चित्रकूट जिले का अमीरचंद का कुआँ, जो कभी था मशहूर। अब है खंडहर।
चित्रकूट ये नाम का मतलब सोंचो तो समझ में आता है कि चित्रकूट में चित्र कूट कूट कर भरा हैं। हाँ बिल्कुल ऐसा ही है चित्रकूट यहां की खूबसूरती देखने लायक है। चाहे गणेश बाग हो, कोठी तालाब, गोल तालाब या गुप्त गोदावरी ये चीजे बहुत ही खूबसूरत हैं। जहाँ लोग दूर-दूर से घूमने आते हैं। लेकिन यहाँ पर है कुछ ऐसी चीजें जिनपर लोगों की नजर ही नहीं पड़ती।
खंडहर में तब्दील हुआ कुआँ
चित्रकूट जिले के कर्वी बस स्टाफ पर बना एक कुआँ जो कभी लोगों की प्यास बुझाता था। वह आज के समय में खंडहर में तब्दील हो गया है। उसके बाद भी जो भी इस कुआँ के पास से गुजरता है दो मिनट गौर से न देखे ऐसा हो नहीं सकता। तीन मंजिला का बना कुआँ देख कर यह जरुर सोचता होगा की यह किसने बनवाया होगा।
जब भी मैं उस रास्ते से गुजरती हूँ इस कुआँ को देखकर मन में सवाल आता है कि इसका इतिहास क्या होगा? किसने बनवाया होगा? क्या उद्देश्य रहा होगा कुआँ बनवाने का? क्योंकि पहले के जमाने में लोग कुआँ बनवाते थे तो पानी की सुविधा के लिए बनवाते थे। जो भी समाज में पैसे वाले लोग हुआ करते थे वो लोग कुआँ खुदवाते थे। लेकिन ऐसा कुआं तो कही नहीं देखा होगा। मुझे इस कुआं की जानकारी पाना थोड़ा मुश्किल था क्योंकि ये कुआँ बनवाने वाले अब नहीं रहे, लेकिन पता किया और जानकारी मिली।
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क्या है कुएं का इतिहास?
1966 में ये कुआं अमीर चंद्र विश्कर्मा ने बनवाया था। अमीरचंद सिर्फ नाम से ही अमीर नहीं थे इनका नाम आसपास के जिलों के अमीरों में गिना जाता था। उस समय अमीरचंद की 40 प्राईवेट बसे चलती थी। और उन्हीं यात्रियों की पानी की सुविधा के लिए कर्वी बस स्टाफ पर कुआँ खोदवाकर पानी की सुविधा की थी। जो भी यात्री वहां आए नहाएं पानी पीएं और अगर किसी कारण रूकना पड़े तो इतनी सुविधा थी कि वहां रूक सकते थे।
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बिक गया कुआं फिर भी पड़ा है खंडहर
बसंती जो कर्वी की निवासी हैं उन्होंने बताया जब ये कुआं बना था उस समय आसपास कहीं पानी की सुविधा नहीं थी। बांदा, महोबा, इलाहाबाद और सतना के लोग भी इस कुआँ का पानी पीते थे। बाहरी लोग ही नहीं कर्वी के लोग भी यहाँ पीने से लेकर घर के सारे पानी के काम इसी कुएं से करते थे। आज इस कुएं की स्तिथि ऐसी है की यहं शराबी बैठे रहते हैं। आज उधर से महिलाएं लड़कियां निकलना पसंद नहीं करती।
कोर्ट में चल रहा कुएं का मुकदमा
कर्वी निवासी सुरेश केसरवानी ने बताया की उनके पिता ने ये कुआं और उसके आसपास की 40 बाई 60 जमीन खरीदी है। लेकिन अभी कुछ निर्माण नहीं शुरू किया। कुएं के आसपास दूकान बनवाना चाह रहे हैं। ताकि कुआँ की खूबसूरती भी बनी रहे। नगरपालिका ने इस कुआँ के लिए दावा किया जो अभी कोर्ट से मुकदमा चल रहा है। जैसे ही फाइनल होता है कुएं के आसपास मार्केट बनाकर कुएं की खूबसूरती निखारने का प्रयास करूँगा।
इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी रिज़वी द्वारा की गयी है।
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