यूपी का चित्रकूट जिला धर्म के नाम पर भले ही दुनिया में अपनी जगह बना रहा हो लेकिन विकास के नाम पर कोसो दूर है। चित्रकूट जिले के ब्लाक मऊ में बरहा कोटरा गांव पड़ता है। इस गांव के बीच में एक बड़ा सा नाला है लेकिन उसके ऊपर पुल नही बना है। अब बरसात गिर गई है जहां नाला पानी से उफना जाएगा तो गांव के लोग कैद हो कर रह जायेंगे।
बारिश में बाढ़ की स्थिति
बरहा कोटरा के निवासी इन्द्रेश का कहना है कि कोटरा नाला से होकर चित्रकूट और प्रयागराज के बीच का रास्ता यही है। इस रास्ते से दोनों जिलों के लोग प्रतिदिन आना-जाना करते हैं। जब यमुना नदी में बाढ़ आती है, तो उसका सारा पानी इसी नाले में भर जाता है, जिससे रास्ता कम से कम एक महीने तक बंद हो जाता है।
बारिश के समय स्कूल जाने में परेशानी
गांव के सभी बच्चे लालापुर (प्रयागराज) पढ़ने जाते हैं। इस मार्ग से प्रयागराज की दूरी केवल 50 किलोमीटर है, जबकि हाईवे के रास्ते से यह दूरी 100 किलोमीटर पड़ती है। स्थानीय निवासी राजा और सरिता का कहना है कि वे पिछले पचास वर्षों से कोटरा नाला पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक यह मांग पूरी नहीं हुई है। इस मार्ग से हर दिन लगभग हजारों लोग गुजरते हैं।
पुल की वजह से हुई दुर्घटनाएं
गांव के लोगों का कहना है कि यह पुल बहुत नीचाई पर बना हुआ है, जिस कारण लगातार दुर्घटनाएँ होती रहती हैं। एक महीने पहले, प्रयागराज से चित्रकूट की ओर आ रही एक चारपहिया गाड़ी इसी पुल पर पलट गई, जिसमें सवार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। दो लोगों के हाथ टूट गए और एक व्यक्ति का पैर टूट गया। इस तरह की दुर्घटनाएँ आए दिन होती रहती हैं, जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
स्कूल के बच्चों की पढ़ाई पर असर
जिला चित्रकूट के ग्राम बरहा कोटरा के छात्र हिमांशु और राखी का कहना है कि वे इसी रास्ते से लालापुर (प्रयागराज) पढ़ने जाते हैं। जब कोटरा नाले में बाढ़ आ जाती है, तो यह रास्ता पूरे एक महीने के लिए बंद हो जाता है।
अगर कभी पानी थोड़ा कम भी होता है, तो नाले में फिसलन होने के कारण हम गिर जाते हैं, जिससे कॉपी-किताबें भीग जाती हैं और कपड़े पूरी तरह गीले हो जाते हैं। जब तक बारिश का मौसम रहता है, नाले की यही स्थिति बनी रहती है। हम स्कूल नहीं जा पाते। इससे पढ़ाई का भारी नुकसान होता है।
चार महीने तक पढ़ाई नहीं हो पाती, जिससे हम परीक्षा में पीछे रह जाते हैं। कई बार विधायक और नेता हमारे गांव आते हैं। हम इस समस्या को लेकर अपनी आवाज उठाते हैं, तो वे केवल वादा करते हैं कि पुल बन जाएगा, लेकिन अब तक कोई काम शुरू नहीं हुआ।
जब हम स्कूल नहीं जा पाते, तो सारे विषय अधूरे रह जाते हैं, जिससे हम पढ़ाई में कमजोर हो जाते हैं। एक महीने की पढ़ाई छूटने से पूरे साल पर इसका असर पड़ता है। इस रास्ते के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है, इसलिए हम मजबूर हैं।
कम दूरी होने पर इस रास्ते से जाने को मजबूर
हम लोग हमेशा कोटरा नाला वाले रास्ते से ही प्रयागराज जाते हैं। अगर कोई गंभीर मरीज होता है, तो उसे भी इसी रास्ते से जल्दी इलाज के लिए प्रयागराज ले जाया जाता है। यदि प्रतापपुर की ओर से जाएं, तब भी रास्ता लगभग 50 किलोमीटर ही होता है। लेकिन यह कोटरा नाले वाला रास्ता ज्यादा आसान और पास पड़ता है। हम चाहते है की सरकार इस पुल को ऊचाई से बनवा दे ताकि जनता को तकलीफ न उठाना पड़े।
कोटरा नाला पुल बहुत पुराना और जर्जर
यहां जो पुल बना है, वह बहुत पुराना और अब बेहद जर्जर हो चुका है। इस पुल से रोज़ाना बसें और छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं। हालत इतनी खराब है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
एक साल पहले की बात है, एक महिला जो डिलीवरी के समय बहुत गंभीर स्थिति में थी, उसे प्रयागराज इलाज के लिए इसी रास्ते से ले जाया जा रहा था, लेकिन उस समय कोटरा नाला में बाढ़ का पानी बहुत ज्यादा था, जिससे रास्ता पार करना संभव नहीं था। परिजन कुछ देर तक इंतजार करते रहे, सोचते रहे कि शायद यमुना नदी का जलस्तर थोड़ा कम हो जाए, तो निकल जाएं, लेकिन वह महिला समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाई और उसकी मौत हो गई। अगर यह पुल ऊंचाई पर बना होता, तो शायद वे निकल पाते और महिला की जान बच सकती थी। यह दुखद घटना बारियारी गांव में दो साल पहले घटी थी।
पुल मजबूत, लेकिन ऊंचाई नहीं
कोटरा गांव के इन्द्रेश का कहना है कि यह पुल लगभग सौ साल पुराना है। हालांकि यह पुल बहुत मजबूत बना था, इसलिए अब तक बाढ़ में कभी नहीं बहा, भले ही यह नीचाई पर बना हुआ है।
उनका कहना है कि अगर नया पुल बनाया जाए, तो वह भी इसी तरह मजबूत और टिकाऊ होना चाहिए। अब यह पुराना पुल पूरी तरह जर्जर हो चुका है। कभी भी गिर सकता है, जिससे बड़ी दुर्घटना का खतरा बना हुआ है।
कोटरा नाला पुल के पुनः निर्माण की मांग
गांव के लोगों का कहना है कि, हम सरकार से निवेदन करते हैं कि इस पुल का पुनर्निर्माण किया जाए, क्योंकि यह पुल बनना बहुत जरूरी हो गया है। इसी रास्ते से लोगों का रोजाना आना-जाना बना रहता है।इसी रास्ते से नेता और अधिकारी भी आते-जाते हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं देता।
चुनाव के समय बस वादा
गांव के लोगों ने बताया कि चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई पलटकर देखता तक नहीं। मऊ-मानिकपुर के विधायक अभिनाश का कहना है कि यह नाला काफी नीचाई पर बना हुआ है। यह मामला हमारे संज्ञान में है। अभी फिलहाल इसी मार्ग में दो अन्य नालों का निर्माण कार्य चल रहा है। इनके पूर्ण होने के बाद कोटरा नाले पर भी पुल निर्माण कराया जाएगा। यह पुल यदि बनाया जाता है तो इससे प्रयागराज और चित्रकूट दोनों जिलों के लोगों को आने जाने में बड़ी सुविधा होगी। हमारा प्रयास रहेगा कि यह पुल ऊँचाई पर और मजबूत तरीके से बनाया जाए। हम अपनी ओर से लिखित में प्रस्ताव देकर मुख्यमंत्री तक यह मांग पहुँचाएँगे, और जैसे ही बजट पास होगा, इसका निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा।
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