ग्रामीण अब चारों तरफ़ भरे पानी के बीच से गुज़रते हुए ही रोज़ाना शौच की जगह तलाशते हैं।
बुंदेलखंड के कई क्षेत्र इस समय बाढ़ से ग्रस्त हैं। जिला चित्रकूट के ब्लाक मऊ के गाँव मंडी कला, मन्डौर, बियाबल , बरबारशेसासुबकरा भी बुरी तरह से बाढ़ की चपेट में आए हुए हैं। गाँव में मौजूद लोगों का कहना है कि यमुना नदी में पानी का स्तर बढ़ने सेगावों के कई हिस्सों में भी पानी पहुँच चुका है। इन लोगों को सबसे ज़्यादा मशक़्क़त शौचालय जाने के लिए करनी पड़ रही है। यहाँ लोगपहले ही खेतों और नदी के किनारे शौच के लिए जाते थे लेकिन अब क्यूँकि हर जगह पानी भरा हुआ है, इसलिए ग्रामीणों को कईपरेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण अब चारों तरफ़ भरे पानी के बीच से गुज़रते हुए ही रोज़ाना शौच की जगह तलाशते हैं।
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पानी के बीच ही करना पड़ रहा है शौच-
मबई गाँव के रहने वाले ग्रामीण केनवास ,मीना और सविता ने हमें बताया कि बाढ़ के कारण उनके गाँव में कठिनायों का सबब बढ़ता हीजा रहा है। इन लोगों का कहना है कि इन्हें पानी से लबालब भरे खेतों और सड़कों पर ही बैठ कर शौच करना पड़ रहा है। पानी के अंदरसाँप, बिच्छू एवं अन्य कीड़े- मकौड़े होने का भी ख़तरा रहता है, लेकिन इनके पास और कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है।
इन लोगों ने यह भी बताया कि सबसे ज़्यादा परेशानी गाँव में मौजूद दिव्यांग व्यक्तियों को हो रही है, जिनके लिए पानी से भरे रास्तों के बीच से निकलपाना बहुत मुश्किल होता है। इन लोगों के पास नाँव भी नहीं है जो ये लोग ज़रूरत पड़ने पर एक जगह से दूसरी जगह आसानी से जापाएँ। जिन लोगों के पास नाव है भी तो वो खुद ही अपने परिवार को और अपना सामान बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि पिछले एक हफ़्ते से लगातार हो रही बारिश और बाढ़ ने इनकी झोपड़-पट्टियों और निजी वस्तुओं को पूरी तरहसे नष्ट कर दिया है। सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वच्छ अभियान योजना के तहत ये लोग शौचालय मिलने के पात्र तो थे लेकिन कईबार शौचालय, आवास जैसी योजनाओं की माँग के बावजूद भी इन्हें कहीं से कोई राहत नहीं मिली। और आज परिणाम स्वरूप इसआपदा के दौरान बढ़ते जल स्तर का एक-एक पल इन लोगों पर भारी पड़ रहा है।
स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है असर-
मन्डौर गाँव की रहने वाली सोना, मालती, सुनैना ने भी बाढ़ के कारण शौचालय जाने में हो रही दिक्कतों के बारे में हमें बताया। यह लोगरात के अंधेरे में शौचालय के लिए बाहर जाने से डर रहे हैं। चारों तरफ़ भरे गंदे पानी में कई बार रात में लोग फिसल गए और उन्हें चोटें भीआयीं। इसके साथ ही अब बाढ़ का ये पानी लोगों के पक्के घरों में भी घुसना शुरू हो गया है। इन लोगों का कहना है कि इस पानी सेतरह- तरह की बीमारियाँ भी लग सकती हैं। लेकिन बड़े तो संभल कर निकल जाते हैं परंतु बच्चों को संभाल पाना मुश्किल होता है। गाँवके बच्चे दिनभर इसी पानी से गुज़र कर एक जगह से दूसरी जगह जा रहे हैं, ऐसे में अब ख़तरा ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी बना हुआ है।
ग्रामीणों ने बताया कि गाँव और उसके आसपास के क्षेत्रों को मिलाकर लगभग पाँच हज़ार लोग इस समय बाढ़ की चपेट में आए हुए हैं।आंतरिक इलाक़ों में बसे इन गावों में प्रशासन ने नाव की सुविधा भी उपलब्ध नहीं करा रखी, जिसके सहारे ये लोग ऊँचाई पर पलायनकर सकें। बाढ़ के कारण इन लोगों के रहने को जगहें, सामान, खाने-पीने की वस्तुएँ पूरी तरह नष्ट हो गयी हैं। अब ये लोग बस इसइंतेज़ार में बैठे हैं कि जल्द ही नदी का जल स्तर कम हो ताकि इनके गाँव बाढ़ की चपेट से बाहर आ सकें।
क्या कहते हैं लेखपाल?
लेखपाल राममिलन ने हमें बताया कि मंडी रोड में चार सरकारी नावों को लगा दिया गया है। इसके साथ ही दो बरबार रोड में और दो नावमन्डौर में भेजी गई हैं। उन्होंने बताया कि मबई के कुछ ग्रामीणों को पास के एक स्कूल में भिजवा दिया गया है और वो वहाँ सुरक्षित हैं।इसके साथ ही मन्डौर में भी जल्द से जल्द नाव भेजी जाएगी ताकि वहाँ फँसे लोगों को बाहर निकाला जा सके।
इस खबर की रिपोर्टिंग सुनीता देवी द्वारा की गयी है।
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