खबर लहरिया क्राइम चित्रकूट: महिलाएं कब तक होती रहेंगी तेज़ाब जैसी दर्दनाक हिंसाओं की शिकार?

चित्रकूट: महिलाएं कब तक होती रहेंगी तेज़ाब जैसी दर्दनाक हिंसाओं की शिकार?

चित्रकूट ज़िले के मऊ थाना अन्तर्गत आने वाले 1 गांव में एक लड़की को प्रेम प्रसंग के बहाने कॉल करके बुलाने के बाद तेजाब डाल के मारने का मामला सामने आया है। घटना 1 मार्च की है और पुलिस ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

कवरेज के दौरान जासूसी में पीड़ित परिवार से निकल कर आया कि लड़की की शादी होनी थी लेकिन शादी के पहले ही गांव के ही लोगों ने बहला-फुसलाकर उसे बुलाया और उसका अपहरण कर लिया। वह लोग लड़की को ढूंढते रहे और उसके न मिलने पर थाने में रिपोर्ट भी दर्ज कराई लेकिन पुलिस ने उसकी खोजबीन और कार्यवाही पर ध्यान नहीं दिया। पुलिस की लापरवाही के चलते आरोपियों ने घटना को अंजाम दिया।

1 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन जब गाँव के लोग फूल लेने गए तो देखा कि लड़की मृत अवस्था में पड़ी हुई है। पास जाकर देखा तो वो पहचान में नहीं आ रही थी, उसे तेजाब से जला दिया गया था। मामले की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर छानबीन की और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। लेकिन पीड़ित परिवार की मानें तो अगर यही काम पुलिस उनके एफ आई आर के मुताबिक अपहरण के समय ही करती तो शायद यह नौबत नहीं आती।

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पीड़ित परिवार ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें लगातार विपक्षियों से धमकियां मिल रही हैं कि अगर उन्होंने केस वापस नहीं लिया तो उन्हें जान से मार दिया जाएगा। फिलहाल पीड़ित परिवार ने यह भी बताया कि पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है अब आगे क्या कार्यवाही चल रही है, इसका अंदाज़ा तो पीड़ित परिवार को भी नहीं है।

मऊ कोतवाली प्रभारी निरीक्षक आनन्द कुमार सिंह का कहना है की इस मामले में में तीन अरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। आगे की कार्यवाही कोर्ट की होगी। उन्होंने बताया कि इस महीने दो ऐसे मामले सामने आये हैं और दोनों ही मामलों में कार्यवाही चल रही है।

महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों की लगभग 31 हज़ार शिकायतें पिछले साल NCW को प्राप्त हुईं, जिनमें से सबसे अधिक शिकायतें उत्तर प्रदेश में दर्ज हुईं। राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार 2020 की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में 30 फीसदी वृद्धि हुई है। यह सभी आंकड़ें यही दर्शाते हैं कि आज भी हमारे देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। लेकिन कब तक महिलाएं यूं ही हिंसा का शिकार होती रहेंगी? या पुलिस ऐसे मामलों में कोई ठोस कदम उठा पाएगी?

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