भारत में रहने वाले कई आदिवासी समुदायों को आज भी न तो उनके अधिकार मिल पाएं और न ही मौलिक सुख-सुविधाएं जिसका सभी को अधिकार है। अधिकतर आदिवासी पूर्णतयः जीवनयापन हेतु जंगल पर ही निर्भर रहते हैं जिससे उन्हें जल व भोजन मिलता है। वही उनकी ज़मीन और उनका घर होता है। ये कहा गया है कि समाज की मुख्यधारा से कटे होने के कारण ये पिछड़ गए हैं। इस कारण भारत समेत तमाम देशों में इनके उत्थान के लिए, इन्हें बढ़ावा देने और इनके अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इसी कड़ी में हर साल ये दिन 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है।
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