छतरपुर, मध्य प्रदेश — तापमान 41 डिग्री, हालात बेहद गंभीर। जिला पंचायत जनसुनवाई में दूर-दूर से लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुंचते हैं, लेकिन ना कोई सुनवाई, ना कोई राहत। लोग तौलिया से हवा कर रहे हैं, बोतल में पानी लपेट कर ला रहे हैं, और तपती धूप में घंटों लाइन में खड़े हैं। लोग कहते हैं, “हर मंगलवार आते हैं, पर सुनता कोई नहीं।” अधिकारी एसी में बैठे रहते हैं, और जनता चिलचिलाती धूप में सिस्टम की संवेदनहीनता का शिकार हो जाती है। क्या यही है “जनसुनवाई”? या ये केवल एक औपचारिकता भर रह गई है?
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