खबर लहरिया Blog जहां सड़क नहीं उस गांव विकास कैसे पहुंचे?

जहां सड़क नहीं उस गांव विकास कैसे पहुंचे?

आने-जाने का मुख्य रास्ता कच्चा और नाले से भरा है। उस रास्ते से गुज़रना भी ग्रामीणों की मज़बूरी है या ये कहें की एकमात्र विकल्प है।

A form of Ayodhya is also where the water filled on the raw roads

सड़क न होने की समस्या, आज भी ग्रामीण भारत में ज्यों की त्यों बनी हुई है। कहने को तो देश में विकास हो रहा है पर शायद पिछड़े गाँव व कस्बे इस विकास की गति में कहीं पीछे रह गए हैं। विकास के नाम पर लगता करोड़ों का बजट और ऊपर से सरकारी वादें बहुत उम्मीदें जगाते हैं कि शायद अब तो ग्रामीण भारत में कुछ बदलाव होगा। शायद अब तो उन्हें सुविधाओं का महसूस करने का मौका मिलेगा। बस सब शायद में ही रह गया। शायद होगा, शायद हो जाता।

खबर लहरिया ने एमपी के छतरपुर जिले में रिपोर्टिंग के दौरान पाया कि यहां के 8 से 10 गाँव ऐसे हैं जहां सड़क न होने की समस्या सबसे बड़ी है। आने-जाने का मुख्य रास्ता कच्चा और नाले से भरा है। उस रास्ते से गुज़रना भी ग्रामीणों की मज़बूरी है या ये कहें की एकमात्र विकल्प है।

ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत के सचिव और सरपंच भी कभी इन गाँवों का रुख नहीं करते। हालात यह हैं कि रोज़ स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर बीमार व्यक्ति तक सभी को इसी कच्चे रास्ते से निकलना पड़ता है।

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सड़क न होने से ग्रामीणों को होती समस्याएं

गांव चंदला विधानसभा, सरबई उपतहसील का लोधीनपुर भानपुर : ग्रामीण संतोष बताते, लोधीनपुर जाने से पहले एक बहुत बाड़ा नाला मिलता है जिसमें हमेशा पानी भरा रहता है। किसी की ज़्यादा हालत खराब रहती है और वह चलने की हालत में नहीं होता, ऐसी समस्या में एम्बुलेंस भी गाँव के अंदर नहीं आ पाती। लोग चारपाई की मदद से मरीज़ को बाहर लेकर जाते हैं। गाँव में न तो अधिकारी आते हैं और न ही कोई सुनवाई होती है।

मानसी कहती हैं, खराब सड़क से विधायक भी चुप-चाप निकल जाते हैं पर कुछ करते नहीं है।

ग्रामीण कहते हैं कि अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसे बांस या बल्ली बांधकर एक तरफ से दूसरी तरफ लेकर जाया जाता है।

रिश्तेदार यह कहकर नहीं आते कि ‘तुम्हारे तरफ का रास्ता उबड़-खाबड़ है।’

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प्रदर्शन के बाद भी नहीं होती सुनवाई

kachcha road

ग्रामीणों ने कई बार दलदल में खड़े होकर सड़क न होने को लेकर विरोध भी किया। पुरुष, महिलायें व बच्चे, सभी इस विरोध में शामिल थे। इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीण लगातार प्रदर्शन कर रहें हैं और अधिकारियों द्वारा लगातार उनकी समस्याओं को नकारा जा रहा है।

सड़क बनवाने की रहेगी कोशिश – सरपंच

गाँव के सरपंच मोनू की मानें तो वह समस्या को लेकर कई बार शिकायत कर चुके हैं। बैठक में भी उन्होंने सड़क की समस्या की बात रखी थी पर कोई सुनवाई नहीं होती। विधायक ने आश्वाशन दिया था कि वह निरीक्षण करके सड़क बनवाने की कोशिश करेंगे। आगे कहा, वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे। अगर सड़क बनवाने के लिए उन्हें शिकायत करनी पड़े तो वह वो भी करेंगे।

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चबूतरे टूटने पर ही बन सकती है सड़क – विधायक

खबर लहरिया ने सड़क की समस्या के बारे में विधायक आलोक चतुर्वेदी भजन भैया से भी बात की। वह भी कहते हैं कि सड़क काफी खतरनाक है। उन्होंने एक बार मिट्टी डलवाई थी लेकिन गाँव के लोग चबूतरा खोदने नहीं देते जिसकी वजह से काम बंद हो गया था। वह फिर निरक्षण करके यह देखंगे कि कितनी सड़क बननी है और वह कोशिश करेंगे की सड़क बन जाए।

आगे कहा, ग्रामीणों को अगर सड़क चाहिए तो उन्हें चबूतरे का बलिदान देना होगा। अगर लोग खुद खुदवाने के लिए तैयार हो जाए तो वह सड़क और नाली दोनों बनवा देंगे।

विधायक हो या सरपंच, सड़क न होने की समस्या को लेकर दोनों ही अलग-अलग बातें कहते दिखें। एक तरफ राज्य सरकार विकास की बात करती है, जहां विकास का पहुंचने का रास्ता भी अभी तक कई गांवों में नहीं बना। तो क्या इसे विकास कहा जायेगा?

इस खबर की रिपोर्टिंग अलीमा द्वारा की गयी है।

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