अंधविश्वास और लालच में रिश्ते में लगने वाले चाचा-चाची ने ली 9 साल के भतीजे की जान।
अंधविश्वास और लालच व्यक्ति से कुछ भी करा सकता है। किसी की जान भी ले सकता है। इसी अंधविश्वास ने एक 9 साल के बच्चे की जान ले ली। खबर चित्रकूट जिले के सीतापुर चौकी के अंतर्गत आने वाले राधवपुर मोहल्ले की है।
8 मार्च 2022 को 9 साल का कन्हैया गायब हुआ। पिता रामप्रयाग ने बेटे के गायब होने की रिपोर्ट सीतापुर चौकी और कोतवाली कर्वी में लिखवाई। पुलिस ने पूरा मामला धारा 363 के अंतर्गत लिखा।
इसके बाद 12 मार्च 2022 को पुलिस जांच के दौरान बच्चे का शव पड़ोसी भुल्लू वर्मा के घर में पाया जाता है। जिसके बाद 12 मार्च को मोहल्ले के गुस्साये हुए लोगों ने दो घंटे तक रास्ता जाम किया। जाम हटाने के लिए पुलिस ने लोगों पर लाठीचार्ज भी किया।
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चाचा-चाची ने की हत्या – एसपी
पूरे मामले को लेकर एसपी धवल जयसवाल ने प्रेसवर्ता में बताया कि घटना के दो मुख्य आरोपी जो रिश्ते में उसके चाचा-चाची लगते हैं, वह हैं। यह बच्चे के ही पड़ोसी है। आरोपी भुल्लू और उसकी पत्नी उर्मिला को बच्चे की हत्या के अपराध में गिरफ़्तार किया गया।
दोनों आरोपियों पर धारा 363 के साथ धारा 147/364/302/201 के तहत ग़िरफ़्तारी के बाद मुकदमा दायर किया गया।
रिपोर्ट के दौरान खबर लहरिया ने पाया कि बच्चे का शव पहले पुलिस को नहीं बल्कि आरोपी के परिवार के किसी एक सदस्य को पहले दिखा था। जिसके बाद पुलिस ने बच्चे का शव का बरामद किया।
बच्चे के हत्या के पीछे की वजह
एसपी धवल जयसवाल ने हत्या के पीछे की वजह बताते हुए कहा, बच्चे के चाचा-चाची को एक सपना आया था कि उनके घर में एक गड़ा हुआ धन है और उस धन की प्राप्ति के लिए तंत्र-मंत्र की क्रियायें करनी है और एक बच्चे की बली देनी होगी। इसी अंधविश्वास और लालच में पति-पत्नी ने अपने भतीजे कन्हैया को अपने पास बुलाया। वह उनकी जान-पहचान का था इसलिए आसानी से आ भी गया। बच्चे को पत्थर से मारकर और गला दबाकर हत्या कर दी गयी।
शव को घर में ही छुपाकर रख दिया गया और ये मौके की तलाश में थे कि शव को ठिकाने पर लगाया जाए। उससे पहले ही पुलिस ने जांच के दौरान शव को बरामद कर आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया।
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पुलिस पर लापरवाही का आरोप – बच्चे का पिता
पिता रामप्रयाग ने आरोप लगाया कि पुलिस की लापरवाही की वजह से उनके बच्चे की जान गयी है। कहा, 8 मार्च की सुबह 11 बजे उनका बेटा दरवाज़े के पास खेल रहा था और अचानक गयाब हो गया। उन्होंने हर जगह ढूंढ़ा पर कन्हैया कहीं नहीं मिला। पिता ने बेटे की गुमशुदगी की खबर सीतापुर चौकी में दी लेकिन उन्हें पुलिस का सहयोग नहीं मिला।
इसके बाद उन्होंने कोतवाली कर्वी में रिपोर्ट लिखवाई। पिता के आरोप के अनुसार इस थाने में रिपोर्ट तो लिखी गयी पर सही से जांच पड़ताल नहीं की गयी। वह जब भी पुलिस के पास जाते तो चुनाव में व्यस्त होने की वजह से वह बात टाल देते। कहते ढूंढ़ रहें हैं, सब चुनाव में लगे हैं।
मामले में अंततः आरोपियों को पकड़ लिया गया लेकिन यहां पुलिस द्वारा शुरू में की गयी लापरवाही भी दिखाई देती है। शुरू में रिपोर्ट नहीं लिखी गयी और रिपोर्ट लिखने के बाद चुनाव में व्यस्तता की बात कहकर गुमशुदगी की रिपोर्ट को गंभीरता नहीं दी गयी। क्या ऐसे में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर जांच नहीं होनी चाहिए?
जहाँ तक बात रही अंधविश्वास की तो समाज का कोई न कोई व्यक्ति लालसा के पर्दे में ऐसा अपराध करता है जो मनुष्यता के नाम को भी धूमिल कर देता है। देश शिक्षित तो हो रहा है लेकिन समाज में जड़ से बैठे अंधविश्वास की पकड़ ढीली नहीं हो रही।
इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी रिज़वी द्वारा की गयी है।
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