बांदा जिले का बदौसा कस्बा उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा कस्बा है जहां परंपरा से हटकर 41वें में 42 वें लगातार दो दिन चेहल्लुम मनाया जाता है । इस मौके पर क्षेत्रीय ग्रामीण व दूर दराज से आए हुए लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।इस दौरान बड़ी संख्या में युवक युवतियां सामूहिक मर्सिया और नोहे पढ़ते हुए सीना पीट-पीट कर मातम करते रहे । इसके बाद दूसरे दिन ताजियों को प्रतीकात्मक कर्बला (बागै नदी) में सुपुर्दे आब (विसर्जित) कर दिए गए । कर्बला (इराक) के मैदान में इस्लामी कैलेंडर के मोहर्रम की दसवीं तारीख को शहीद हुए शोहदाए कर्बला की शहादत के 40 दिन बाद मनाया जाने वाला चेहल्लुम उत्तर प्रदेश के एकमात्र एकलौता कस्बा बदौसा जहां परंपरागत तारीख से इतर 2 दिन बाद लगातार 2 दिन तक तक मनाया जाता है वहां चेहल्लुम पूरी रस्मों रिवाजों व परंपरा और श्रद्धा के मनाया गया। स्थानीय बुजुर्गों के मुताबिक ताजिएदारी की यह परंपरा सदियों से आबाद जिसकी तारीख और सन् बता पना असंभव है और जहाँ तक परंपरा का सवाल है इसके पीछे तर्क ये है कि हर जगह की ताजिएदारी के बाद मजमा और भीड़ एकठ्ठा करने के उद्देश्य से यहां चेहल्लुम हर एक जगह के बाद दूसरे और तीसरे दिन तक मनाया जाता है