खबर लहरिया Blog छतरपुर: ई-केवाईसी / e-KYC न होने से राशन मिलने में रुकावट

छतरपुर: ई-केवाईसी / e-KYC न होने से राशन मिलने में रुकावट

ताज बीबी कहती हैं कि “घर में ई केवाईसी की वजह से राशन न मिलने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मेरे पति काफी दिनों से बीमार है, रिक्शा भी नहीं चला पा रहे हैं। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं। कोटे से जो राशन मिलता था उसे हम लोग पूरा कर लेते थे। लेकिन तीन लोगों का राशन इस बार नहीं मिला जिसके कारण हम लोगों को काफी समस्याएं होती हैं।”

जहां राशन मिलता है उसके बाहर लोगों की तस्वीर (फोटो साभार: अलीमा)

रिपोर्ट – अलीमा, लेखन – सुचित्रा 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत देश के गरीब परिवारों को सरकारी राशन की दुकान से सस्ते दामों पर राशन सामग्री देने की सुविधा दी है, लेकिन अब इसका फायदा सिर्फ वे उपभोक्ता उठा सकेंगे जिनके राशन कार्ड की ई केवाईसी प्रक्रिया पूरी होगी। इस नए बदलाव से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा हाल मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की राशन कार्ड में ई केवाईसी ना होने के कारण हो रहा है। जिन लोगों के पास केवाईसी है उन लोगों को राशन मिल रहा है और जिन लोगों का नहीं है उनका राशन नहीं दिया जा रहा है।

ई-केवाईसी / e KYC क्या है?

ई-केवाईसी का मतलब है “इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर” यानी ग्राहक की जानकारी को डिजिटल तरीके से सुरक्षित रखना।

राशनकार्ड में ई-केवाईसी क्यों जरुरी है?

राशन वितरण पर बढ़ते फर्जीवाड़े को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है कि प्रत्येक राज्य के सभी राशन कार्ड धारकों को अपनी ई केवाईसी करवानी होगी। इस योजना के तहत वे परिवार भी लाभ प्राप्त कर रहे हैं जो योजना का लाभ लेने के योग्य नहीं हैं। इसलिए राशन कार्ड ई- केवाईसी को जरुरी कर दिया गया है ताकि योग्य (जिन्हें जरूरत है) परिवारों की जानकारी खाद्य सुरक्षा विभाग को मिले। केवल उन्हें ही इस योजना के तहत लाभ दिया जा सके।

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के वार्ड नंबर 15 की रहने वाली ताज बीबी का कहना है उनका गरीबी रेखा का राशन कार्ड बना हुआ है। उनके यहां 8 सदस्य हैं, हर सदस्य पर उनको 5 किलो गेहूं मिलता है या बदले में चावल। 8 सदस्यों में से तीन लोगों की एक केवाईसी नहीं है, जिसके कारण इनका इस महीने राशन नहीं मिला है।

राशन न मिलने से लोग परेशान

ताज बीबी कहती हैं कि “घर में ई केवाईसी की वजह से राशन न मिलने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मेरे पति काफी दिनों से बीमार है, रिक्शा भी नहीं चला पा रहे हैं। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं। कोटे से जो राशन मिलता था उसे हम लोग पूरा कर लेते थे। लेकिन तीन लोगों का राशन इस बार नहीं मिला जिसके कारण हम लोगों को काफी समस्याएं होती हैं। कोटेदार इस समय चावल ज्यादा देते हैं और गेहूं कम देते हैं तो कहां तक बच्चों को चावल खिलाएं? जब हम लोग केवाईसी करने गए तो कहीं मोबाइल में नंबर लिंक मांगते हैं, कहीं आधार में नंबर लिंक। पहले हम लोगों का आधार कार्ड बना था पता नहीं कौन सा मोबाइल नंबर था इसीलिए अभी तक हमारे बच्चे की केवाईसी नहीं हो पाई है।”

यदि आधार कार्ड से जुड़ा नंबर बदलता है तो इसे अपडेट करना जरुरी है जिसकी जानकारी ग्रामीण स्तर पर लोगों को नहीं दी जाती है।

छतरपुर जिले की नारायणबाग में रहने वाली शाहजहां ने बताया कि वह विधवा है और उनके पास गरीबी रेखा का परमिट है। गरीबी रेखा की परमिट में उनका पांच लोगों को राशन मिलता है। पांच लोगों में चार लोगों की ई केवाईसी नहीं है। इस बार उन्हें सिर्फ 5 किलो गेहूं मिला है। अब वह 7 लोगों का खर्चा कैसे चलाएंगे?

राशन से महंगा गेहूं बाजार में

शाहजहां का कहना है कि बाजार में गेहूं बहुत महंगा है और वे तो घर-घर जाकर मजदूरी करते हैं। ऐसे में घर पर गेहूं लाना बहुत मुश्किल हो गया है। पहले कोटे से जो राशन मिलता था, उससे किसी तरह एक महीना निकाल लेते थे। उनकी केवाईसी नहीं हुई है क्योंकि उनका आधार नंबर राशन कार्ड से लिंक नहीं है। कोटेदार कहते हैं कि पहले केवाईसी कराओ, तभी राशन मिलेगा। हम कुछ नहीं कर सकते, यह ऊपर से आदेश है। सरकार तरह-तरह के नियम बना रही है। एक रुपए किलो गेहूं तो दे रही है, लेकिन जिनकी केवाईसी नहीं हुई, उन्हें राशन नहीं मिलेगा। यह सिर्फ गरीबों को परेशान करने का तरीका लग रहा है।

राशन के लिए भटक रहे गरीब

सकुरान बेगम का कहना है कि उनके पास गरीबी रेखा वाला राशन कार्ड है और वह घर में अकेली रहती हैं क्योंकि उनका तलाक हो चुका हो। उनके कोई बच्चे नहीं हैं और पति उन्हें छोड़कर चले गए हैं। मेहनत-मजदूरी करके उन्होंने राशन कार्ड बनवाया था। उन्हें हर महीने सिर्फ 5 किलो राशन मिलता था। कभी वह गेहूं लेती थीं, तो कभी चावल। इसी से उनका गुजारा होता था।

कभी-कभी वह दूसरों के घरों में काम करती थीं, जिससे थोड़ी मदद मिल जाती थी और किसी तरह महीने भर का खर्च चल जाता था। लेकिन इस बार उनकी ई-केवाईसी नहीं हो पाई, जिसके कारण उन्हें इस महीने राशन नहीं मिला। उनका कहना है कि अगर 5 किलो राशन भी मिल जाता, तो उनके लिए काफी होता।

उन्होंने कोटेदार से कहा कि इस बार राशन दे दीजिए, मैं जल्दी ही ई-केवाईसी करवा लूंगी, लेकिन कोटेदार ने मना कर दिया और कहा कि पहले ई-केवाईसी करवाओ, तभी राशन मिलेगा। सकुरान बेगम कहती हैं कि वह पिछले चार दिनों से ई-केवाईसी के लिए इधर-उधर भटक रही हैं, लेकिन अब पता चला है कि साइट बंद है, इसलिए केवाईसी नहीं हो पा रही है।

सरकार का ई-केवाईसी को लेकर नियम

मुकेश धोबी जोकि कोटेदार हैं, वे कहते हैं “हम लोग क्या करें? जब हम लोगों के पास ऊपर से नियम आ गया है जिसकी केवाईसी नहीं है उसको राशन नहीं देना है। अब सब मशीनों का सिस्टम हो गया है। मशीन में जैसे ही राशन कार्ड में दिए गए आईडी नंबर को डालते हैं उसमें तुरंत आ जाता है कि किसकी केवाईसी है और किसकी नहीं है इसलिए हम लोग मजबूर हैं हम लोग नहीं दे सकते। राशन कोटे पर बैठे कंप्यूटर ऑपरेटर ने कहा कि, सरकार ने यह नियम अप्रैल में लागू कर दिया था। उन्होंने जगह-जगह घोषणा करवाई थी। 11 अप्रैल से की जो राशन कार्ड धारी है उनको ईकेवाईसी जरूर करना है और यह जरुरी है, नहीं तो राशन नहीं मिलेगा। लोगों ने नहीं सुना इसमें कोटेदार क्या कर सकते हैं? 30 अप्रैल तक की केवाईसी बिल्कुल निशुल्क हो रही थी। कहीं भी जाकर कर लो, अब कुछ दिनों से साइड बंद चल रही है जिसके कारण लोग इधर-उधर भटक रहे हैं। जो लोग पात्र हैं वह भी इसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं, क्योंकि यह नियम है कि, जब तक एक केवाईसी नहीं होती तब तक राशन नहीं मिलेगा। हम लोग सुबह से आकर कोटे की दुकान खोलकर बैठ जाते हैं, पहले काफी भीड़ हो जाया करती थी। लेकिन अब केवाईसी लोगों का नहीं हुआ है तो कोटे की दुकान पर भीड़ भी नहीं देखने को मिल रही है।

सरकार ने ई केवाईसी को लेकर नए बदलाव तो किए लेकिन इसकी वजह से जमीनी स्तर पर लोगों पर इसका क्या असर पड़ा है। इसके बारे में उन्होंने जानने की कोशिश नहीं की। राशन ही तो उनके परिवार का पेट भरने का एक रास्ता था, उसमें भी उन्हें इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

 

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