आज हम चित्रकूट के छोटे से शहर प्रतापगढ़ से निकले रैपर आदर्श द्रिवेदी की बात कर रहे हैं। गाने के शौक की वजह से उन्होंने खुद रैप गाने लिखना शुरू कर दिया। चित्रकूट जिले के जगदगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्व विद्यालय, सीतापुर में उनके पिता प्रोफेसर हैं। वह बचपन से ही चित्रकूट में रह रहे हैं। संगीत यानी म्यूज़िक, यह रूठे और उदास दिल को शांत और खुशनुमा बनाती है। व्यक्ति अपनी परिस्थति के अनुसार अलग-अलग तरह के गाने सुनता है। कभी सदाबहार, रंगीन तो कभी कोई ऊर्जा से भरा हुआ गाना।
आज लोगों को नए और पुराने, दोनों तरह के गाने सुनना अच्छा लगता है। पहले गीतकारों को सम्मानजनक नज़रिये से नहीं देखा जाता था लेकिन बदलते ज़माने के साथ गीत ने भी अपनी एक अलग पहचान बना ली। इसी तरह से संगीत के रूप भी बदले। मधुर, प्रेरणादायक गानों के आलावा एक शैली आयी “रैप” की। जिसे युवा लोगों द्वारा काफी ज़्यादा पसंद किया गया और किया जा रहा है। आज इस शैली को करियर के तौर पर भी देखा जा रहा है। जिस तरह से आदर्श द्रिवेदी ने रैप को अपने करियर के रूप में चुना वैसे ही आज कई युवा इस क्षेत्र में आने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
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