जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार पिछले कई सालों से नसबंदी को बढ़ावा देती आ रही है। परिवार नियोजन योजना के अंतर्गत नसबंदी कराने पर लोगों को स्वास्थ्य विभाग और एन एच एम की तरफ से 30-30 हज़ार की राशि मिलती है। लेकिन हाल ही चित्रकूट ज़िले के मऊ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले सिकरौं गाँव में 3 ऐसे मामले सामने आये हैं, जहाँ 2-3
साल पहले नसबंदी करा चुकी महिलाओं के बच्चों को जन्म दिया है। वैसे तो परिवार नियोजन योजना के अनुसार 2018 से यह नियम लागू हुआ था कि नसबंदी फेल होने पर 60 हजार रूपए की कंपनसेशन राशि दी जाएगी, लेकिन इन महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्र की तरफ से कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है।
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लोगों का कहना है कि इनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि ये लोग 5-6 बच्चों का भरण-पोषण कर पाएं, और यही कारण है कि इन महिलाओं ने नसबंदी कराई थी लेकिन फिर जब ये दोबारा गर्भवती हो गयीं, इन लोगों का विश्वास डॉक्टरों और सरकारी अस्पतालों पर से उठ गया। इन लोगों का कहना है कि आशा कार्यकर्ता ने अभी तक इनके नसबंदी के प्रमाण पात्र भी नहीं दिए हैं।
आशा कार्यकर्ता रंजना का कहना है की दो महिलाओं के नसबंदी के बाद बच्चा हुआ है और दोनों ही महिलाओं के ऑपरेशन शंकरगढ़ में हुए थे। उन्होंने अपनी तरफ से अधीक्षक को सूचना दे दी है और आगे महिलाओं की जो भी मदद करनी होगी वो उसके लिए तैयार हैं।
मऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक इंचार्ज मनीष कुमार का कहना है महिलाएं नसबंदी का प्रमाण पात्र लेकर अस्पताल आएं और उनसे संपर्क करें, उसके बाद शासन की तरफ से जो भी लाभ मिलता है, इन महिलाओं को दिलवाया जाएगा।
नसबंदी फेल होने पर महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी भारी असर पड़ने का खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में क्या यह ज़रूरी नहीं कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से नसबंदी प्रक्रिया सही तरीके से की जाए जिससे यह प्रक्रिया सफल भी रहे और महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी कोई असर न पड़े।
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