चित्रकूट जिले के पांचों तहसीलों में स्टाम्प पेपर विक्रेता बेरोज़गार बैठे हुए हैं। कर्वी तहसील के स्टैंप विक्रेताओं ने बताया, उन्हें मार्च से स्टैम्प पेपर बेचने को नहीं मिला है। ज़्यादा से ज़्यादा 2 से 4 स्टैम्प पेपर बेचने को मिलते हैं।
इससे उनके घर की स्थिति बहुत खराब है। खाने पीने की तो दिक्कत है ही। वह बच्चों की फीस भी नहीं दे पा रहे हैं। वह घर नहीं चला पा रहे हैं। उनके पास दूसरा कोई रोज़गार भी नहीं है। अब कंप्यूटर से काम करने का नियम आ गया जिसमें लगभग ढाई लाख का खर्च है। इसके अलावा उन्हें कंप्यूटर चलाना भी आना चाहिए। इसके अलावा बचत खाते ने 1 लाख रुपये भी जमा होना चाहिए।
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स्टैम्प पेपर का इस्तेमाल किसी भी चीज़ की प्रामाणिकता के समर्थन के लिए किया जाता है। जैसे: खरीद व बिक्री, शपथ पत्र, ऋण समझौतें आदि। इन सब चीजों की वैधता कानूनी मंजूरी स्टैम्प के ज़रिए की जाती है।
लोग कहते हैं कि वह इतने पैसे हम कहां से लाएं। जिस तरह से उन्हें पहले स्टैम्प पेपर दिए जा रहे थे उसी तरह से अगर उन्हें मिलते रहे तो उनका रोज़गार चलता रहेगा वरना तो वह भुखमरी की कगार पर हैं।
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