छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में झारखंड के 2 मजदूरों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। घटना की सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच में जुट गई है।
घटना का विवरण
दरअसल यह घटना 10 जून 2025 का है। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में झारखंड से काम की तलाश में दल्लीराजहरा पहुंचे 2 मजदूरों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। बताया जा रहा है कि 9 तारीख़ रात में कुल 11 मजदूर ट्रैक के रास्ते पर पैदल जा रहे थे इसी दौरान थकावट के कारण 4 मजदूर पटरी पर ही सो गए। मंगलवार यानी 10 जून 2025 को सुबह क़रीब चार बजे कुसुमकसा से दल्लीराजहरा के बीच एक ट्रेन गुजरी जिससे 2 मजदूरों को ट्रेन रौंदते हुए गुजर गई और 2 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई।
तमाम जानकारी के अनुसार, एक युवक ने ट्रेन आते देख बाकी साथियों को जगाने की कोशिश की, लेकिन दो मजदूर समय रहते उठ नहीं सके और ट्रेन की चपेट में आकर उनकी मौके पर ही मौत हो गई। दो अन्य घायल मजदूरों को तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है।
मृतकों के नाम
कृष्णा राय, ऊम्र- 20 वर्ष, निवासी-लक्ष्मणपुर, थाना-चपचाची, जिला धनबाद, झारखंड
ढिल्लु राय, ऊम्र-20 वर्ष, निवासी-लक्ष्मणपुर, थाना-चपचाची, जिला धनबाद, झारखंड
पुलिस द्वारा बयान
इंडिया टीवी के रिपोर्ट के अनुसार पुलिस अधीक्षक मोनिका ठाकुर ने बताया कि सभी मजदूर झारखंड के रहने वाले हैं और बालोद में मजदूरी के लिए आए हुए थे। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को कब्जे में लेकर पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। वहीं, घायलों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। पुलिस ने बताया कि मृतकों और घायलों की पहचान की जा रही है और झारखंड में उनके परिजनों से संपर्क साधा जा रहा है। हादसे के संबंध में जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस यह भी पता लगाने में जुटी है कि मजदूर किस ठेकेदार के पास काम करने आए थे और रेलवे ट्रैक के जरिए सफर क्यों कर रहे थे।
मृतकों के परिजनों ने मालिक व ठेकेदार पर लगाया हत्या का आरोप
दूसरी तरफ प्रभात खबर एक एक रिपोर्ट के अनुसार, मृतक कृष्णा राय और ढिल्लु राय के परिजन एवं ग्रामीण मंगलवार को तोपचाची थाना पहुंचे। परिजनों ने कंपनी के मालिक, सुपरवाइजर व ठेकेदार के खिलाफ मारपीट कर हत्या करने तथा अन्य 5 मजदूरों को गायब करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को तोपचाची थाने में शिकायत दर्ज की है। पुलिस को दिये आवेदन में कहा है कि लक्ष्मणपुर से 10 मई को कृष्णा राय, ढिल्लु राय, अजय राय, विकास हेम्ब्रम, सूरज हेम्ब्रम, सामू हेम्ब्रम, सूरज राय, बाबूलाल राय, महेंद्र राय, संतोष मरांडी तथा बोकारो जिले के सुरही गांव के मदन सिंह के पुत्र कमल सिंह तथा महुदा निवासी मोहम्मद शाकिब को ठेकेदार हर्षित सिंह मजदूरी करवाने छत्तीसगढ़ की डायनासोर नामक कंपनी ले गया था।
एक मजदूर सूरज हेम्ब्रम ने सोमवार की शाम छत्तीसगढ़ से अपने परिजनों को फोन पर सारी आपबीती सुनाई। उसने परिजनों को बताया कि कंपनी के सीनियर स्टाफ आशुतोष कुमार कंपनी के आदेशानुसार 600 रुपए दैनिक मजदूरी के बदले 400 रुपए भुगतान कर रहा था।निर्धारित मजदूरी नहीं मिलने पर विरोध करने के कारण आशुतोष कुमार और ठेकेदार हर्षित सिंह रात में स्थानीय लोगों को बुलाकर सभी मजदूरों के साथ मारपीट करने लगे। इसके कारण सभी मजदूर जान बचाकर रेलवे ट्रैक की ओर भागने लगे और थक कर वहीं सो गए इसी दौरान ट्रेन की चपेट में आने से कृष्णा और ढिल्लु की मौत हो गयी।
मजदूरों का ट्रेन के चपेट में आ कर मौत की खबर नई नहीं है इससे पहले इसी तरह प्रवासी मजदूर काम करने दूसरे राज्य, दूसरे शहर गए थे और फिर कोरोना महामारी के आने से अचानक लॉकडाउन हो जाने पर सारे आवाजाही के रास्ते और और साधन बंद कर दिए गए जिसके कारण मजदूर वर्ग के लोग पैदल चल कर अपने घर वापस आने पर मजबूर हो गए और उन्होंने ट्रेन के पटरी को ही रास्ता बनाया। मजदूर चलते-चले इतने थक चुके थे कि पटरी पर ही सो गए और अचानक एक ट्रेन आई और मजदूरों को रौंद कर चली गई।
और अब घटना छत्तीसगढ़ की है। अगर सिर्फ़ छतीसगढ़ के खबर की बात करें तो मान लिया जाए कि मजदूरों की लापरवाही है कि वे पटरी पर सोए, ऐसी हरकतें किसी को नहीं करनी चाहिए लेकिन अगर मृतकों के परिवार द्वारा लगाए गए आरोप सच हो जाता है तब फिर गुनहगार किसे ठहराया जाएगा? उस मजदूर को या फिर उन्हें जिनके कारण मजदूर पटरी पर सोने को मजबूर हुए।
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