इस समय तेज धूप के साथ तापमान लगभग 44 से 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। इतनी तेज धूप है कि वन विभाग द्वारा पहले से तैयार किए जा रहे पौधे भी सूखने लगे हैं।
रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – गीता
चित्रकूट: पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग की ओर से वन विभाग बरगढ़ की पाठशाला में एक लाख पौधे तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। यहां से तैयार किए गए पौधे जुलाई अगस्त के महीने में पौधारोपण अभियान के तहत वन विभाग और सार्वजनिक जगहों पर लगाए जाएंगे ताकि हरियाली बढ़ सके। यही एक मौका होता है जब वन विभाग पौधा रोपण के लिए पहले से पौधों को उगाने में कड़ी मेहनत और तैयारी करता है जिसमें ग्रामीण महिलाओं को भी निराई गुड़ाई के काम के लिए रोजगार मिलता है।
तेज धूप से सुखने लगते हैं पौधे
इस समय तेज धूप के साथ तापमान लगभग 44 से 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। इतनी तेज धूप है कि वन विभाग द्वारा पहले से तैयार किए जा रहे पौधे भी सूखने लगे हैं। कुछ पौधे तो पूरी तरह मुरझा चुके हैं और उनकी लकड़ी तक सूख गई है। फिर भी बरगढ़ वन विभाग पूरी ताकत से बारिश के मौसम के लिए पौधों की तैयारी में जुटा हुआ है ताकि बारिश का मानसून आने से पहले पौधों को तैयार करने का लक्ष्य पूरा किया जा सके। जिससे बारिश के दौरान बड़े पैमाने पर वृक्षा रोपण किया जा सके।
निगरानी और पौधों की देखभाल
वन रक्षक आदित्य तिवारी ने बताया कि मऊ ब्लॉक अंतर्गत आने वाले जमीरा कॉलोनी गांव में बड़े पैमाने पर वन विभाग द्वारा पौधे उगाने का काम उसकी निगरानी में किया जा रहा है। यहां पर एक हेक्टेयर जमीन पर पौधे तैयार किए गए हैं।लगभग साढ़े पांच लाख पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया है। इनमें से साढ़े चार लाख पौधे पहले से तैयार हैं और एक लाख पौधे अभी तैयार किए जा रहे हैं। विभाग का टारगेट कुल मिलाकर साढ़े पांच लाख पौधों का है।
महिलाओं के लिए मौसमी रोजगार
वन रक्षक आदित्य तिवारी कहते हैं नर्सरी में तैयार किए जा रहे पौधे कि निराई-गुड़ाई के लिए स्थानीय महिलाओं को भी जोड़ा गया है, ताकि उन्हें भी काम मिल सके। पौधा रोपण अभियान का उद्देश्य हरियाली बढ़ाना और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है। जिससे कि हमारा पर्यावरण स्वच्छ और सुंदर रहे। प्रदूषण मुक्त और लोगों को ताजी हवा मिले। साथ ही जंगल और सार्वजनिक स्थानों की सुंदरता बढे।
हर साल होता है पौधारोपण
सरकार और वन विभाग द्वारा हर साल जुलाई के महीने में वृक्षारोपण अभियान चलाया जाता है जिसके तहत करोड़ों की संख्या में पौधे लगाए जाते हैं। इसलिए दो- तीन महीने पहले से ही पौधों को तैयार करके रखा जाता है। चाहे कितना भी तापमान क्यों न बढ़ा हो। अगर पहले से तैयारी नहीं होगी तो जुलाई में पौधरोपण कैसे होगा। यही वजह है कि भीषण गर्मी के बावजूद भी विभाग के कर्मचारी लगातार मेहनत कर रहे हैं।
पौधों को बचाने का एकमात्र उपाय
वन रक्षक कहते हैं कि बरगढ़ क्षेत्र एक पथरीला इलाका है। यहां का जलस्तर काफी गहराई पर है। ऊपर से जब बिजली चली जाती है तो बोरिंग से पानी भी नहीं मिल पाता जिससे पौधों को नुकसान होता है। इसलिए चार कर्मचारियों को सिर्फ पानी देने के लिए लगाया जाता है। वह लोग दिन में तीन बार पानी देते हैं सुबह, दोपहर और शाम। अगर इस तरह की गर्मी में पौधों को नियमित पानी नहीं मिला तो वह पूरी तरह से सूख जाएंगे और पूरी मेहनत बर्बाद हो जाएगी।
नर्सरी में है हर तरह के पौधे
नर्सरी में ज्यादातर नीम, सागौन, आंवला, महुआ, गूलर, कहुवा, बांस, सहजन, शीशम जैसी कई प्रजातियों के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। यह प्रक्रिया लगातार तीन महीने तक चलेगी। हालांकि तेज गर्मी और बिजली कटौती के कारण कुछ पौधे सूख भी जाते हैं। फिर भी विभाग के कर्मचारी पूरी ईमानदारी से काम कर रहे हैं।
विमला बताती हैं कि दिसंबर 2024 से जून 2025 तक के लिए उनको रोजगार मिल गया है। हर दिन 200 रुपए के हिसाब से मजदूरी मिलती है। इस पैसे से उनके परिवार का पेट चलता है। काम के अनुसार मजदूर भी लगाए जाते हैं। वह लगभग 10 महिलाएं हैं जो इस समय पौधों से खर पतवर हटाने के लिए निराई-गुड़ाई का काम करती हैं तभी तो पौधों की सेहत बनती है और हरियाली से सबको ख़ुशी मिलेगी।
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