौर पर भी इसका विरोध करने की पूरी कोशिश करेंगे। हम कभी भी ऐसे कदमों का समर्थन नहीं करेंगे जो लोगों के धर्म के अनुसार नागरिकता तय करते हों।”
इलेक्टोरल बॉन्ड के बारे में जाने
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दलों को चंदा(पैसे) देने का एक वित्तीय माध्यम है। यह एक वचन पत्र जैसा होता है। जिसे भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से ख़रीद सकता है। इन पैसों को वह अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीक़े से दान कर सकता है।
चुनावी इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताया
एनडीटीवी इंडिया की रिपोट के अनुसार, पिछले महीने फरवरी में एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को “असंवैधानिक” ठहराया और कहा कि यह नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है । एसबीआई (SBI) को 6 मार्च तक डेटा प्रस्तुत करने और मतदाता पैनल को 13 मार्च तक यह जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने कल मंगलवार 12 मार्च शाम को भारत के चुनाव आयोग को चुनावी बांड का डेटा सौंप दिया।
चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया X पर इसकी जानकारी दी।
In compliance of Hon’ble Supreme Court's directions to the SBI, contained in its order dated Feb 15 & March 11, 2024 (in the matter of WPC NO.880 of 2017), data on electoral bonds has been supplied by State Bank of India to Election Commission of India, today, March 12, 2024.
— Spokesperson ECI (@SpokespersonECI) March 12, 2024
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