राजकरण उर्फ़ झल्लर के चाचा के लड़के वीर सिंह चंदेल ने बताया, “यह सब मन गढ़ंत कहानी है। कोई चोट नहीं आई है, जाति का फायदा उठा रही है। बस चेहरे पर उंगली के निशान दिखे हैं। भाईया ने गुस्से में थप्पड़ मार दिया था, उसमें भी गलती उन लोगों की है। वही लोग बदतमीजी कर रही थी।”
रिपोर्ट – नाज़नी रिज़वी
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के भरतकूप गांव के किसानों पर खेत के मालिक ने जातिसूचक गलियों का इस्तेमाल किया, साथ ही उनके साथ मारपीट करने का आरोप है। यह घटना शनिवार 27 जुलाई की है। खेत मालिक जो ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) जाति से है उसके खिलाफ कर्वी कोतवाली नगर थाने में अनुसूचित जाति व जनजाति अधिनियम (SC/ST Act) की धाराओं के साथ मारपीट का मुकदमा दर्ज किया गया।
उर्मिला जोकि दलित समुदाय से हैं, दूसरों के खेत में मजदूरी करके परिवार चलाती हैं। अपने और पास के लोगों के साथ धान रोपाई के लिए 27 जुलाई को राजकरण उर्फ़ झल्लर के खेत सीतापुर ग्रामीण मनोहरगंज में गई थी। धान रोपाई के बाद खेत के मालिक ने अपने चाचा के खेत में भी धान की रोपाई के लिए कहा। उर्मिला ने विरोध किया क्योंकि वह पहले ही किसी और के खेत में धान रोपाई करने का वादा कर के आई थी। उर्मिला के मना करने पर खेत मालिक झल्लर को गुस्सा आ गया और वह गुस्से में भद्दी और माँ-बहन की गलियां देने लगा और उनके साथ मारपीट की। उर्मिला के साथ वालों ने जब रोकने की कोशिश की तो उन पर भी हाथ उठाया।
उर्मिला ने बताया, “उसने मुझे जोर का थप्पड़ मारा, हाथ पकड़ कर कीचड़ में फेंक दिया। यह देखकर पास खड़ी रामप्यारी, राजरानी, लक्ष्मनिया, बेलपतिया बीच-बचाव के लिए आई तो उनके साथ भी मारपीट की। मेरे जेठ महेश जब आगे आए और मामला शांत करने की कोशिश की तो उन्हें भी मारा।”
आज भी खेत में मजदूरों के प्रति गुलाम जैसी भावना रखने वाली मानसिकता अब भी लोगों के अंदर पैर जमाए हुए है। इसी के चलते जो खेत मालिक है किसानों (मजदूरों) की मेहनत की कदर नहीं करते और जाति की नज़र से देखते हैं इसलिए उन पर हाथ उठाने का और गलियां देने का अधिकार समझते हैं।
उर्मिला ने बताया उन्हें काम की जरूरत है। उन्होंने कहा, “हमें जहां भी काम मिल जाता है हम वहीं काम करते हैं। चाहे मजदूरी हो या खेत का काम, अगर वह पहले बताते तो हम उन्हें भी मना नहीं करते। हमने किसी दूसरे के खेत पर वादा किया था कि धान रोपाई करेंगे और उन्होंने खेत तैयार भी कर लिया था, ऐसे में हम उन्हें कैसे मना करते?”
ये भी पढ़ें – बांदा: पत्नी का सिर काटने के मामले में पति को 4 सालों बाद सज़ा, 13 हज़ार का जुर्माना
मारपीट करने से छवि खराब होने का डर, अब कौन काम देगा?
राजरानी का कहना है, “हमें इसी क्षेत्र में मजदूरी करनी है, इस तरह से मारपीट पहली बार की गई है। इससे हमारी छवि खराब होगी, लोग हमें काम नहीं देंगे। रिश्तेदारों में पता चलेगा तो लोग क्या कहेंगे? कुछ लोगों को तो पता भी चल गया है इसलिए फोन कर के पूछ रहे हैं। हम कुछ कह नहीं पा रहे, उनसे क्या बताएं? हम बेड़ लगाने गये थे भले ही हम मेहनत कर रहें हैं। हमारे रिश्तेदार नहीं जानते कि हम मजदूरी भी करते हैं या बेड़ लगाने जाते हैं। हमारी इज्जत भी खराब हुई और बेइज्जती भी हुई। मजदूरी अलग गई, मार भी बेवजह खा गए।”
शिकायत दर्ज करने पर चौकी से भगाया
महेश ने बताया कि, “मैं मौके पर था, उर्मिला मेरे छोटे भाई की बीवी है। जब झल्ला उसे मार रहा था तो मैंने रोकने की कोशिश की तो मुझे भी मारा और जातिसूचक गालियां दी। सभी महिलाओं के साथ मारपीट की गाली-गलौज की। जब इसकी शिकायत करने हम सीतापुर चौकी गए तो वहां से हमें भगा दिया। यह कहकर कि झूठी रिपोर्ट लिखाने आए हो, जाओ यहां से।”
ये भी पढ़ें – Delhi News: दिल्ली में 16 वर्षीय नाबालिग के साथ रेप कर पांचवीं मंजिल से दिया धक्का
खेत मालिक के रिश्तेदार ने किसानों को ही बताया गलत
राजकरण उर्फ़ झल्लर के चाचा के लड़के वीर सिंह चंदेल ने बताया, “यह सब मन गढ़ंत कहानी है। कोई चोट नहीं आई है, जाति का फायदा उठा रही है। बस चेहरे पर उंगली के निशान दिखे हैं। भाईया ने गुस्से में थप्पड़ मार दिया था, उसमें भी गलती उन लोगों की है। वही लोग बदतमीजी कर रही थी। पहले हमसे बोल दी थी कि हमारे खेत में धान रोपाई कर देंगी फिर मना करने लगी। हमने खेत में पानी भर लिया था, घंटे के हिसाब से पैसा लगता है पानी भरवाने का खेत में। भाईया ने कहा मेरे खेत में रोपाई हो गई तो अब चाचा के खेत में लगा दो तो चप्पल दिखाने लगी मुकदमे में फंसाने की धमकी दे रही थी। तब फिर भाईया को गुस्सा आ गया तो एक थप्पड़ बस मारा था और वो खुद जाकर मिट्टी में लेट गई थी।”
जिला पंचायत के सदस्य ने किया सहयोग
जिला पंचायत की सदस्य मीरा भारती ने बताया कि जब यह घटना हुई तो ये लोग सीतापुर चौकी गए। इन लोगों की कोई सुनवाई नहीं हुई, जब मुझे पता चला तो मैंने इन लोगों का सहयोग किया और कर्वी कोतवाली में तहरीर दिलवाई जिसमें फिर मुकदमा दर्ज हुआ।
कर्वी कोतवाली प्रभारी उपेंद्र सिंह ने कहा, ” रिपोर्ट लिख ली गई है एससी / एसटी एक्ट की धारा सहित और भी मारपीट की धाराएं लगाई गई है जिसकी विवेचना सीओसीटी (सर्कल ऑफिसर / सहायक पुलिस आयुक्त) कर रहें हैं।”
खेत मालिक पर लगाई गई धाराएं
भारतीय न्याय संहिता (बी एन एस), 2023 की धारा 115(2) – जिस व्यक्ति ने जानबूझकर क्षति पहुंचाने का प्रयास किया हो उस पर यह धारा लगाई जाती है।
बी एन एस, 2023 की धरा 352 – यदि कोई व्यक्ति किसी को अपमानित करता है या गाली देता है।
बी एन एस, 2023 की धारा 351(2) – किसी व्यक्ति को मारपीट के साथ धमकी दी जाती है तो ये धारा लगाई जाती है।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 (संशोधन 2015) की धारा 3(1) (द) – लोकस्थान पर धमकी देना या अपमानित करना
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 (संशोधन 2015) की धारा 3(1) (ध) – लोकस्थान पर गाली गलौज
खुद को उच्च जाति का समझने वाले व्यक्ति दूसरों को नीचा समझते हैं क्योंकि समाज में फैली जातिव्यवस्था आज तक लोगों के दिमाग से गई नहीं हैं। अकसर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे कई मामले होते हैं जहां जातिगत भेदभाव किया जाता है और गुलाम की तरह जबरन काम करने के लिए दबाव बनाया जाता है। उन्हें मजदूरी के नाम पर कम पैसे भी दिए है जिनसे उनका मुश्किल से घर चल पाता है। जो लोग इन बातों से नकार चुके हैं कि अब जातिव्यस्था नहीं है तो उन्हें एक बार खुद के भीतर और आस-पास निष्पक्ष होकर सोचने की जरूरत है। अब इस मामले की शिकायत दर्ज तो कर ली गई पर उन्हें न्याय कब तक मिलेगा? इसका कोई पता नहीं।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’