छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में केरल के दो ननों को धर्मांतरण (धर्म परिवर्तन) और मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। बजरंग दल द्वारा की गई मारपीट। दुर्ग जेल में ननों से मिलने पहुंचे कुछ वामपंथी संगठन और केरल के सांसद।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में केरल से आए दो ननों को गिरफ्तार कर दुर्ग जेल भेज दिया गया है। दो ननों की गिरफ्तारी का मामला अभी गरमाया हुआ है। आज यानी 30 जुलाई 2025 को केरल के सांसद और कुछ वामपंथी संगठन काफी मसक्कतों के बाद ननों से मिलने दुर्ग जिले के केंद्रीय जेल पहुंचे। इससे पहले इंडिया गठबंधन के सांसद ननों से मिलने के लिए दुर्ग जेल पहुंचे जहां भारी हंगामा हुआ। आरोप है कि जेल प्रशासन ने सांसदों को मिलने से रोक दिया। इसके बाद सांसदों ने धरना शुरू कर दिया। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने साफ कहा कि छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मंगलवार को दुर्ग सेंट्रल जेल में बंद ननों से मिलने इंडिया गठबंधन के कई सांसद पहुंचे, जिनमें केरल के सांसद एनके प्रेमचंद्रन, बेनी बेहनान, फ्रांसिस जॉर्ज, कांग्रेस सांसद सप्तगिरी शंकर उल्का, छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी सचिव जरिता लेतफलांग, अल्पसंख्यक नेता अनिल ए थॉमस शामिल रहे। जेल परिसर के बाहर शुरुआत में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल और सांसदों को रोका गया। कहा गया कि मिलने का समय खत्म हो चुका है। इस पर सांसदों ने विरोध किया। इस गिरफ्तारी के बाद सोमवार 28 जुलाई, 2025 को दिल्ली से लेकर केरल तक व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए।
क्या है पूरा मामला
25 जुलाई 2025 को केरल की दोनों नन और उनके साथ एक युवक और तीन आदिवासी युवतियां आगरा जा रहे थे। दुर्ग रेलवे स्टेशन पर धर्म परिवर्तन और मानव तस्करी को लेकर हंगामा हुआ। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने 2 नन के साथ एक युवक और 3 आदिवासी युवतियों को घेरकर रोका गया। बजरंग दल ने आरोप लगाए थे कि युवतियों को बहला-फुसलाकर उत्तर प्रदेश के आगरा ले जाया जा रहा था। जहां उनके धर्मांतरण की योजना थी। बजरंग दल के हंगामे के बाद दो नन और एक युवक को जीआरपी ने गिरफ्तार किया था, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
“जबरन फंसाया जा रहा है”
द हिंदू के रिपोर्ट के अनुसार दो महिलाओं की बहनों ने जबरन धर्म परिवर्तन के आरोपों को खारिज किया और कहा कि उन्होंने ख़ुद नौकरी के लिए आगरा ले जाने की सहमति दी थी। उन्होंने बताया कि उनके परिवार वालों को भी कोई आपत्ति नहीं थी।
दुर्ग के एक पुलिस स्टेशन से फोन पर तीनों महिलाओं में से एक की बड़ी बहन ने कहा। “हमारे माता-पिता अब जीवित नहीं हैं और मैंने अपनी बहन को ननों के साथ भेज दिया ताकि वह आगरा में नर्सिंग की नौकरी कर सके। मैंने खुद लखनऊ में उनके साथ नौकरी कर ली थी और मुझे लगा कि ऐसा ही कदम उसे आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगा। और मेरी बहन पूरी तरह से सहमत थी। बहनें निर्दोष हैं। यहां तक कि युवक को भी फंसाया जा रहा है, हमने अपनी बहनों को उसके साथ भेज दिया”
नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक रॉबिन्सन गुरिया ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद एक संबंधित घटनाक्रम में, तीनों परिवारों ने 26 जुलाई को नारायणपुर पुलिस को एक लिखित बयान दिया, जिसमें कहा गया कि उन्हें पता था कि महिलाओं को नौकरी के लिए ले जाया जा रहा है।
सांसद और माकपा नेता वृंदा करात ननों से मिलने पहुंची जेल
30 जुलाई 2025 आज दिल्ली से आए सांसदों का एक दल छत्तीसगढ़ सरकार और गिरफ्तार ननों से मिलने पहुंचे। इस मुद्दे पर वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद वृंदा करात ने सरकार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि बजरंग दल को छत्तीसगढ़ में खुली छूट दी जा रही है और दो सिस्टर (नन) के साथ गलत व्यवहार किया गया उन्हें अपमानित किया गया और उनके खिलाफ (FIR) एफ़आईआर भी दर्ज कर दी गई जो बहुत ही शर्मनाक है। उनका कहना है कि यह कोई धर्म परिवर्तन का मामला नहीं है, बल्कि नन सिर्फ आदिवासी लड़कियों को उनके और उनके परिवार की सहमति से नौकरी दिलाने के लिए आगरा ले जा रही थीं। उन्होंने यह भी कहा कि जो कुछ छत्तीसगढ़ में हो रहा है वह भारत के संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह हमारे देश के लिए शर्म की बात है। मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोपों को खारिज करते हुए करात ने कहा, ‘‘भारतीय नागरिकों को देश में कहीं भी यात्रा करने और रोजगार की तलाश करने का पूरा अधिकार है। सभी आरोप निराधार हैं। तस्करी का यह आरोप इसलिए लगाया गया क्योंकि इस देश के अल्पसंख्यकों पर हमला करना हिंदुत्व का संकीर्ण एजेंडा है।”
जेल में नन की स्थिति और आदिवासी युवतियों के साथ मारपीट
वृंदा करात के साथ सीपीआई नेता एनी राजा भी जेल पहुंची हुई थीं। उन्होंने बताया कि जेल में दोनों नन की स्वास्थ्य स्थिति ठीक नहीं है। उन्हें बुखार है और उन्हें ज़मीन पर सुलाया जा रहा है। इसके साथ उन्होंने यह भी बताया कि नन के साथ जा रहे एक युवक और तीन आदिवासी युवतियों के साथ बजरंग दल के द्वारा बयान बदलवाने के लिए मारपीट भी की गई है और उनके स्वास्थ भी ठीक नहीं हैं।
वृंदा करात कहती हैं कि “यह घटना ईसाइयों के ऊपर एक टार्गेट किया हुआ एक जबरदस्त हमला है। बजरंग द्वारा उनके ऊपर झूठे आरोप लगाए गए हैं। छत्तीसगढ़ में रूल ऑफ लॉ नहीं रूल ऑफ गुंडागर्दी चल रहा है। शर्म की बात है कि हमारे देश की ये हालत है। यह घटना छत्तीसगढ़ के लिए पहला नहीं है इससे पहले भी ईसाइयों के ऊपर हमला हुआ है।” उन्होंने आगे कहा कि हमारी मांग है कि दोनों नन को रिहा करने के साथ साथ केस को रद्द भी करना चाहिए। एनी राजा ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से मुलाक़ात के लिए समय की मांग की है लेकिन विष्णु साय ने अब तक समय नहीं दिया है। एनी राजा आख़िर में कहती हैं कि “हम देश के किसी भी जगह पर धर्मांतरण के मुद्दे पर आवाज उठायेंगे।”
डर का माहौल
न्यूज़लॉड्री के रिपोर्ट के अनुसार असीसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इमैक्युलेट (ASMI) कॉन्वेंट की दो ननों को गिरफ्तार किया गया है।
वे आगरा के एक कॉन्वेंट में तीन युवतियों को घरेलू काम के लिए लेकर जा रही थीं, उसी दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया। उसी कॉन्वेंट में रहने वाली एक दूसरी नन ने बताया कि वहां डर का माहौल है। उन्होंने कहा,
“हम कुछ बोलने से डरते हैं। अगर कुछ कहा, तो दो बातें हो सकती हैं या तो ननों को लंबे समय तक जेल में रखा जाएगा या हम पर हमला हो सकता है।” उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ में ईसाई समुदाय पर कई बार हमले हो चुके हैं और वे खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहीं।
उन्होंने आरोप लगाया कि बजरंग दल की नेता ज्योति शर्मा ने ननों के साथ मौजूद एक युवती पर हमला किया और उसे जबरदस्ती अपना बयान बदलने के लिए मजबूर किया।
युवती ने पहले पुलिस को बताया था कि वह अपनी मर्ज़ी से जा रही थी, लेकिन हमले के बाद उसने बयान बदल दिया और कहा कि उसे ज़बरदस्ती लाया गया था।
हालांकि, दो अन्य युवतियाँ अपने पहले बयान पर टिकी रहीं और कहा कि वे अपनी मर्ज़ी से आई थीं।
फोन कॉल खत्म करने से पहले कांपती आवाज़ में नन ने बताया कि उन्हें आपस में मिलने या खुलकर बात करने की भी इजाज़त नहीं है, यहां तक कि निजी प्रार्थना करते वक्त भी धमकियां मिलती हैं। उन्होंने कहा, “हमने पिछले 10 सालों में इस इलाके में किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कराया है, फिर भी हम डर में जी रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने कहा
द हिंदू की खबर के अनुसार, हालांकि जीआरपी या राज्य पुलिस के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस कदम का समर्थन किया और दावा किया कि महिला सुरक्षा के मुद्दे को “राजनीतिक रंग” दिया जा रहा है।
राहुल गांधी ने लिखा पोस्ट
राहुल गांधी ने भी इस मामले पर एक्स पर पोस्ट लिख कर इस घटना का विरोध जताया है। उन्होंने लिखा है छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों को उनकी आस्था के कारण निशाना बनाकर जेल भेज दिया गया – यह न्याय नहीं, बल्कि भाजपा-आरएसएस का गुंडा राज है। यह एक खतरनाक पैटर्न को दर्शाता है। इस शासन में अल्पसंख्यकों का व्यवस्थित उत्पीड़न, यूडीएफ सांसदों ने आज संसद में विरोध प्रदर्शन किया। हम चुप नहीं बैठेंगे। धार्मिक स्वतंत्रता एक संवैधानिक अधिकार है। हम उनकी तत्काल रिहाई और इस अन्याय के लिए जवाबदेही की मांग करते हैं।
Two Catholic nuns jailed in Chhattisgarh after being targeted for their faith – this isn’t justice, it’s BJP-RSS mob rule.
It reflects a dangerous pattern: systematic persecution of minorities under this regime.
UDF MPs protested in Parliament today. We will not be silent.… https://t.co/as67WaLmdV
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 28, 2025
बता दें छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण से संबंधित इस तरह का मामला नया या पहला नहीं है। पिछले दो महीने में 8 से 10 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जो बिलासपुर, रायपुर, धमतरी, भिलाई, दुर्ग, कांकेर और नारायणपुर से है।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग में दो ननों की गिरफ्तारी ने न सिर्फ राज्य में बल्कि देशभर में एक बड़ी बहस को जन्म दिया है। जहां राज्य सरकार इसे कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा से जुड़ा मामला बता रही है, वहीं विपक्षी दल और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यह धार्मिक भेदभाव और अल्पसंख्यकों को टार्गेट करने का उदाहरण है।
गिरफ्तारी, विरोध प्रदर्शन और नेताओं की प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि यह सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। एक ओर मुख्यमंत्री ने इसे राजनीतिक रंग दिए जाने की बात कही है, वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी जैसे बड़े नेताओं ने इसे संविधान विरोधी कदम बताया है।
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