खबर लहरिया Blog चित्रकूट : महुआ बीनने (चुनने) गई नाबलिग लड़की के साथ बलात्कार, आरोपी गिरफ्तार

चित्रकूट : महुआ बीनने (चुनने) गई नाबलिग लड़की के साथ बलात्कार, आरोपी गिरफ्तार

यौन हिंसा के मामले अक्सर रिपोर्ट नहीं हो पाते क्योंकि बच्चे डर, शर्म या परिवार की इज्जत के कारण चुप रहते हैं। कभी कभी परिवार वाले खुद ही किसी को कुछ न पता चलने के डर से कोई कार्यवाही नहीं करना चाहते।

चित्रकूट मानिकपुर थाने के बाहर पुलिस और आरोपी की तस्वीर (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

रिपोर्ट – नाज़नी, लेखन – गीता 

चित्रकूट जिले के मानिकपुर थाना अंतर्गत आने वाले एक गांव में 12 साल की नाबलिग लड़की के साथ बलात्कार का मामला सामने आया है। यह घटना 6 अप्रैल 2025 को सुबह 8 बजे घाटी। खबर लहरिया की रिपोर्ट के अनुसार नाबलिग महुआ बीनने गई थी। इसकी शिकायत परिवार ने थाने में की।

परिवार ने शारदा कोल पर लगाया आरोप

लड़की के परिवार वालों का आरोप है कि उनके ही गांव का रहने वाले शारदा कोल ने इस घटना को अंजाम दिया। रिपोर्ट के अनुसार उसकी उम्र लगभग 32 साल है। लड़की महुआ बीनने गई थी और उसके साथ गांव के दो बच्चे भी गए थे। आरोपी भी उसी जगह गया था और उसने लड़की को अधिक महुआ बीनने का झांसा दिया। शारदा (आरोपी) ने उन दो बच्चों को दूसरे पेड़ के पास महुआ बीनने को बोला और उन्हें वहां से दुसरी जगह भेज दिया।  इसके बाद उनकी 12 वर्षीय लड़की को आगे वन विभाग के नाले के पास ले जाकर उसके साथ रेप किया। इतना ही नहीं बच्ची को किसी से कुछ न बताने की धमकी दी। आरोपी ने कहा कि किसी को बताओगी तो जान से मार दूंगा। इसके बाद किसी तरह बच कर डरी सहमी लड़की अपने घर पहुंची। परिवार वालों को पूरी बात बताई। लड़की के पिता ने मामले कि शिकायत मानिकपुर थाना में दर्ज कराई है।

पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज

पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कर ली है। इस मामले की मुकदमा संख्या 45/25 है। इसमें धारा 65(1)/74/115(2)/351/(2)बीएन एस व 3/4(2) पास्को एक्ट बीएनएस पंजीकृत किया गया है।बच्ची की मेडिकल जांच 7 अप्रैल को कराकर पास्को एक्ट रेप का मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

आरोपी परिवार का रिश्तेदार

अक्सर अपराधी कोई अजनबी नहीं बल्कि परिवार का सदस्य रिश्तेदार या पड़ोसी होता है यानी वो जिन पर भरोसा करते हैं। यौन हिंसा के मामले अक्सर रिपोर्ट नहीं हो पाते क्योंकि बच्चे डर, शर्म या परिवार की इज्जत के कारण चुप रहते हैं या परिवार वाले खुद ही किसी को कुछ न पता चलने के डर से कोई कार्यवाही नहीं करना चाहते। कई बार खुद मां बाप भी मामले को दबा देते हैं या समझ नहीं पाते कि बच्चा मदद मांग रहा है कुछ कहना चाहता है।

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इस समय इंसानियत नहीं है और हवस इतनी बढ़ गई है कि सिर्फ लड़कियां बस नहीं लड़के भी यौन शोषण का शिकार हो रहे हैं। यह धारणा गलत है कि केवल लड़कियां ही यौन शोषण का शिकार होती हैं जबकि कई लड़कों और ट्रांसजेंडर नाबालिगो को भी इस हिंसा का सामना करना पड़ता है लेकिन उनके लिए बात करना और भी मुश्किल होता है, क्योंकि समाज उनकी चुप्पी को कमजोरी मानता है।

मानिकपुर की यह पहली घटना नहीं है। ऐसे बहुत से मामलों में लोग कानूनी मदद मांगते रहते हैं लेकिन कानून का सहयोग नहीं मिलता इसलिए कितने लोग तो थाने कोतवाली के चक्कर लगा कर थक हार कर बैठ जाते हैं। कानूनी प्रक्रिया लंबी और थकाने वाली होती हैं। शिकायत कर्ता लड़की के लिए बार-बार बयान देना, पुलिस या अदालत में जाना ये सब दोबारा हिंसा झेलने जैसे ही होता है।

 

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