जिला चित्रकूट ब्लाक रामनगर गांव देऊधा के लोगों का कहना है कि साल 2020 में उन्होंने लॉकडाउन के दौरान दो-दो हफ़्तों तक मनरेगा का काम किया था। लेकिन ऐसे तकरीबन बीस लोग हैं जिन्हें उनकी मज़दूरी का पैसा नहीं मिला। वह कहते हैं कि मज़दूरी मिलती है तो उनके घर का खर्च चलता है और नहीं मिलती तो परिवार को कैसे चलाये, यह सवाल परेशान करता रहता है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के खर्च की चिंता रहती है। वह कहते हैं कि अब वह मनरेगा के तहत काम नहीं करते क्यूंकि मज़दूरी मिलने में साल दो साल लग जाते हैं और उन्हें तो रोज़ के काम के हिसाब से पैसे चाहिए। इसलिए वह इधर-उधर ही काम करते हैं। जब भी सचिव या बिडियो के पास शिकायत लेकर जाते हैं तो वह कहते हैं कि बैंक खाता जाकर देखो,पैसे आ गए होंगे। लेकिन बैंक जाने पर भी उन्हें निराशा ही हाथ लगती है।
जब खबर लहरिया की रिपोर्टर द्वारा मामले को लेकर सचिव भूपेन्द्र सिंह से बात की गयी तो उनका कहना था कि उन्हें समस्या को लेकर कोई भी जानकारी नहीं थी। वह कहते हैं कि वह जल्द से जल्द लोगों को उनके मनरेगा के पैसे दिलवाने का काम करेंगे। वहीं गाँव की उर्मिला प्रधान के पति भोला यादव का कहना है कि वह भी समस्या का निपटारा जल्द ही करवा देंगी। लेकिन सवाल है कब तक? कितने समय बाद लोगों को उनकी मेहनत की कमाई मिलेगी?