खबर लहरिया Blog Chhattisgarh: धर्मांतरण मामले पर प्रार्थना घर पर चला बुलडोजर 

Chhattisgarh: धर्मांतरण मामले पर प्रार्थना घर पर चला बुलडोजर 

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के आरोप में बिना नोटिस चर्च पर चलाया गया बुलडोजर, हिंदू संगठन का आरोप है कि चर्च सरकारी ज़मीन पर बिना अनुमति के बनाया गया था। दूसरी ओर चर्च निवासी आकाश का कहना है वो ‘चर्च नहीं हमारा घर है।’ 

Bulldozing of the church

चर्च पर बुलडोज़र (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण (धर्म परिवर्तन) का मामला थमने का नाम ही नहीं ले रहा बल्कि यह मुद्दा लगातार गरमाता जा रहा है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में प्रार्थना घर (चर्च) पर बिना कोई नोटिस बुलडोजर चलाया गया। कथित रूप से धर्मांतरण में लिप्त चर्च पर प्रशासन ने सोमवार को बिना किसी नोटिस के ही बुलडोजर चला कर ध्वस्त कर दिया। आरोप है कि प्रार्थना घर सरकारी ज़मीन पर बिना अनुमति के बनाया गया था। इस प्रार्थना घर को लंबे समय से चर्च के रूप में उपयोग किया जा रहा था। यह आरोप भी है कि इस प्रार्थना घर में प्रार्थना सभा के बहाने धर्मांतरण की गतिविधियां चलाई जा रही थी यानी धर्म परिवर्तन करने का कार्य किया जाता था। बता दें यह आरोप स्थानीय हिंदू संगठन द्वारा लगाया गया है। 

हिंदू संगठन का आरोप 

हिंदूवादी संगठनों ने प्रशासन व पुलिस की सख्ती की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे अवैध निर्माण और गतिविधियों पर रोक लगाना बेहद जरूरी है। उनका आरोप है कि अवैध ज़मीन पर अवैध तरीके से हिंदुओं को ठग कर धर्म परिवर्तन कराया जाता था। विस्तार न्यूज़ के एक रिपोर्टिंग में हिंदू संगठन के सदस्य द्वारा यह कहा गया कि हिंदुओं की हत्या को मारने की रणनीति है। आगे कहा “जो कोई भी अवैध गतिविधि में रहेगा उसे मिट्टी में मिला देंगे।”

प्रशासन का एक्शन 

हिंदू संगठनों ने इस पर आपत्ति जताते हुए जिला प्रशासन से शिकायत की। शिकायत के बाद पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। जांच में प्रार्थना घर को अवैध पाया गया जिसके बाद प्रशासन ने बुलडोज़र चलाकर उस प्रार्थना घर को गिरा दिया। 

‘चर्च नहीं था हमारा मकान था’

एनडीटीवी के रिपोर्टिंग अनुसार आकाश खरे का कहना है कि जिस मकान पर बुलडोजर चलाया गया वह उनके बड़े भाई महावीर सूर्यवंशी का था। उन्होंने बताया कि यह कोई चर्च नहीं बल्कि उनका घर है। उस मकान में उनका परिवार पिछले आठ साल से रह रहा था। पहले यह कच्चा मकान था लेकिन धीरे-धीरे मेहनत और बचत से पक्का मकान बनाया गया था। उनका आगे कहना था कि उनका परिवार यीशु मसीह में विश्वास रखता है। आसपास चर्च न होने की वजह से वे घर पर ही प्रार्थना करते थे। उन्होंने बताया जिस दिन मकान तोड़ा गया उस समय तीन परिवार मिलकर प्रार्थना कर रहे थे। तभी अचानक पुलिस और प्रशासन की टीम आई और बिना नोटिस दिए घर को गिरा दिया गया। इस दौरान पंचायत के कुछ लोगों ने गालियां दीं और घर में मौजूद महिलाओं और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार भी हुआ। उन्होंने सवाल किया कि क्या गरीब का घर उजाड़ देना ही प्रशासन की सख़्ती दिखाने का तरीक़ा है? 

बता दें कि इस तरह की घटनाएं अब छत्तीसगढ़ में आम होती जा रही हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इससे पहले डॉन ननों को धर्म परिवर्तन करवाने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया थे जिन्हें कुछ दिन जेल में रखने के बाद और पूरी तरह जांच करने के बाद छोड़ दिया गया। उसके बाद कुछ ग्रामीणों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटने की भी खबर सामने आई थी और अब चर्च में बुलडोज़र की खबर भी सामने आई। इससे पहले भी धर्मांतरण से जुड़े कई मामले सामने आ चुके हैं जिससे साफ है कि देश में यह एक गंभीर और तेजी से फैलने वाली समस्या बनती जा रही है। 

 

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