‘परिवार नियोजन योजना’, सरकार द्वारा शुरू की गयी योजना है। इस योजना के अंतर्गत गर्भनिरोध हेतु कुछ विधि बताई गयी है जिसमें नसबंदी भी शामिल है।
अमूमन हमें सुनने को मिलता है कि ज़्यादातर महिलाएं ही नसबंदी करवाती हैं वहीं पुरुष इससे घबराते हैं। पुरुषों का यह कहना है कि अगर उन्होंने नसबंदी करवा ली तो बाहर जाकर काम कौन करेगा। उनका कहना है कि पुरुष नसबंदी इसलिए भी नहीं करवाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका शरीर समय से पहले कमज़ोर हो जाएगा।
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हमारी टीम ने बुंदेलखंड के जिला महोबा,ललितपुर और चित्रकूट में जाकर रिपोर्टिंग की तो उन्होंने पाया कि महोबा और ललितपुर में मिश्रित लोग ऐसे थे जिसमें आज भी अधिकतर महिलाएं ही नसबंदी करवाती है। लेकिन चित्रकूट में कुछ अलग ही देखने को मिला। यहाँ पर पुरुषों ने आगे बढ़कर नसबंदी करवायी है।
जब हमने इस बारे में आशा कार्यकर्ता से बात की तो उन्होंने अपनी चुनौतियों को बताते हुए कहा कि पुरुषों को इस काम के लिए काफी मनाना पड़ता है लेकिन उसके बावजूद काफी कम पुरुष ही नसबंदी के लिए मानते हैं नहीं तो महिलाओं को ही आगे आना पड़ता है।
जिला चित्रकूट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद के डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि हमारा काम है लोगों को जागरूक करना और हमारी यही कोशिश रहती है कि जितना हो सके लोग खुद से आगे बढ़कर आए। उनका कहना है कि नसबंदी को लेकर पुरुष आगे आ रहे हैं और बाकी लोगों को भी जागरूक कर रहे हैं जिससे हमारे चिकित्सालय में काफी भारी संख्या में लोग आ रहे है।
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