खबर लहरिया Blog चित्रकूट: सरकारी जूनियर विद्यालय की हालत खराब, बड़े हादसे का डर

चित्रकूट: सरकारी जूनियर विद्यालय की हालत खराब, बड़े हादसे का डर

दीवारों में इतनी बड़ी दरारें हैं कि सांप, बिच्छू जैसे जीव-जंतु अंदर घुसकर आ जाते हैं। विद्यालय के दरवाजे और खिड़कियां टूट चुकी हैं। विद्यालय की स्थिति इतनी खराब है कि कोई भी देखे तो यह नहीं कह सकता कि यह एक विद्यालय है।

रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – सुनीता प्रजापति 

चित्रकूट जिले के रामनगर ब्लॉक के कोल्हुवा गांव में स्थित जूनियर विद्यालय की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। विद्यालय की छत और दीवारें पूरी तरह से टूट चुकी हैं। बच्चों के लिए शिक्षा और सुरक्षित माहौल उनका बुनियादी अधिकार है, लेकिन यहां की स्थिति इतनी खराब है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। जिम्मेदार विभाग से जल्द से जल्द सुधार करवाए जाएं, ताकि बच्चों को सुरक्षित और बेहतर माहौल मिल सके।

स्कूल में लगता है डर

रंजीत कोल्हुवा जूनियर विद्यालय में कक्षा 7 में पढ़ते हैं। उन्होंने बताया कि वह पिछले तीन साल से इस विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं तब से ही विद्यालय की स्थिति खराब है। कक्षा में बैठते समय उन्हें डर लगता है कि कहीं छत गिर न जाए। गर्मी के मौसम में बाहर धूप में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। पेड़ की छांव मिल गई तो ठीक है, नहीं तो तेज धूप में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। बरसात के मौसम में स्कूल की छत से पानी टपकता है. किताबें और कपड़े भीग जाते हैं। ठंड के मौसम में हमें ठंड का सामना करना पड़ता है। देखने के लिए तो कमरे बने हैं लेकिन वे सारे जर्जर पड़े हैं और बैठने लायक नहीं हैं। कब गिर जाएं, पता नहीं।

एक कमरे में 3 कक्षा के बच्चे लेते हैं क्लास

कक्षा 8 की छात्रा अंजना बताती हैं कि कक्षा 6, 7 और 8 के बच्चों को एक साथ एक ही कमरे में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। इस वजह से हमें पढ़ाई करने में दिक्कत होती है।

स्कूल की बॉउंड्री भी नहीं

विद्यालय में बाउंड्री वॉल भी नहीं है, जिससे जानवरों के कारण गंदगी फैल जाती है और बैठने की जगह तक नहीं रहती। दीवारों में इतनी बड़ी दरारें हैं कि सांप, बिच्छू जैसे जीव-जंतु अंदर घुसकर आ जाते हैं। विद्यालय के दरवाजे और खिड़कियां टूट चुकी हैं। विद्यालय की स्थिति इतनी खराब है कि कोई भी देखे तो यह नहीं कह सकता कि यह एक विद्यालय है।

ग्राम पंचायत की जवाबदेही

कोल्हुवा ग्राम पंचायत सदस्य सुमन का कहना है कि यह विद्यालय 2009 में बना था लेकिन तब से इसकी हालत खराब है। बच्चों को पढ़ाई के लिए कोई और जगह नहीं थी इसलिए यह विद्यालय खोला गया था। चुनावों के दौरान नेता आते हैं और बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन चुनाव खत्म होते ही कोई भी सुध लेने नहीं आता। हम गांव वाले इस बार चुनाव में उन्हें वोट नहीं देंगे जब तक विद्यालय की स्थिति नहीं सुधार जाती।

प्रधानाध्यापक की जवाबदेही

जूनियर विद्यालय के प्रधानाध्यापक दीपक द्विवेदी का कहना है कि विद्यालय की स्थिति बहुत खराब है। विद्यालय में कुल 50 बच्चे पढ़ने आते हैं लेकिन बच्चों के पढ़ाई के लिए जगह सुरक्षित नहीं है। यह भवन कभी भी गिर सकता है। सभी कक्षाओं का संचालन जर्जर भवन में होता है। हमने अपनी तरफ से बीआरसी कार्यालय में कई बार शिकायत की है लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

शंकुल प्रभारी की जवाबदेही

रामनगर बीआरसी के शंकुल प्रभारी प्रमोद द्विवेदी का कहना है कि कोल्हुवा जूनियर विद्यालय की स्थिति के बारे में हमें जानकारी है और इसकी फाइल पेंडिंग में है। यह विद्यालय ठेका देकर ठेकेदार के द्वारा निर्माण करवाया गया था, जिससे ठेकेदार ने (थर्ड क्वालिटी) कम मसाला लगाकर बनाया था। जल्दी ही विद्यालय की मरम्मत की जाएगी और बाउंड्री वॉल भी बनाई जाएगी।

स्कूल 3 महीने से बंद, छात्रों को दूसरे स्कूल में भेजा

अब यहां के बच्चे गांव धावाडा‌ उच्च‌ माध्यमिक विद्यालय में भेजे गए हैं। अब वहीं पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन ये स्कूल उस स्कूल से पांच किलो मीटर दूरी पर है।

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