महिला हिंसा के मामलों में हमेशा से ही हम देखते आए हैं कि पीड़ित महिला की आवाज़ को दबाने के लिए उनपर समझौता करने का दबाव बनाया जाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि पीड़ित महिलाओं के साथ हुई हिंसा की शिकायत पुलिस तक पहुँच ही नहीं पाती। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है चित्रकूट ज़िले के रैपुरा थाना के अंतर्गत रहने वाली एक महिला के साथ।
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पति की गैरमौजूदगी में पीड़िता के ससुराल वालों उसे जमकर पीटा और और जब उन्हें जेल जाने का खतरा सताया तो उन्होंने समझौते का दबाव बनाने की भी कोशिश की। पीड़ित महिला के पति की मानें तो ये एक मामूली सा झगड़ा था जिसको उन्होंने आपस में ही अब सुलझा लिया है।
जहाँ दोनों पक्षों की तरफ से ही इस मामले को मामूली सी बात बताया जा रहा है, वहीँ सोचने वाली बात तो यह है कि अगर आज संजू देवी ने एफआईआर दर्ज न कराई होती तो क्या आगे उसके ससुराल वाले उसके साथ हिंसा करना बंद कर देते? महिलाओं की आवाज़ दबाने की एक समाज की एक और कोशिश आखिर नाकाम साबित हुई। लेकिन आगे भी ऐसी कितनी संजू देवी अपने आप को हिंसा की शिकार होने से बचा पाएंगी? शुरूआत आपको ही करनी है। लड़कियां कोई सामान नहीं हैं, उनको भी जीवन जीने का उतना ही हक़ है जितना एक आदमी का है।
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