खबर लहरिया Blog चित्रकूट: बुंदेला नाला और शिक्षा की चुनौतियां

चित्रकूट: बुंदेला नाला और शिक्षा की चुनौतियां

बुंदेला नाला जो पिछले लगभग 50 सालों से अपने कायाकल्प होने की राह देख रहा है। यह नाला अब तक एक गर्भवती महिला को निगल चुका है और न जाने कितने लोग चोटिल हो चुके हैं। इस नाले के अभाव में, स्थानीय छात्रों को अपने स्कूल जाने में मुश्किलें हो रही हैं, और उनकी पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।

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                                                                                                                                     बुंदेला नाला से रास्ता पार करते लोग

प्रयागराज और चित्रकूट, दो जिलों को जोड़ने वाला बुंदेला नाला पिछले पचास सालों से क्षतिग्रस्त पड़ा है। यह नाला शंकरगढ़ ब्लाक के गांव प्रतापपुर गांव के पास बना है। जहां से लगभग 10 गांव के लोग निकलते हैं। ऐसा कहा जाता है कि बरसात के मौसम में बच्चे इस नाले से तैर कर स्कूल जाते हैं। इस स्थिति में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां शिक्षा व्यवस्था भी कितनी प्रभावित होगी।

चित्रकूट जिले के गांव परदवा के छात्र हिमांशु और राखी ने कहा कि वे इसी रास्ते से लालापुर में पढ़ाई करने जाते हैं। जब नाले में बाढ़ आती है तो रास्ता महीनों के लिए बंद हो जाता है। किसी तरह पढ़ाई करने जाते भी हैं तो रोज कॉपी-किताब भीगती है। हमारी ड्रेस भी गीली हो जाती है। हर साल हमारी चार महीने की पढ़ाई प्रभावित होती है।

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बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित

मानिकपुर के गांव के लोगों ने भी यह समस्या उठाई है, और वे बताते हैं कि अगर उनके गांव में ऊंचाई पर बुंदेला नाला बना दिया जाए, तो उनकी समस्याओं का समाधान हो सकता है। बरसात के समय, इस रास्ते पर पानी जमा हो जाता है और यातायात भी प्रभावित होता है। इस रास्ते से लगभग 20 गांवों के लोग निकलते हैं, और उन्हें लालापुर पढ़ने जाने के लिए 35 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है।

स्थानीय लोग इसे एक गंभीर समस्या मानते हैं और सरकार से नाला बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। इस मामले में मानिकपुर के विधायक आनंद शुक्ला ने बताया है कि वे इस समस्या को हल करने के लिए सरकार से मांग कर रहे हैं और उन्होंने कई बार कदम उठाया है, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है।

पिछले कई सालों से खबर लहरिया ने उठाई है आवाज

खबर लहरिया के पत्रकार भी समय-समय पर इस नाले की खबर अपने चैनल के माध्यम से उजागर करते हैं। 2020, 2021 और 2022 में स्टोरी कवरेज की और लाइव भी दिखाया है जिसमें ग्रामीणों ने अपनी समस्या बताई थी। चित्रकूट जिले से प्रयागराज की दूरी 124 किलोमीटर है। अगर प्रतापपुर के तरफ से जाया जाये तो 50 किलोमीटर पड़ता है। इस पुल की ऐसी जर्जर स्थिति लोगों को ख़तरे में डाल सकती है इसलिए लोग लम्बी दूरी भी तय करते हैं।

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नाला पार न कर पाने से गर्भवती की हुई थी मौत

ग्रामीण एक साल पहले की घटना बताते हुए कहते हैं कि एक महिला डिलीवरी के दर्द से कराह रही थी। इसी रास्ते से प्रयागराज इलाज के लिए ले जा रहे थे। बुन्देला नाला काफी बड़ा था जब तक उसे पार कर पाते महिला ने दम तोड़ दिया। नाला ऊंचाई पर होता तो शायद महिला की जान बच जाती। यहाँ से आस-पास के लोग जो हर दिन यही समस्या झेल रहे हैं उन पर क्या बीत रही है किसी अधिकारी को इसका अंदाजा तक नहीं है।

विधानसभा में उठाया है बुंदेला नाला का मुद्दा

बारां विधानसभा के विधायक वाचस्पति के अनुसार प्रतापपुर में बने बुन्देला नाला बनवाने की बात उन्होंने विधानसभा में उठाई है। यह भी कहा है कि वह नाला बनने से प्रयागराज और चित्रकूट दोनों जिलों के लोगों को आवागमन के लिए फायदा होगा। उन्होंने आश्वासन दिया है कि लिखित में वह मुख्यमंत्री को एप्लीकेशन देंगे। जैसे ही बजट पास होगा बुंदेला नाला का निर्माण कराया जायेगा।

इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए बुन्देला नाला के निर्माण की मांग को सुना जाना चाहिए और सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए ताकि स्थानीय लोगों को सुरक्षित और सुखद जीवन जीने में मदद मिल सके।

इस खबर की रिपोर्टिंग सुनीता देवी द्वारा की गई है। 

 

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