खाद की होती कमी से किसान लंबे समय से जूझ रहे हैं। लंबी लाइनों में लगकर अपनी बारी का इंतज़ार कर रहें हैं लेकिन खाद की कमी क्यों हो रही है, इसे लेकर अधिकारियों के पास भी कोई जवाब नहीं है।
एमपी के कई जिलों के गाँवों में पिछले महीने कई किसान खाद की कमी की वजह से जूझते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह सिलसिला अभी भी ज़ारी है। छतरपुर जिले के बिजावर तहसील के एक किसान की तब मौत हो गयी जब वह खाद की लाइन में लगे हुए अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था।
घटना, 22 नवंबर की है। खबर लहरिया को दी गयी जानकारी के अनुसार, मृतक किसान दयाराम अहिरवार की उम्र 40 वर्ष थी। वह बिजावर तहसील से 10 किलोमीटर दूर बक्शवाहा गाँव में रहता था। वह हर दिन 10 किलोमीटर की दूरी खाद लेने के लिए तय करता था पर खाद के लिए लगी लंबी लाइनों और इंतज़ार ने उसकी जान ही ले ली।
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किसान रोज़ लगाता था खाद के लिए चक्कर
मृतक किसान कई दिनों से कृषि उपज मंडी के चक्कर लगा रहा था। खाद न मिलने की वजह से उसे हर दिन आना पड़ता। सुबह से शाम बीत जाती पर खाद नहीं मिलती। वह रोज़ मायूस होकर लौट जाता। जिस दिन उसे खाद मिलने वाली थी, उसी दिन उसकी मौत हो गयी।
हार्ट अटैक से गयी जान
मृतक किसान दयाराम के परिवार ने बताया कि सुबह 9 बजे खाद वितरण के समय जब वह लाइन में लगे थे तो अचानक से उनकी तबयत बिगड़ गयी। लोगों ने उन्हें उठाया और बिजावर तहसील के ही स्वास्थ्य केंद्र में ले गए। डॉक्टरों ने हार्ट अटैक बताकर किसान को जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही किसान की मौत हो गयी।
खाद न मिलने को लेकर रहती थी टेंशन
मृतक किसान की चार बेटियां व दो बेटे हैं। पत्नी ने आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘हमारे पति को अगर समय से खाद मिल जाती तो आज हमारे बच्चे बगैर बाप के नहीं होते।’
आगे कहा, मृतक किसान खाद न मिलने की वजह से काफी परेशान था। कई दिनों से चक्कर लगा रहा था। काफी टेंशन में भी था। हालाँकि, जिस दिन उसे खाद मिलने वाली थी, वह बहुत खुशी में घर से निकला था लेकिन अचानक उसकी मौत हो गयी।
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आज एक किसान की जान गयी है कल और जा सकती है
खाद लेने आये कई किसानों ने खबर लहरिया को बताया कि खाद न मिलने से वह लोग भी काफी परेशान हैं। खाद के लिए लाइन लगाकर बैठ जाते हैं। बस बैठे रहते हैं लेकिन खाद नहीं मिलती फिर वापस लौट जाते हैं। आखिर किसान आदमी कहाँ जाये। खाद नहीं मिलती तो खेती कैसे करें। हम लोग 10-12 दिन से चक्कर लगा रहे हैं लेकिन खाद मिलने का नाम ही नहीं ले रही। इस तरह की लापरवाही से आज एक किसान की मौत हो गयी है। कल और भी किसान की मौत हो सकती है।
कम मात्रा में आती है खाद
बिजावर तहसील के खाद अधिकारी गणेश कोरी ने खबर लहरिया को बताया, लोगों को बंदी के हिसाब से खाद दी जा रही है। जब उस किसान की मौत हुई तो उसे खाद मिल गयी थी लेकिन ज़्यादा भीड़ होने की वजह से उसका नंबर नहीं आया था। अचानक तबयत खराब होने की वजह से किसान की मौत हो गयी।
खाद बहुत कम मात्रा में आती है इसलिए उन्हें बंदी के हिसाब से खाद देना पड़ता है। किसानों के पास जितनी खेती है, वह अपनी बंदी दिखाकर उसी हिसाब से खाद लेते हैं।
खाद की कमी को लेकर होगी जांच
मामले को लेकर बिजावर के एसडीएम श्री सिलाड़िया ने कहा कि उनके संज्ञान में यह बात नहीं थी कि लाइन में लगकर खाद लेने के लिए दौरान एक किसान की मौत हो गयी। उनके द्वारा तत्काल जाकर परिवार को सहायता के तौर पर 5 हज़ार रूपये दिए गए। इसके साथ ही संबल योजना के तहत 4 लाख रूपये व 15 हज़ार रूपये परिवार सहायता योजना के तहत स्वीकृत करा दिए गए हैं।
साथ ही मामले की जांच पड़ताल की जायेगी कि किसानों को समय से खाद क्यों नहीं मिल पा रही रही है। अगर कोई लापरवाही देखने को मिलेगी तो उस पर तुरंत कार्यवाही की जायेगी। हालांकि, किसान की मौत हार्ट अटैक होने की वजह से बताई जा रही है।
यह पहली बार नहीं है कि इस समय किसानों को खाद के लिए परेशान होना पड़ रहा है। पिछले साल भी किसान इस तरह से ही खाद की कमी की वजह से परेशान थे। उन्हें खाद के लिए लम्बी लाइनों में लगना पड़ रहा था। इस समय भी न तो खाद अधिकारी और न ही एसडीएम किसी को नहीं पता कि खाद की कमी क्यों हो रही है जबकि सबको बंदी के हिसाब से खाद दिया जा रहा है।
इस खबर की रिपोर्टिंग अलीमा द्वारा की गयी है।
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