एमपी विधानसभा चुनाव 2023: मध्य प्रदेश में गरीबों की हित के लिए सरकार द्वारा तरह-तरह की नई-नई योजनाओं की शुरुआत की जाती है। चाहें वह ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ हो या फिर ‘लाडली बहना योजना’ लेकिन पुश्तैनी गरीबी से जूझ रहा एक बंसकार परिवार इन योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। छतरपुर ज़िले के अंतर्गत आने वाले पाटन गांव के एक बंसकार परिवार ने बताया कि इस गांव में रहते हुए उनकी तीन पीढ़ी बीत गई। उनके मां-बाप और दादी-बाबा भी इसी झोपड़ी में जीवन बिताते हुए गुज़र गए और अब उनकी पीढ़ी भी गुज़रने वाली है। चौथी पीढ़ी आ गई पर उनकी ये गरीबी दूर नहीं हुई।
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अब इस झोपड़ी में जगह-जगह छेद हो गए हैं बारिश होती है, तो रात भर बच्चों के साथ-साथ दोनों पति-पत्नी भी भीगते रहते हैं। पानी भर जाता है लेकिन इस गरीबी को देखने वाला और सुनने वाला कोई नहीं है। उनकी उम्र अब 70 साल हो गई है और वो वोट डालते-डालते बूढ़े हो गए हैं। न ही उनके पास कोई रोज़गार है और न ही रहने के लिए आवास है। उन्होंने एक कचरा वाला रिक्शा लिया था कि किसी तरह उससे कुछ कमाई हो जाएगी लेकिन वो रोज़गार भी कुछ दिन बाद बंद हो गया।
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सरपंच ओमप्रकाश शुक्ला का कहना है कि आवास प्लस की सूची में उनका नाम है। जब उसके तहत आवास के पैसे आएंगे तो सबसे पहले उनको ही दिया जाएगा। गांव में जो केपी चौरसिया फाउंडेशन संस्था चल रही है। वह भी गरीबों को आवास बना कर दे रही है तो उनसे भी कह दिया है कि इस परिवार को आवास दिया जाए।
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