चित्रकूट: क्या पृथ्वी की सुन्दरता घटती जा रही है? देखिये पृथ्वी दिवस पर चित्रकूट से चित्रकूट सूरज कुण्ड स्थित
मन्दाकिनी नदी तट पर
आज पृथ्वी संरक्षण के लिए किए गये कामो
और उसके दर्द को याद किया।जलवायु परिवर्तन के लिए सरकारी विकास माडल को बदलने की वकालत की।सभी ने अधिक से अधिक साइकिल के उपयोग वृक्ष बचाने और घडे का पानी पीने
का संकल्प लिया।सभी ने माना कि यदि धरती को प्रतिरोधक क्षमता मरेगी तो आदमी जीवित नही बचेगा।मन्दाकिनी नदी और पहाड हसेगे तो जलवायु भी हंसेगी और यहाँ के हर आदमी की प्रतिरोधक क्षमता को मन्दाकिनी नदी का अविरल पानी बढा देगा।
प्रसिद्ध देवी कालिका जी के स्थान मे रोते बिलखते ब्लास्ट से घायल पहाड के साथ विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर पृथ्वी के दर्द और उल्लास को सभी चिंतको ने महसूस किया। सबने पृथ्वी बचाने के लिए सरकारो राजनेताओं के विकास माडल को
प्रकृति आधारित बनाने की बात की।सामूहिक प्रार्थना ईश्वर से की ।
भाई राम स्वरूप ने कहा कि
कोविड 19 विश्व महामारी मे बेबस सरकारो ने
जब से लाकडाउन किया तब से सूरज कुण्ड की
मन्दाकिनी नदी हंस रही है और पहाड मे ब्लास्ट
नही हो रहा ।
पहाड से लगी बस्तियों इसीलिए खुश है
कि अब उनके घरो मे ब्लास्ट के पथर नही जा रहे।
गाँव के कुछ लोगो ने बताया कि -पहाड हमारी
सुन्दरता थी जो छिन गयी है ।नारायण पुर के निवासी राम स्वरूप तथा स्थानीय नागरिक बुद्धि लाल और संदीप ने मिल कर पृथ्वी के दर्द और कराह पर अपने अनुभव रखे।
2019-20 मे मन्दाकिनी नदी अहिंसा मार्च और नदी स्वधाय यात्रा के परिणामो को साझा करते हुवे यात्रअ के संयोजक अभिमन्यु भाई ने बताया कि नदी मे हिंसा रोकने के लिए सरकार समाज और संत आज तीनो मन्दाकिनी नदी की बचाने के लिए संकल्पित है ।
वर्तमान जिला अधिकारी ने मन्दाकिनी पुनर्जवन की पिछली बैठक मे नदी के सीमांकन तथा नदी किनारे वृक्षा रोपण और सहायक नदियो जल श्रोतों के संरक्षण की बात कही थी ।
अभिमन्यु भाई ने कहाँ कि नदियो को बचाने के लिए पृथ्वी को बचाने की बात सोचनी होगी !,सबको सोचना होगा कि आवास ,सामाजिक उपयोग के लिए खेती के लिए और जंगल के लिए कितनी जमीन लेना जरूरी है ।
मन्दाकिनी नदी के किनारे सूरज कुण्ड के आस पास के पहाड जंगल मन्दाकिनी नदी के जल श्रोतो को जवान रखते थे ।2000 के बाद से इन पहाड़ो की लीज सरकार ने की जिसका परिणाम है कि मन्दाकिनी नदी के जल श्रोत कम हुवे।